क्या टीम इंडिया में सबकुछ ठीक नहीं है? रोहित शर्मा के साथ सभी खिलाड़ी नहीं है? पहले विराट का अलग बयान अब पांड्या का बेबाक बयान कई इशारे करता है? पांड्या ने खुलकर वो कह दिया जो कोई नहीं कह पा रहा था…रोहित हार की वजह गेंदबाज़ों को मानते रहे लेकिन पांड्या का इशारा गलत कप्तानी और गलत फैसले की तरफ था…भारत में जब ऑलराउंडर खिलाड़ियों को कप्तान बनाया गया है तब-तब कीर्तिमान स्थापित हुए हैं…इसलिए टीम मैनजमेंट का मूड बन चुका है…अगर ऑस्ट्रेलिया सीरिज़ और साउथ अफ्रीका सीरिज़ रोहित हार जाते हैं तो फिर विश्वकप से पहले भी रोहित से कप्तानी छिनकर विराट के इशारे पर पांड्या को मिल सकती है…द्रविड़ की रोहित सुनने को तैयार नहीं हैं…रोहित की टीम सुनने को तैयार नहीं है…रोहित खिलाड़ियों की सुनने को तैयार नहीं…पहले आपको सुनाते हैं..रोहित शर्मा ने क्या कहा…फिर आपको दिखाते हैं हार्दिक पाड्या का इशारा क्या था? जिससे कहा जा रहा है कि भावी कप्तान विराट नहीं पांड्या है

मुझे नहीं लगता कि हमने उतनी अच्छी गेंदबाजी की. 200 रन का स्कोर बचाव के लिए काफी अच्छा है, लेकिन हमने मैदान में मिले कैच लपकने के मौकों का फायदा नहीं उठाया…मुझे लगता है हमने अच्छी बल्लेबाजी की…हमारे लिए ये समझने के लिए अच्छा मैच रहा कि हम कहां गलत रहे और अगले मैच में हम क्या बेहतर कर सकते हैं.

रोहित ने सबकी आलोचना की लेकिन खुद जवाबदेही नहीं ली…ग़लत कप्तानी…दरअसल कैप्टन अपनी टीम को चुनता है..जिसमें न कोच की चलती न किसी और की…रोहित का फैसला था बुमराह को बैठाकर उमेश यादव को मौका देना…अर्शदीप को बैठाकर हर्षल को मौका देना…यही बात पांड्या ने कह दी तो बवाल मचना तय था…

जसप्रीत के वहां नहीं होने से काफी फर्क पड़ता है. वह चोट के बाद वापसी कर रहा है, उसके लिए यह महत्वपूर्ण है कि उसे वापसी के लिए पर्याप्त समय मिले और उस पर ज्यादा दबाव नहीं डाला जाए…हमने अच्छा खेला पर सुधार की ज़रूरत है…बुमराह होते तो ये मैच कहीं और होता…टीम में जो 15 खिलाड़ी हैं, इंडिया के बेस्ट प्लेयर हैं इसलिए वो यहां पर हैं…हमें सीखने की ज़रूरत है
अब बुमराह को रोहित ने क्यों नहीं खिलाया ये बात किसी को समझ में नहीं आ रही है…हालांकि दिग्गजों को क्यों लगता है कि पांड्या को अगला कप्तान होना चाहिए…वो हम समझाते हैं…साल 1983 के विश्व कप में कपिल देव की न सिर्फ कप्तानी अच्छी थी बल्कि खेल से भी सबका दिल जीता था…17 रन पर पांच विकेट गिरने के बाद अकेले 175 रन बनाकर जिम्बाब्वे के मुंह से मैच छिन लिया था…फिर सौरभ गांगुली बने तो टी-शर्ट उतारने से लेकर टीम को खड़ा करने तक का श्रेय जाता है…भारत गांगुली के दौर में संघर्ष करना सीखा…और अब बारी है पांड्या की…क्योंकि पांड्या गुजरात टाइटंस की कप्तानी करते हुए ये साबित कर दिया था कि फाइनल कैसे जीता जाता है…
गुजरात टाइटंस ने पहली बार IPL का महामुकाबला खेला और हार्दिक की कप्तानी की बदौलत विजेता बनी
इसका ईनाम हार्दिक को बीसीसीआई ने आयरलैंड दौरे पर कप्तान बनाकर दिया, वहां भी टीम इंडिया जीती
वेस्टइंडीज के खिलाफ आखिरी मैच में पांड्या कप्तान बने,अपने शानदार फैसलों से टीम इंडिया को जिताया
उस टीम में पांड्या के पास संजू सैमसन, ईशान किशन, सूर्यकुमार, डीके और राहुल त्रिपाठी जैसे खिलाड़ी थे
हार्दिक के बल्ले से रन बरसता है, मुसीबत में विकेट चटकाते हैं और शानदार फील्डिंग से दिल जीत लेते हैं
अगर हार्दिक कप्तान बने तो वो गांगुली औऱ कपिलदेव की तरह शानदार ऑलराउंडर कप्तान बन सकते हैं!

पांड्या से धोनी की ख़ास बनती है…किसी जुनियर खिलाड़ी की भी पांड्या से कोई ख़ास दुश्मनी या विरोध नहीं रहता है…दुनियाभर के दिग्गज खिलाड़ी पांड्या के फैन हैं, पाकिस्तान के पूर्व कप्तान शाहिद आफरीदी तो यहां तक कह चुके हैं कि हमारे पास हार्दिक पांड्या जैसे आलराउंडर कप्तान की कमी है. वेस्टइंडीज के पूर्व कप्तान कैरन पोलार्ड तो हार्दिक के लंबे-लंबे शॉट के मुरीद हैं, हार्दिक ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हुए मैच में जब आखिरी की तीन गेंद पर लगातार छक्के जड़े तो ऑस्ट्रेलिया के बड़े-बड़े खिलाड़ी भी मुंह देखते रह गए, लेकिन रोहित शर्मा ने 19वें ओवर में भुवनेश्वर कुमार को गेंद देकर ऐसी गलती की कि हार्दिक, राहुल और सूर्यकुमार यादव की शानदार बल्लेबाजी के बावजूद टीम इंडिया हार गई, अगर हार्दिक कप्तान होते तो शायद नतीजे कुछ और होते