फैक्ट्री में जैसे खिलौना बनता है, वैसे ही अब बच्चे बनने वाले हैं, सुनकर यकीन नहीं होता तो ये तस्वीर देखिए, जिसमें से बच्चा झांकता हुआ दिख रहा है, इस मशीन को वैज्ञानिक बेबी पोड कहते हैं, लेकिन आप इसे कृत्रिम गर्भाशय कह सकते हैं, क्योंकि ये ऐसी मशीन है जिसमें रखने के बाद बच्चे को बढ़ने के लिए मां के गर्भ की जरूरत नहीं पड़ेगी. और 9 महीने बाद जब इस मशीन से निकलेगा तो बिल्कुल अभी के बच्चों की तरह दिखेगा. इसके कई फायदे नुकसान भी हैं, जिस पर हम आएं उससे पहले जर्मनी के वैज्ञानिक और फिल्म प्रोड्यूसर हाशम अल घाइली का दावा सुनिए. घाइली का कहना है कि
इक्टोलाइफ कंपनी दुनिया की पहली आर्टिफिशियल यानि कृत्रिम बच्चा बच्चा बनाने वाली कंपनी होगी. इस प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए 75 लैब बने हैं, जिनमें से हर लैब में 400 बेबी पॉड लगा है, कुल मिलाकर 9 महीने बाद 30 हजार बच्चे बनकर तैयार हो जाएंगे.

ये जो मशीन आपको दिख रही है, इसमें पुरुष का स्पर्म और महिला का एग रखा जाएगा, जो भ्रूण बनेगा, फिर कुछ दिनों तक वैज्ञानिक उसकी देखरेख करेंगे, फिर दो-तीन हफ्ते बाद मां-बाप को बुलाकर एक रिमोट देंगे, उन्हें ये भी ऑप्शन देंगे कि आप चाहें तो इस मशीन को घर ले जा सकते हैं, और देख सकते हैं रोजाना बच्चा कैसे ग्रोथ कर रहा है, अगर आपको बच्चा तेज चाहिए, लंबी हाइट का चाहिए या गोरा चाहिए या फिर कोई भी बदलाव चाहिए तो वो रिमोट की मदद से हो सकता है, इसके लिए कुछ इंजेक्शन या फ्लुइड डाले जाएंगे. मतलब पूरी तरह से काम अलग लेवल का होगा, लेकिन इसके कुछ फायदे और नुकसान भी हैं, जिसे जानने के बाद कमेंट कर बताइए कि ये तकनीक कितनी कारगर होगी.

फायदे
- जो कपल बच्चा पैदा करने में सक्षम नहीं हैं, वो मनचाहा बच्चा पा सकते हैं
- जो स्त्री गर्भवती नहीं होना चाहिए और बच्चा चाहती है, उसे फायदा मिलेगा
- दिव्यांग यानि लूल्हा-लंगड़ा,अंधा-बहरा बच्चे पैदा होने की गुंजाइश कम होगी
- जिन देशों में जनसंख्या तेजी से घटी है,वहां इसका सबसे ज्यादा फायदा होगा
नुकसान
- ये बच्चे दिमाग से तेज होंगे लेकिन इनके अंदर इमोशन की कमी हो सकती है
- अगर ये सफल हुआ, लोगों ने इसे पसंद किया तो आबादी वि*स्फोट हो सकता है
- लैब में बने बच्चों की उम्र औऱ शारीरिक मजबूती की चिंता हमेशा ही बनी रहेगी
- बच्चा पैदा करने का पारंपरिक तरीका खत्म होगा, इस पर सवाल उठ सकते हैं
वैसे भी विज्ञान ने जब-जब ऐसी कोई खोज की है खूब सवाल उठे हैं, 70 के दशक में जब मनुष्य चांद पर पहुंचा तो उससे पहले ऐसे किस्से मशहूर थे कि वहां एक बुढ़िया बैठकर सूत कातती है, लेकिन जब इंसान वहां पहुंचा तो वो बूढ़िया नहीं थी. कहते हैं इंसान ने जब अंतरिक्ष में कदम रखा तो उसके बाद उसने सूर्य तक पहुंचने की भी कोशिश की, लेकिन बीच में उसे सोने से बना महल और ऐसा रथ मिला जिसे देखकर आंखें चौंधिया गईं और किसी तरह बचकर वापस लौटे, ये दावे प्रकृति को सबसे शक्तिशाली बताने वाले लोग करते हैं, लेकिन विज्ञान इन दावों को झूठा कहता हुआ अपनी धुन में लगा रहता है. पहाड़ को तोड़ने, नदी की धारा मोड़ने, जंगलों में महल बनाने और कृत्रिम भेड़ बनाने से लेकर कृत्रिम बारिश करवाने तक का काम विज्ञान की दम पर हो रहा है, और अब लैब में बच्चे बनाकर विज्ञान लगता है प्रकृति को पूरी तरह चुनौती देना चाहता है, जिसका परिणाम क्या-क्या हो सकता है ये आप भी जानते हैं. जो लोग आज भी बच्चे को भगवान की देन मानते हैं, वो विज्ञान की इस तरक्की पर क्या कहेंगे - https://youtu.be/9JPWyDwxpUM