अतीक को जिस तरीके से मारा गया, वो कोई साधारण बात नहीं लगती, सोशल मीडिया में इसे लेकर तरह-तरह की चर्चा है, मीडिया जो तस्वीरें और कहानियां आपको दिखा रही है, उससे भी आगे सोशल मीडिया निकल चुका है, जिसमें कई तरह के दावे किए जा रहे हैं, जिनमें से 5 बड़े दावे हम आपको दिखाते हैं, फिर आप बताइए कि क्या इन दावों में दम दिखता है.

- दावा नंबर 1- अतीक ने अपने कश्मीर और पाकिस्तान से संबंध के विषय में कई राज खोले और अतीक सपरिवार सरकारी गवाह बनने को तैयार हो गया था, उसकी पत्नी भी सरेंडर करने की तैयारी में थी. ये दावा इसलिए पुख्ता लगता है क्योंकि अतीक ने अपनी हत्या से ठीक पहले अपने भाई अशरफ के साथ कसारी मसारी के जंगल जाकर पुलिस को विदेशी अत्याधुनिक हथियार बरामद करवाए, अपना सीक्रेट अड्डा दिखाया. और कोई ऐसा राज बताया जिससे किसी खास नेता का बचना मुश्किल था. पर सवाल ये है वो नेता कौन है?
- दावा नंबर 2- योगी सरकार पर जिस तरह से माफियाओं के गाड़ी पलटने के आरोप लगते रहे है, उसे बदलने के लिए ही गुजरात से अतीक को यूपी लाया गया, यूपी में कोर्ट में पेशी भी ठीक से हुई, उसके बाद असद के एनकांटर के बाद भी अतीक के गुर्गे शांत रहे, मतलब कानून व्यवस्था पूरी तरह कंट्रोल में थी, यूपी पुलिस की तारीफ हो रही थी तो सरकार और पुलिस को बदनाम करने के लिए क्या ये खेल किसी और ने रचा है? क्योंकि कोई भी मुख्यमंत्री खुद की छवि खराब होने नहीं देना चाहेगा.
- दावा नंबर 3- तीनों हत्यारों ने जय श्री राम के नारे लगाए जोकि हिंदू आतंकवाद की थ्योरी पर फिट बैठाकर 2024 के चुनाव से पूर्व शायद बहुत बड़ा बवाल करवाया जा सके , तीनो आरोपी अलग अलग जाति ब्राह्मण , क्षत्रिय और शुद्र से चुने गए जिन्हे ऐसे विदेशी अत्याधुनिक हथियार उपलब्ध करवाए गए जिनसे अतीक का काम एक बार में ही तमाम हो सके, उन्हें खास ट्रेनिंग देकर भेजा गया ताकि पुलिस के पकड़ने के बाद भी उनका निशाना न चूके, कुछ लोग कह रहे हैं कि मुंबई हमले के वक्त जैसे कसाब हाथों में कलावा बांधकर आया था और अपना नाम उसने कुछ और रखा था, क्या यही खेल यहां भी रचा गया?
- दावा नंबर 4- आखिर अतीक ऐसा कौन सा राज खोलने वाला था, ऐसा कहा जा रहा है कि अतीक का काफ़ी पैसा यूपी के एक पूर्व मुख्यमंत्री के पास ही रखा हुआ है, अतीक ने गुजरात जेल से किसी नेता को पचासों बार फोन भी किया था, तब अतीक ने कहा था कहां है माननीय मुझे आपकी मदद की जरूरत है, लेकिन उस नेता ने हर बार फोन काट दिया, अतीक सांसद, विधायक सब रह चुका है, सियासत में उसकी पकड़ थी, तो सवाल नेताओं से परिचय पर नहीं है, बल्कि सवाल ये है कि क्या कोई नेता या बड़ा आदमी उसकी मदद कर रहा था, जिसका नाम अतीक ने पूछताछ में लिया हो और फिर ये कहानी रची गई हो.
- दावा नंबर 5- क्या पुलिस-प्रशासन में से ही किसी ने ये जानकारी लीक कि कि कब मेडिकल होगा और कहां-कहां काफिला रुकेगा, अतीक को ये बात किसने बताई कि अब तुम्हारी गर्दन फंसने वाली है, तुम बच नहीं पाओगे, क्योंकि अतीक के भाई अशरफ ने जेल से कुछ दिनों पहले चिट्ठी भी लिखी थी, जिसमें कहा था मैं जब मारा जाऊंगा तो ये चिट्ठी अदालत को मिलेगी, जिसमें धमकी देने वाला का नाम होगा, अब वो कौन है इसकी भी जांच होनी चाहिए,

ये वो दावे हैं जो सोशल मीडिया में तैर रहे हैं, लेकिन इन दावों से अलग योगी सरकार कानून-व्यवस्था को कंट्रोल करने के लिए पूरी तरह कोशिश में जुटी है. घटना के तुरंत बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने पूरे प्रदेश में सुरक्षा बढ़ाने के आदेश दिए हैं, कई जगहों पर इंटरनेट सेवा बंद है, ताकि कोई अफवाह न फैले, आधी रात को तीन घंटे मीटिंग हुई और उसके बाद डीजीपी को प्रयागराज रवाना कर दिया गया. इस घटना के बाद से योगी काफी गुस्से में हैं, पर सवाल ये है कि इस घटना को अंजाम दिया किसने.
ब्यूरो रिपोर्ट ग्लोबल भारत टीवी