खुद PM मोदी रतन टाटा की ख़ूब इज्जत करते है…देश का ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो रतन टाटा का विरोध करता हो? 84 साल के रतन टाटा को भारत रत्न देने की मांग एक साल से उठ रही है, गांव के गली के लड़के से पूछिए या शहर के विद्वान से हर कोई यही करेगा रतन टाटा इसे डिजर्व करते हैं. फिर सरकार ने इस पर आंख क्यों बद कर रखा है, क्या अगले साल भारत रत्न के लिए रतन टाटा के नाम का ऐलान हो सकता है…हम इसकी वजह आपको बताएं उससे पहले पद्मश्री और पद्म विभूषण से सम्मानित हो चुके रतन टाटा को कौन सा नया सम्मान मिला है

आरएसएस से जुड़े सेवा भारती संगठन ने 7 अक्टूबर को रतन टाटा को सेवा रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया. ये पुरस्कार उन्हें समाज की भलाई के लिए किए गए कार्यों के मिला. मतलब आरएसएस भी ये चाहती है कि रतन टाटा को देश का सर्वोच्च सम्मान मिलना चाहिए.
लेकिन ये सम्मान हमारे और आपके चाहने से किसी को नहीं मिलता. इस सम्मान की सिफारिश देश में सिर्फ प्रधानमंत्री ही कर सकते हैं, जिसने भी अपने क्षेत्र में देश के लिए कुछ यूनिक किया हो, उसे ये सम्मान मिलता है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी रतन टाटा के मुरीद हैं, देखते ही हाथ जोड़ लेते हैं, उन्हें सम्मान देते हैं, तीन साल से भारत रत्न पुरस्कार किसी को मिला नहीं है, साल 2019 में आखिरी बार तीन लोगों को ये पुरस्कार मिला था. उसके बाद से भारत रत्न का ऐलान नहीं हुआ, इसलिए ऐसा कहा जा रहा कि अगले ऐलान में रतन टाटा का नाम हो सकता है…क्योंकि बीते साल जब मोटिवेशनल स्पीकर विवेक बिन्द्रा ने ये कैंपेन चलाया कि रतन टाटा को भारत रत्न मिलना चाहिए तो सोशल मीडिया पर कमेंट की बाढ़ आ गई, लोगों ने ये तक कहा कि अगर रतन टाटा को नहीं तो फिर ये सम्मान किसे मिलेगा, वेदांत बिड़ला ने भी रतन टाटा को भारत रत्न देने की मांग की, यहां तक दिल्ली हाईकोर्ट में भी याचिका दायर हुई, जिसे देखते ही जज साहब भड़क गए और याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या अब ये भी कोर्ट तय करेगी, आप याचिका वापस लोगे या जुर्माना लगाएं. हालांकि उससे पहले ही रतन टाटा ने एक चिट्ठी लिखी और ये कैंपने भी शांत हो गया, उन्होंने चिट्ठी में लिखा कि

सोशल मीडिया पर मैं अवॉर्ड को लेकर लोगों की भावनाओं का सम्मान करता हूं, लेकिन मैं बेहद नम्रता के साथ ये अपील करना चाहता हूं कि ऐसे अभियान बंद कर दिए जाएं, मैं भारतीय होने और भारत के सुख-समृद्धि में योगदान कर सकने पर खुद को भाग्यशाली समझता हूं.
यही रतन टाटा की सादगी है जो उन्हें इसका हकदार बनाती है, आज भी वो मुंबई में एक बैचलर की तरह जीवन जीते हैं, कुछ किताबें और डॉग ही उनकी जिंदगी का हिस्सा हैं, बुजुर्गों का अकेलापन दूर करने के लिए उन्होंने गुडफेलोज स्टार्टअप में निवेश किया है, जिसे लॉन्च करने वाले शांतनु नायडू रतन टाटा के बेहद करीबी हैं, आज भी रतन टाटा अपनी कमाई का ज्यादातर हिस्सा दान कर देते हैं, टाटा ग्रुप ने करीब 7 लाख करोड़ से ज्यादा की संपत्ति दान कर दी है, हर सेक्टर में देश को नई दिशा देने वाले रतन टाटा को अगर भारत रत्न मिलता है तो वो देश के दूसरे उद्योगपति होंगे जिन्हें भारत रत्न मिलेगा. क्योंकि इससे पहले टाटा ग्रुप के चेयरमैन और जमशेदजी टाटा के दोस्त के बेटे जेआरडी टाटा को साल 1992 में भारत रत्न मिला था. अब तक देश में 48 हस्तियों को भारत रत्न मिल चुका है, जिसमें खेल में सचिन तेंदुलकर और उद्योगपतियों में जेआरडी टाटा इकलौते भारत रत्न पाने वाले व्यक्ति हैं. कहते हैं कि जेआरडी टाटा भारत में सिविल एविएशन इंडस्ट्री के जनक थे, जो एयर इंडिया लेकर आए, IAS की तर्ज पर टाटा कंपनी में TAS की शुरुआत की और कर्मचारियों के फायदे के लिए 8 घंटे की ड्यूटी तय की, कर्मचारियों के लिए ऐसे कई फैसले रतन टाटा भी ले चुके हैं, उन्होंने तो मिडिल क्लास के कार में बैठने का सपना पूरा किया है, एक लाख में नैनो कॉर बेचकर वो काम किया है जो देश ही नहीं बल्कि दुनिया के बड़े-बड़े उद्योगपति नहीं कर पाए, इसीलिए पूरा देश एक सुर में कहता है कि रतन टाटा जैसा दूसरा कोई न तो हुआ है और न होगा, ऐसा व्यक्ति ही भारत रत्न का असली हकदार है. अगर आप भी चाहते हैं कि रतन टाटा को भारत रत्न मिले तो इस वीडियो को इतना शेयर कीजिए कि प्रधानमंत्री तक ये आवाज पहुंचे.