- वो 5 करोड़ महीना कमाता है लेकिन फोन टूटा हुआ रखता है,धोनी भी उसके मुरीद हैं!
- गांव के हर आदमी को 5 हजार महीना देता है,जितना कमाता है सब दान कर देता है
- गरीबी में मिट्टी खाकर पला,फटे जूते पहनकर दौड़ा, लेकिन अपना सपना नहीं छोड़ा!
ये टूटा हुआ फोन दुनिया के उस महान खिलाड़ी का है, जो हफ्ते में पौने दो करोड़ कमाता है, लेकिन सादगी इतनी है कि अपने देश, अपने गांव और अपनी मिट्टी के लिए सब कुर्बान कर देता है. आपने धोनी के जमीन से जुड़े होने की खूब तस्वीरें देखी होंगी, आप रतन टाटा को सादगी का सबसे बड़ा मिसाल मानते होंगे लेकिन इस खिलाड़ी की कहानी सुनने के बाद धोनी की तरह आप भी इसके मुरीद हो जाएंगे. हम आपको इस टूटे हुए फोन की कहानी बताएं उससे पहले ये तस्वीरें देखिए.
ये हैं सादियो माने, अंग्रेजी में कुछ लोग इन्हें साडियो माने भी कहते हैं, अफ्रीका में एक देश है सेनेगल, जहां के बंबाली गांव में आज से 30 साल पहले एक लड़के का जन्म हुआ, जिसे पिता फुटबॉलर बनाना चाहते थे, लेकिन घर की हालत ऐसी थी कि खाने तक को पैसे नहीं थे, बचपन में जब रोटी नहीं मिलती थी तो ये मिट्टी खाकर भूख मिटाता था, जब ये लड़का 7 साल का था तो पिता को हार्ट अटैक आया, गांव में दूर-दूर तक हॉस्पिटल नहीं था और जेब में पैसे भी नहीं थे कि उनका इलाज करवा सके, आखिर में उनकी मौत हो गई. अब पूरे घर की जिम्मेदारी इस लड़के पर आ गई, लेकिन फुटबॉल खेलने का कीड़ा अभी जिंदा था.

तभी पता चला कि शहर में फुटबॉल का एक कंपटीशन होने वाला है तो फटे जूते पहनकर करीब 150 किलोमीटर दौड़ता हुआ ये लड़का कई दिनों बाद उस कंपटीशन में पहुंच गया, जहां पूरी फुटबॉल किट के साथ पहुंचे खिलाड़ियों ने इसका मजाक उड़ाया, कोच ने ये तक कह दिया कि तुम क्या फुटबॉल खेलोगे तुम्हारे तो जूते ही फटे हुए हैं लेकिन ये हिम्मत नहीं हारा और दो मिनट में इसने ऐसा खेल दिखाया कि कोच भी इसके मुरीद हो गए, उसके बाद तो फुटबॉल के इसने इतने गुर सीखे कि आज जैसे क्रिकेट में आप धोनी औऱ तेंदुलकर को मानते हैं, वैसे ही फुटबॉल प्रेमी सादियो माने को मानते हैं.
- सबसे पहले फ्रांस के एक बहुत बड़े क्लब में सादियो को जगह मिली, फिर ऑस्ट्रेलिया के क्लब में
- उसके बाद इंग्लैंड के फुटबॉल क्लब लीवर पुल ने सादियो के साथ कॉन्ट्रैक्ट किया,कई रिकॉर्ड बनाए
- 2 मिनट 56 सेकेंड में 3 गोल करने का रिकॉर्ड आज भी कोई नहीं तोड़ पाया,अब क्लब बदल लिया
- फिलहाल सादियो बायर्न म्यूनिख क्लब में हैं,जिसने उनसे करीब 330 करोड़ रुपये का करार किया है
फिलहाल सादियो के पास इतनी संपत्ति है कि वो दुनिया के अमीर फुटबॉलर्स में गिने जाते हैं, लेकिन खुद पर कम और गांव पर ज्यादा खर्च करते हैं. गांव में अस्पताल बनवाने के लिए सादियो ने 638 हजार डॉलर दिए जबकि स्कूल बनवाने के लिए 319 हजार डॉलर दिए. आज भी ये अपने गांववालों को 70 डॉलर यानि करीब 5 हजार रुपये महीने देते हैं, ताकि इन्हें जिस तरह बचपन गुजारना पड़ा, फटे जूते पहनकर दौड़ना पड़ा और फुटबॉल खेलने के लिए संघर्ष करना पड़ा वो किसी बच्चे को न करना पड़े, जब कोई पूछता है कि आप टूटा हुआ फोन क्यों रखते हैं तो सादियो बेहद ही सादगी भरा जवाब देते हैं.

“मैं फोन ठीक करवा लूंगा, मैं ऐसे हजार फोन खरीद सकता हूं, लेकिन मुझे 10 फरारी, 2 जेट प्लेन और 20 डायमंड घड़ियों की क्या जरूरत है, मुझे ये सब क्यों चाहिए? मैंने गरीबी देखी है, मैं पढ़ने के लिए स्कूल नहीं जा पाया, यही वजह है कि मैंने अपने देश में स्कूल बनवाए ताकि बच्चे पढ़ सकें, फुटबॉल स्टेडियम भी बनवाए हैं ताकि किसी को मेरी तरह सैकड़ों किलोमीटर दूर दौड़कर न जाना पड़े, मैं फुटबॉल किट भी बांटता हूं”
सादियो माने, अफ्रीकी फुटबॉलर
मतलब इतना संघर्ष और फिर त्याग हर किसी के वश की बात नहीं है, हिंदुस्तान में भले ही गांधी की सादगी को लोग नहीं मानते, धोनी जैसे कुछ बड़े क्रिकेटर इलाज करवाने एक वैद्य के पास पहुंचकर ये संदेश देते हों कि हम जमीन से जुड़े हों, करोड़ों रुपये दान देकर तेंदुलकर, गंभीर और कोहली जैसे खिलाड़ी लोगों की मदद का मैसेज देते हों लेकिन सादियो जैसा दिल शायद ही कोई दिखा पाए कि अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा दान कर दे, खुद टूटा हुआ फोन रखे ताकि अपने गांव और बच्चों का सपना पूरा कर सके.