पहले अरबाज और अब उम्सान के एनकाउंटर के बाद लोगों के दिमाग में पहला सवाल यही है कि अगला नंबर किसका होगा, क्या यूपी पुलिस ने पूरी लिस्ट तैयार कर रखी है, कि एक-एक कर सबको निपटाना है, यूपी की जेलों तक किसी आरोपी को पहुंचने ही नहीं देना है, क्योंकि सुबह करीब 5.30 बजे जब प्रयागराज के कौंधियारा थाना क्षेत्र में उस्मान और पुलिस के बीच मुठभेड़ हो रही थी, उसी वक्त एसटीएफ की 11 जवानों की टीम नेपाल निकलने की तैयारी कर रही थी,यूपी पुलिस को अतीक के बेटे असद और गुड्डू बमबाज की लोकेशन नेपाल के किसी इलाके में मिली है, जहां पुलिस पहुंचेगी उससे पहले हो सकता है वो लोकेशन बदलने की कोशिश करे पर बाबा की पुलिस नेपाल से खाली हाथ लौटेगी, इसकी उम्मीद कम दिखती है तो सवाल ये है कि
क्या अगले हफ्ते एक साथ दो एनकाउंटर की ख़बर सामने आएगी,क्योंकि अब तक का ट्रेंड यही कहता है?
क्या जिस असद को पुलिस डायरी में दिखा नहीं रही, उसे सीधा एनकाउंटर में मारकर सबूत पेश करेगी?

यूपी पुलिस के लिए ये केस उमेश पाल को न्याय दिलाने से ज्यादा खुद को न्याय दिलाने की लड़ाई है, उमेश की सुरक्षा में तैनात दोनों गनर यूपी पुलिस के जांबांज जवान थे, जिनमें से एक संदीप निषाद ने मौके पर ही दम तोड़ दिया तो दूसरे ने अस्पताल में कई दिनों तक जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ी लेकिन जैसे ही दूसरे गनर राघवेन्द्र सिंह की मौत की ख़बर आई यूपी पुलिस और आक्रामक मूड में आ गई, ये जो दूसरा एनकाउंटर हुआ है, वो इन्हीं शहीद पुलिसवालों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी, क्योंकि इन पर पहली गोली इसी उस्मान ने चलाई थी.
इसलिए इसकी तलाश में कई जगहों पर छापेमारी हुई,शुरुआत में सीएम योगी ने बुलडोजर ले जाने का आदेश दिया था,, लेकिन अब पुलिस बुलडोजर के साथ-साथ बुलेट लेकर भी घूम रही है कि घर बुलडोजर से गिरेगा और आरोपी बुलेट से गिराए जाएंगे, ताकि ऐसा दुस्साहस कोई और न कर सके. हालांकि ये काम यूपी पुलिस ने अगर घटना के तुरंत बाद किया होता तो शायद 7 दिनों में 7 एनकाउंटर हो जाते, कौशांबी पुलिस की एक गलती आज एडीजी लॉ एंड ऑर्डर से लेकर एसटीएफ हे़ड तक को काफी भारी पड़ रही है. जांच में ये बात पता चली है कि 24 फरवरी को प्रयागराज के धूमनगंज इलाके में जैसे ही उमेश पाल को इन लोगों ने मारा, उसके बाद

अतीक का बेटा असद, गुड्डू बमबाज और शूटर अरमान चकिया के मुन्ना के घर काफी देर तक रूके थे, इन्होंने न सिर्फ गले लगकर एक दूसरे को बधाई दी बल्कि मिठाइयां भी बांटी थी, अगर वहीं पुलिस को इंफॉर्मेशन मिल जाती और इन्हें दबोच लिया होता तो आज शायद इतने पापड़ न बेलने पड़ते. इसके अलावा दूसरी गलती तब हुई जब अलर्ट जारी होने के बाद भी कौशांबी में कई गांवों में छिपे रहे और पुलिस उन्हें पकड़ नहीं पाई. अभी भी वहां कई टीमें उनकी तलाश में जुटी है.
पर कहते हैं पुलिस किसी आरोपी को तभी पकड़ पाएगी जब उसका दिमाग उससे तेज चले, घटना के शुरुआती कुछ दिनों तक तो ऐसा ही लगता है कि आरोपी ही सबसे तेज तर्रार है, लेकिन जैसे ही बड़े-बड़े IPS जाल बिछाना शुरू करते हैं, बड़े से बड़े अपराधी भी उसमें फंस जाता है और फिलहाल तो यही लगता है कि गैंग्स ऑफ प्रयागराज चाहे यूपी के जिलों में छिपा हो या फिर कहीं और बाबा की पुलिस उसे ढूंढ निकालेगी और शायद जेल तक पहुंचने का मौका भी न दे, आपको क्या लगता है कि अगलाी बारी किसकी होगी, कमेंट में बता सकते हैं.
ब्यूरो रिपोर्ट ग्लोबल भारत टीवी