दो दिन पहले प्रयागराज में जो हुआ, उसकी कहानी आज से नहीं बल्कि 18 साल पहले से शुरू होती है, धूमनगंज थाने के जयंतीपुर में एक लड़का रहता था जो अपने तीन भाइयों में दूसरे नंबर पर था, उसका काम था टैंकर की सफाई करने का, मतलब रोजाना की कमाई कुछ सौ से ज्यादा नहीं थी, वैसे भी सफाईवाला पूरी जिंदगी अगर कुछ खर्च न भी कर तो भी करोड़पति नहीं बन पाएगा, पर ये लड़का बना, वो कैसे…. ये एक लंबी कहानी है, जिसके बारे में जानने के लिए थोड़ा पीछे चलना होगा.

ये बात है साल 2005 से पहले की, धूमनगंज थाने का एक हिस्ट्रीशीटर था राजू पाल, जिसने अतीक अहमद के भाई को उपचुनाव में चुनौती दी, और मायावती की पार्टी से चुनाव जीत लिया, लेकिन जिंदगी की जंग हार गए, अतीक के गुर्गों ने बीच सड़क पर फिल्मी स्टाइल में मार दिया, कहते हैं राजू पाल को पंक्चर बनाने वाले की बेटी पूजा से प्यार था और विधायक बनते ही उसने पूजा से शादी कर ली, पूजा इस ल़ड़के यानि उमेश पाल की चचेरी बहन थी, यानि रिश्ता साला-बहनोई का था, लेकिन यहां उससे ज्यादा रिश्ता दोस्ती का हो गया था, उमेश राजू को न्याय दिलवाने के चक्कर में पूजा के साथ कभी लखनऊ तो कभी दिल्ली के चक्कर काटने लगे, आखिर में पूजा का मन बदला और उन्होंने समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर ली, लेकिन उमेश के दिल में बदले और पैसा कमाने दोनों की इच्छी थी, तो अतीक के खिलाफ गवाही दी, जिसके कुछ दिनों बाद ही उनका अपहरण हो गया.

कहते हैं इस बात को लोगों के बीच उमेश ने ऐसे बताया और इतनी सिंपैथी बटोरी कि इलाके में अच्छा-खासा वर्चस्व बना लिया, अतीक के खिलाफ जो लोग थे, उनकी मदद से वहां प्रॉपर्टी का कारोबार किया और धीरे-धीरे इतना पैसा कमाया कि इलाके में रसूखदार बन गए, और साल 2017 में ही अखिलेश की पार्टी में शामिल हो गए, पर वहां विधायक बनने की इच्छा पूरी नहीं हुई तो साल 2022 में बीजेपी में आ गए, और यही उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट था. आज अगर राजू पाल सपा में होते तो शायद उनकी इतनी बात नहीं हो रही होती, उन्होंने अतीक के खिलाफ ये मुकदमा करवाया कि गवाही देने के लिए उन्हें उसके गुर्गों ने धमकाया और पीटा, जिसमें 24 फरवरी 2023 को वो गवाही देने पहुंचे थे, लेकिन जब वो कोर्ट में गवाही दे रहे थे, इधर रेकी करने वाले मुस्तैद खड़े थे और प्लानिंग इतनी तगड़ी थी कि उनकी सुरक्षा में तैनात गनर को भी संभलने का मौका नहीं मिला, सीसीटीवी में अब सबकुछ साफ दिख रहा है, जिस गनर की कोई गलती नहीं थी, वो भी इस लड़ाई की भेंट चढ़ गया, आज उसके घर में भी मातम का माहौल है, पर उसकी बात लोग नहीं कर रहे, क्योंकि बात हमेशा बड़े लोगों की होती है, पर इन बातों से ज्यादा मतलब इस बात का है कि प्रयागराज के पांच किरदार कौन-कौन हैं.
जिस दुकान में ये आरोपी खड़े थे, क्या इसका दुकानदार भी शामिल है.
अतीक अहमद या उसके बेटों ने किसके जरिए गुर्गों तक मैसेज पहुंचाया.
कोर्ट से लेकर घर तक रेकी हुई, तो क्या उमेश का कोई करीबी भी शामिल है,
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विधानसभा में सीएम योगी ने जब कहा कि माफिया को मिट्टी में मिला देंगे तो अखिलेश को इस बात का बुरा क्यों लग गया, क्या अतीक को इतने आरोपों के बाद भी वो खुलकर सपोर्ट करना चाहते हैं, अब अतीक के दोनों बेटे पुलिस के शिकंजे में हैं, बाबा का रौद्र रूप बता रहा है कि असली गुनाहगार चाहे पाताल में हो फिर भी ढूंढ निकाला जाएगा, पर सवाल ये है कि पूर्वांचल में कब तक खुलेआम इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी, बुलडोजर बाबा के राज में व्यवस्थाएं बिगाड़ने वाले ये लोग कौन हैं, जिन्हें अब भी डर नहीं लग रहा, क्या ऐसे लोगों के खिलाफ बाबा को कार्रवाई का तरीका और भी कठोर करना होगा.