कोई भी नेता सियासत मां की पेट से सीख कर नहीं आता है! कुछ मोदी बन जाते हैं, कुछ राहुल गांधी बन जाते हैं, पर कुछ ऐसे होते हैं जिनकी पहचान कम हो पर वो देश का दिल जीत लेते हैं…ये हैं भारत के ओडिशा से BJD पार्टी के राज्यसभा सांसद सस्मित पात्रा…आज हम आपको तीन तस्वीर दिखाएंगे, पहली तस्वीर राहुल गांधी की है, जो लंदन में भारत की बुराई करके आए हैं, दूसरी तस्वीर सांसद की जिन्होंने जोश भर दिया, और तीसरी तस्वीर अटल जी की जिन्होंने 46 साल पहले अमेरिका में भारत का झंडा बुलंद कर दिया था…दुनिया भर के देश भारत की तारीफ कर रहे हैं, बहरीन के कार्यक्रम में सस्मित पात्रा ने अपने छोटे से भाषण से राहुल गांधी को राजनीति का ककहरा सिखा गए…पहले आप वही सुनिए फिर हम आपको राहुल और अटल जी का भी भाषण हिन्दी में सुनाते हैं…

यहां मौजूद सभी लोगों को भारत की ओर से मेरा नमस्कार, भारत ने कभी किसी पर भी हमला नहीं किया है. भारत ने महात्मा गांधी के अहिंसा के सिद्धांत पर यकीन किया और इस वजह से शांति के सिद्धांत को आगे बढ़ाता आया है. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नाते भारत लोकतंत्र, समावेशी समाज और शांतिपूर्ण सह अस्तित्व को बढ़ावा देने में यकीन रखता है. भारत वसुधैव कुटुम्कबम में यकीन रखता है, जिसका मतलब है पूरी दुनिया एक परिवार है. इसी विश्वास के साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और समावेशी समाजों में भारत ने 99 देशों और संयुक्त राष्ट्र की संस्थाओं को ‘मेक-इन-इंडिया’ कोविड टीकों की 291 मिलियन (29.1 करोड़) से ज्यादा डोज दी. आज भारत ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास’ के सिद्धांत पर आगे बढ़ रहा है. जिसका अर्थ है सभी के लिए भाईचारे की भावना, सभी का विकास, सबका विश्वास, सभी का समावेशी प्रयास और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का मंत्र.
राहुल गांधी, लंदन में दिए गए भाषण का हिस्सा

अब आप राहुल गांधी का भी भाषण सुन लीजिए, लंदन में खड़े होकर कैसे भारत का अपमान कर आए थे, राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा की पर विदेश में जाकर भारत तोड़ो वाला भाषण क्यों दे आए?
मेरे विचार में मोदी भारत के बुनियादी ढांचे को बर्बाद कर रहे हैं, वो भारत पर एक ऐसा विचार थोप रहे हैं, जिसे भारत कभी स्वीकार नहीं कर सकता.
संयुक्त राष्ट्र को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक मंच समझा जाता है…राहुल गांधी लंदन से उसी संयुक्त राष्ट्र से गुहार लगा रहे थे कि भारत के लोकतंत्र को बचा लो…पर राहुल शायद भारत का इतिहास नहीं जानते? क्योंकि आज से 46 साल पहले, संयुक्त राष्ट्र के मंच से पहली बार हिंदी गूंजी थी…कंठ था मां भारती के ऐसे सपूत का जिसकी वाकपटुता और भाषण-कौशल का मुरीद पूरा हिन्दुस्तान था…4 अक्टूबर 1977 को, तत्कालीन विदेश मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्र के मंच से करीब 43 मिनट भाषण दिया था..अटल का वो भाषण आज भी याद किया जाता है…वो भाषण आप भी सुनिए…
अटल बिहारी वाजपेयी, 4 अक्टूबर 1977, संयुक्त राष्ट्र संघ

मैं भारत की जनता की ओर से राष्ट्रसंघ के लिए शुभकामनाओं का संदेश लाया हूं, यहां मैं राष्ट्रों की सत्ता और महता के बारे में नहीं सोच रहा हूं, आम आदमी की प्रतिष्ठा और प्रगति मेरे लिए कहीं अधिक महत्व रखती हैं, अंतत: हमारी सफलताएं और असफलताएं केवल एक ही मापदंड से मापी जानी चाहिए, कि क्या हम पूरे मानव समाज, वस्तुत: हर नर, नारी, बालक के लिए न्याय और गरिमा का आश्वसन देने में प्रयत्नशील हैं.
ये तीनों वीडियो करीब तीन पीढ़ियों की है, पर आपको सबसे ज्यादा अच्छी और सबसे शर्मनाक कौन सा लगी? भारत की तारीफ करने के लिए ज़रूरी नहीं अटल जैसा कद हो, या फिर पार्टी बड़ी हो, मन हिन्दुस्तानी होगा तो आप वही करेंगे जो बीजेडी के सांसद ने बहरीन में करके दिखाया है…आप भारत में एक दूसरे से लड़े पर बाहर जाते वक्त ध्यान रखे आप सिर्फ हिन्दुस्तानी हैं
ब्यूरो रिपोर्ट, GLOBAL BHARAT TV