क्या पीएम मोदी ने आजाद को दिया है मिशन POK, जम्मू में BJP बना सकती है बड़ा चेहरा, फिर गुपकार गैंग होगा नतमस्तक
विदाई पर मोदी रोए, कांग्रेस छोड़ी तो सोनिया भावुक हुईं, पहले कश्मीर में कांग्रेस को मजबूत किया, अब खुद की पार्टी चलाएंगे
मोदी से मधुर रिश्ते, कांग्रेस से कड़वाहट और BJP नेताओं से अच्छे संबंध आएंगे काम, आजाद होंगे नए कश्मीर का कश्मीरी चेहरा?

गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस से इस्तीफा क्या दिया उनके बीजेपी में जाने की अटकलें तेज हो गईं, लेकिन तभी उन्होंने कहा कि मैं नई पार्टी बनाऊंगा. उसके बाद भी सियासी गलियारों में ये चर्चा है कि वो बीजेपी के साथ गठबंधन कर सकते हैं, इसकी वजह उनके मोदी से मधुर रिश्ते हैं. लेकिन बात सिर्फ इतनी ही नहीं है बल्कि चर्चा यहां तक है कि पीएम मोदी ने उन्हें मिशन पीओके सौंप दिया है.

गुलाम नबी आजाद कश्मीरी नेता हैं, उनके रग-रग में कश्मीरियत है, इसे चुनाव में वो भुनाएंगे
आजाद के दिल्ली आवास पर कश्मीरी झलक देखने को मिलती थी, जनता उन्हें पसंद करती है
पीएम मोदी उनकी विदाई पर राज्यसभा में रो पड़े थे, कई बार मोदी ने उनकी तारीफ भी की है
इसलिए हो सकता है चुनाव के बाद या पहले वो बीजेपी से गठबंधन कर लें, फिर सरकार बनाएं
गुलाम नबी आजाद का कश्मीर में कद इतना बड़ा है कि बीजेपी उन्हें मुख्यमंत्री बना सकती है
बीजेपी जम्मू में मजबूत है लेकिन कश्मीर घाटी में कमजोर है, इसलिए दोनों साथ आ सकते हैं
अगर ऐसा हुआ तो फिर आजाद वहां की जनता को अच्छे से समझा पाएंगे, वहां शांति आएगी

जम्मू-कश्मीर में शांति स्थापित होने का मतलब सेना भेजकर नहीं बल्कि आम जनता का सरकार में भरोसा दिलवाने से है और मोदी के बाद ये काम गुलाम नबी आजाद वहां अच्छी तरह कर सकते हैं, इसके बाद बारी पीओके की आएगी. पीएम मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह और जेपी नड्डा जैसे नेता कहते रहे हैं कि अब पाकिस्तान से बात पीओके पर होगी, मोदी सरकार के एक मंत्री ने तो यहां तक कह दिया कि हो सकता है 2024 तक पीओके भारत का हिस्सा बन जाए. ये कैसे बन सकता है ये भी समझ लीजिए.
पीओके की जनता जम्मू-कश्मीर का विकास देखकर इंडिया के साथ मिलना चाहती है, जबकि पाकिस्तान उसे प्रांत बनाने वाला है, अगर ऐसा हुआ तो वहां विरोध तेज होगा, जम्मू-कश्मीर में मुख्यमंत्री कोई भी बने लेकिन उसका कंट्रोल केन्द्र के पास होगा क्योंकि वो केन्द्रशासित प्रदेश है, अगर पाकिस्तान ने इस बार बवाल मचाया तो भारत सरकार सेना भेज सकती है, क्योंकि बगैर सेना पीओके हासिल नहीं किया जा सकता. देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने भी एक बार कहा था कि सेना तो हमेशा तैयार है, बस सरकार के आदेश का इंतजार है.

महबूबा मुफ्ती, फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला जैसे नेता हमेशा भारत के खिलाफ रहे
इसलिए श्रीनगर के लालचौक पर तिरंगा फहराने में हिंदुस्तान को कई सालों का वक्त लगा
कश्मीर के घर-घर में तिरंगा फहराया तो लोग POK में तिरंगा लहराने की मांग करने लगे हैं
POK की राजधानी मुजफ्फराबाद में तिरंगा लहराना ही मोदी सरकार का अगला टारगेट होगा
पीओके के कई लोग मोदी सरकार से मदद की गुहार लगा चुके हैं, विदेश मामलों के एक्सपर्ट कहते हैं कि पीओके को हासिल करने के लिए भारत को सिर्फ सेना उतारने की जरूरत है क्योंकि ये भारत और पाकिस्तान का मसला है, इसमें यूएन का कोई रोल नहीं है. इसलिए मोदी सरकार ने यूएन से वो प्रस्ताव वापस ले लिया है जो नेहरू अपने वक्त लेकर गए थे, नेहरू का जोर था कि हम यूएन से पीओके वापस लेंगे लेकिन मोदी का जोर है जब हम सक्षम हैं तो फिर यूएन से मदद क्यों मांगें.
पीएम मोदी कोई भी कदम बड़ा सोच-समझकर उठाते हैं, 370 हटाने से पहले भी उन्होंने हालात को समझा था, इसी तरह अब पीओके के पक्ष में पहले माहौल बन रहा है, पाकिस्तान पहले से ही कंगाली की हालत में है, वो चीन को अपने कुछ इलाके बेचने की कोशिश में है, ऐसे में अगर अक्साई चीन जैसी हिमाकत पाकिस्तान ने दोबारा की तो इस बार भारत उसे बख्शने के मूड में बिल्कुल नहीं है, आप इस बात के लिए तैयार रहिए कि जैसे श्रीनगर के लालचौक पर तिरंगा लहराया वैसे ही मुजफ्फराबाद में भी लहराएगा.