योगी मोदी को मुस्लिम विरोधी कहने वाले देख लें ये तस्वीर
ये हैं 79 साल के दिलशाद हुसैन, जिनके आगे पीएम मोदी, अमित शाह और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी हाथ जोड़ रहे हैं, ये एक ऐसी शख्सियत हैं जिनका सियासत से कोई नाता नहीं है, ना ही कोई समाजसेवा का ऐसा कार्य करते हैं, जिसके चलते पीएम मोदी मुरीद हुए हों, बल्कि इनके अंदर एक ऐसी कला है, जिसके बारे में जानते ही हर कोई इन्हें सलाम ठोंकने लगता है, ये वीडियो देखिए कैसे राष्ट्रपति भवन में ये रेड कार्पेट पर चल रहे हैं, ऐसा सौभाग्य हर साल कुछ ही हिंदुस्तानियों को मिलता है, जो लोग कहते हैं मोदी और योगीराज में मुसलमान परेशान हैं, उन्हें ये तस्वीरें कई बार देखनी चाहिए,

दिलशाद हुसैन उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के रहने वाले हैं, पीतल पर की गई इनकी नक्काशी इतनी शानदार होती है, कि विदेशों तक उसकी सप्लाई होती है, पीएम मोदी जब जर्मनी के चांसलर से मुलाकात करने गए तो दिलशाद हुसैन के हाथ का बना हुआ खास नक्काशी वाला कलश लेकर गए थे, जिसे देखते ही जर्मन चांसलर ने कहा वाह, ये तो बहुत शानदार है, सिर्फ इतना ही नहीं कहा जाता है कि उन्होंने दिलशाद हुसैन के लिए स्पेशल थैंक्स भी भिजवाया था, मोदी इनकी कला से इतनी अच्छी तरह परिचित हैं, कि जब पद्मश्री पुरस्कार के लिए राष्ट्रपति भवन में जब इनके नाम का ऐलान हुआ तो वो पुरस्कार लेने जाने से पहले पीएम मोदी के पास गए, उसके बाद वहां से राष्ट्रपति के पास पहुंचे.
पद्मश्री मिलने के बाद सीएम योगी ने ट्वीट कर लिखा

पीतल नगरी मुरादाबाद के निवासी श्री दिलशाद हुसैन जी को ‘पद्म श्री’ से सम्मानित होने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं, आपने पीतल नक्काशी के क्षेत्र में नए प्रतिमान स्थापित किए हैं, स्थानीय कला को विश्व स्तर पर बढ़ावा देने हेतु आपके द्वारा किए गए प्रयास अभिनंदनीय हैं.
पद्मश्री सम्मान लेते वक्त भावुक हो गईं सीद्दी समाज की हिरबाई लोबी
इस बार राष्ट्रपति भवन में पद्मश्री के दौरान की तस्वीरें काफी भावुक कर देने वाली थी. कोई सांप पकड़ने वाला था, तो कोई आदिवासियों के बीच जिंदगी खपा देने वाला था, ये तस्वीर देखिए कैसे हिरबाई इब्राहिम लॉबी पीएम मोदी के सामने कुछ बोलने की कोशिश कर रही हैं,

वो शायद इसका आभार प्रकट करना चाह रहीं थीं, उनके सम्मान में कई केन्द्रीय मंत्री तालियां बजा रहे थे और उनकी भावुकता देख पीएम मोदी ने भी हाथ जोड़ दिए, जो ये दिखाता है कि कला चाहे गांव के कोने में छिपी हो, उसे समाज के सामने लाना और उसका कद्र करना सरकार का काम है. बचपन से सांप पकड़ने वाले तमिलनाडु के मासी सदाइयां और वदिवेल गोपाल की कहानी भी ऐसी ही है, जिन्होंने न जाने कितनों की जिंदगियां बचाई हैं, ऐसे लोग जब अपने अंदाज में लुटियंस दिल्ली में पहुंचते हैं, और उन्हें ढूंढ-ढूंढकर सम्मान मिलता है तो लगता है देश में कला की कद्र है, कई लोग कहते हैं कि के कई साल पहले तक पद्मश्री और पद्म पुरस्कार का पता भी पब्लिक को नहीं चलता था, लेकिन अब जनता के बीच से ही ऐसे लोग वहां पहुंच रहे हैं, जिनका काम असाधारण है, और ये असाधारण काम ही उनका परिचय है. ऐसे ही गुमनाम हस्तियों को सम्मानित करने की पहल साल 2014 में पीएम मोदी ने सत्ता में आने के बाद शुरू की थी. जिसे आगे बढ़ाते हुए हिरबाई लॉबी के अलावा बैगा चित्रकारी की जानी मानी कलाकार जोधया बाई बैगा, छत्तीसगढ़ की पंदवाली एवं पंथी कलाकार उषा बारले, केरल के जनजातीय किसान रमण चेरूवयाल समेत कुल 106 हस्तियों को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इन तस्वीरों पर आप क्या कहना चाहेंगे, कमेंट में लिखें.