जिस तरह से हर हिंदुस्तानी रतन टाटा को भारत रत्न दिलाना चाहता है, वैसे ही मोदी को नोबेल शांति पुरस्कार देने का समर्थन दुनिया के बड़े-बड़े नेता करने लगे हैं, इससे पहले जब जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटा, और पाकिस्तान से अभिनंदन की वापसी हुई, तभी कई दिग्गजों ने कहा इमरान खान और पीएम मोदी दोनों को नोबेल शांति पुरस्कार देना चाहिए, लेकिन वक्त बीता, और अब इमरान खान पुलिस के डर से इधर-उधऱ भाग रहे हैं, जबकि मोदी का कद लगातार बढ़ रहा है, लेकिन सवाल ये है कि जिस देश में गांधी को सुपरमैन कहा जाता है, दुनिया ने जिस गांधी को सबसे बड़ा शांतिदूत बताया, उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिला पर पीएम मोदी को क्यों मिलने वाला है, नॉर्वे से इंडिया आई नोबेल शांति पुरस्कार टीम के डिप्टी हेड एस्ले टोजे ने कहा मोदी दुनिया में शांति लाएंगे. पहले आप उनका पूरा बयान सुनिए फिर बताते हैं कि मोदी को नोबेल मिला तो क्या-क्या बदल सकता है.

मैं मोदी की कोशिश को फॉलो कर रहा हूं. मोदी जैसे ताकतवर लीडर में शांति स्थापित करने की जबरदस्त क्षमता है. पीएम मोदी ने रूस अमेरिका और चीन के राष्ट्राध्यक्षों से बात की है कि भविष्य शांति का हो ना कि युद्ध का. मुझे ख़ुशी है कि मोदी सिर्फ़ भारत को ही आगे बढ़ाने का काम नहीं कर रहे हैं बल्कि उन मुद्दों पर भी काम कर रहे हैं जो दुनिया में शांति के लिए ज़रूरी हैं.
यानि 22 साल पहले तक जो लोग मोदी पर गुजरात दंगे का दाग लगा रहे थे, उन्हें भला-बुरा कह रहे थे, पहले उन्हें सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जवाब मिला और अब दुनिया का सबसे बड़ा पुरस्कार उनके झूठे आरोपों की पोल खोलने वाला है. अब अगर मोदी को शांति पुरस्कार मिलता है तो क्या-क्या बदल सकता है यहां ये समझना भी जरूरी है, सबसे पहला बदलाव तो यही होगा कि मोदी कद और बड़ा हो जाएगा, दूसरा बदलाव चीन और पाकिस्तान जैसे देश फालतू का टांग अड़ाने से बचेंगे, लेकिन जो देश शांति की भाषा नहीं समझते उनसे मोदी कैसे निपटेंगे, क्योंकि ये सिर्फ एक पुरस्कार नहीं बल्कि एक जिम्मेदारी भी होती है, जब साल 2009 में ओबामा को शांति पुरस्कार मिला तो वो इराक युद्ध से बचने की कोशिश करने लगे लेकिन लीबिया और सीरिया में ऐसे फंसे कि ये पुरस्कार वापस लेने की मांग होने लगी. पर ये कोई ऐसा अवॉर्ड तो है नहीं कि मन हुआ तो दे दिए और मन हुआ तो वापस मांग लिया. अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत कहती है कि जिसने भी दो देशों के बीच तनाव कम करने, सेना की संख्या कम करने और शांति स्थापित करने के लिए ज़्यादा से ज़्यादा काम किया है. वो इस पुरस्कार का हकदार है.
अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के हेड ने कहा था मोदी ने पुतिन को परमाणु बटन दबाने से रोका
पुतिन के सामने भी कहा दोस्त युद्ध का रास्ता छोड़ो, दुनिया में शांति कायम करना काफी जरूरी है
अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन से लेकर ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री तक को मोदी ने शांति का संदेश दिया
चीनी राष्ट्र्पति तक को भी यही समझाया कि शांति में ही भलाई है, बाकी सेना तो हर वक्त तैयार है ही, न सिर्फ शांति बल्कि अफगानिस्तान से लेकर श्रीलंका और तुर्की तक में मोदी ने सबसे पहले मदद पहुंचाई, जिससे दुनिया में ये संदेश गया कि मोदी मानवता के सबसे बड़े हितैषी हैं और ऐसे व्यक्ति को नोबेल दिया जाना चाहिए, हालांकि नोबेल के लिए तो नाम किसी का भी पहुंच जाता है, पर मिलना आसान नहीं होता, पिछले साल मोहम्मद जुबैर और प्रतीक सिन्हा का नाम जब नोबेल की लिस्ट में शामिल हुआ तो जमकर हंगामा खड़ा हुआ, अब तक हिंदुस्तान के सिर्फ दस लोगों को नोबेल मिला है, जिसमें कोई नेता नहीं है, सारे वैज्ञानिक और समाजसेवी हैं.
ब्यूरो रिपोर्ट ग्लोबल भारत टीवी