देश हिंदू हृदय सम्राट के रूप में बाला साहेब ठाकरे को याद करता है लेकिन उनका हिंदुत्व सियासत तक ही सीमित रह गया, बीजेपी के नेता भी हिंदुत्व की सियासत करते हैं, कल्याण सिंह ने हिंदुत्व के लिए कुर्सी कुर्बान कर दी, लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर बनवाने के लिए रथयात्रा तक निकाली लेकिन मोदी इन सबके बाद आए और हिंदुओं के दिलों पर छा गए, इसकी वजह उनकी सियासत नहीं बल्कि मंदिर प्रेम है. हम आपको बताएंगे कि मोदीराज में किन-किन मंदिरों और धार्मिक शहरों का कायाकल्प हुआ लेकिन उससे पहले ये चार तस्वीरें देखिए.

पहली तस्वीर पीएम मोदी के प्रयागराज में गंगा स्नान की है, दूसरी तस्वीर काशी में बाबा भोलेनाथ की पूजा की है,

तीसरी तस्वीर केदारनाथ में बाबा भोलेनाथ के पूजा की है

और चौथी तस्वीर भोपाल में महाकाल कॉरिडोर के उद्घाटन की है. ये चारों तस्वीरें ये बताती हैं कि पीएम मोदी के राज में देश में मंदिरों का विकास कैसे हो रहा है,

धर्म की नींव कैसे मजबूत हो रही है, जो लोग यज्ञोपवीत धारण करने और मंदिर जाने में आनाकानी करते थे वही अब जनेऊ दिखाकर कहते हैं मैं भी पूजा करता है, आखिर सियासत में इन तस्वीरों को लाने का मकसद क्या है. इसे समझने के लिए आपको दक्षिण भारत चलना होगा
साउथ की एक फिल्म आई है, जिसका नाम है पोनियन सेल्विन 1, इसमें चोल वंश की कहानी दिखाई गई
चोलवंश के राजाओं ने अपने राज्य में खूब मंदिर बनवाए, आज तमिलनाडु में 35 हजार से ज्यादा मंदिर हैं
तमिलनाडु हिंदुस्तान का इकलौता ऐसा राज्य हैं जहां सबसे ज्यादा मंदिर है, यहां पल्लव वंश का भी राज था
महाराष्ट्र में शिवाजी के राज में हर दस कोस पर हनुमान मंदिर बनाए गए, उन्होंने भी खूब मंदिर बनवाए थे
अहिल्याबाई होल्कर ने काशी विश्वनाथ मंदिर बनवाया, जिसे औरगंजेब ने तुड़वाया,फिर ज्ञानवापी भी वहां बनी
मतलब राजाओं ने मंदिरों पर ध्यान दिया, लेकिन मुगलों ने इसे तोड़ा, फिर देश में लोकतंत्र का उदय हो गया
तुष्टिकरण की राजनीति के चक्कर में किसी नेता ने मंदिरों पर ध्यान नहीं दिया, बस हिंदुत्व की सियासत हुई

अब मोदी लगता है इसी फर्क को मिटाना चाहते हैं, केवल सियासत से किसी का भला कैसे हो सकता है, कश्मीर में जहां सालों से मंदिरों के दरवाजे बंद पड़े हैं, वहां पीएम मोदी के राज में मंदिरों में मंत्रोच्चार होता है, काशी से लेकर कन्याकुमारी तक अब पुजारियों को पूजा करने में डर नहीं लगता, क्योंकि हिंदुस्तान की सियासत में धर्म ने अपनी जगह बना ली है, जैसे प्राचीन काल के राजा भव्य मंदिरों के लिए आज भी अमर हैं, औरंगजेब और मुगल मंदिर तुड़वाने के लिए बदनाम हैं, वैसे ही मोदी को इतिहास उस दौर में मंदिर बनवाने के लिए याद रखेगा, जब धरती से धर्म का प्रभाव धीरे-धीरे कम हो रहा था. कलियुग और आधुनिकता के इस दौर में लोग पश्चिमी सभ्यता को अपना रहे थे तो पीएम मोदी मंदिरों में कॉरिडोर बनवाकर ये बता रहे थे कि धर्म में भी आधुनिकता का वास हो सकता है, बस आपके अंदर श्रद्धा भावना होनी चाहिए, मोदी ने केदारनाथ से लेकर अयोध्या, काशी और दक्षिण भारत तक मंदिरों की नींव रखी हैं. जहां तक पीएम मोदी की भक्ति की बात है, तो वो नवरात्र में नौ दिनों का उपवास रखते हैं, मां काली की आराधना करते हैं, गंगा को मां कहते हैं और शिव की भक्ति में तल्लीन रहते हैं, हालांकि लोकतांत्रिक देश में ये तस्वीर दूसरे धर्म के लोगों को अच्छी नहीं लगती होगी लेकिन राजा के दौर में ये तस्वीरें अच्छी लगती थी, और उसी का परिणाम है कि भारत आज भी अपनी सभ्यता और संस्कृति को संजोए हुए है और उसे आगे बढ़ा रहा हैGFX IN
मोदी चाहते हैं इतिहास में नाम या बनना है हिंदू हृदय सम्राट, राजाओं की तरह क्यों बनवा रहे मंदिर
मां दुर्गा के भक्त हैं, पर मंदिर राम और शिव का बनवा रहे हैं, क्या शक्तिपीठों की भी आएगी बारी?
दक्षिण में राजेन्द्र चोल और इधर शिवाजी ने बनवाए थे हजारों मंदिर,कई बार मिटाने की हुई कोशिश

देश हिंदू हृदय सम्राट के रूप में बाला साहेब ठाकरे को याद करता है लेकिन उनका हिंदुत्व सियासत तक ही सीमित रह गया, बीजेपी के नेता भी हिंदुत्व की सियासत करते हैं, कल्याण सिंह ने हिंदुत्व के लिए कुर्सी कुर्बान कर दी, लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर बनवाने के लिए रथयात्रा तक निकाली लेकिन मोदी इन सबके बाद आए और हिंदुओं के दिलों पर छा गए, इसकी वजह उनकी सियासत नहीं बल्कि मंदिर प्रेम है. हम आपको बताएंगे कि मोदीराज में किन-किन मंदिरों और धार्मिक शहरों का कायाकल्प हुआ लेकिन उससे पहले ये चार तस्वीरें देखिए.
पहली तस्वीर पीएम मोदी के प्रयागराज में गंगा स्नान की है, दूसरी तस्वीर काशी में बाबा भोलेनाथ की पूजा की है, तीसरी तस्वीर केदारनाथ में बाबा भोलेनाथ के पूजा की है और चौथी तस्वीर भोपाल में महाकाल कॉरिडोर के उद्घाटन की है. ये चारों तस्वीरें ये बताती हैं कि पीएम मोदी के राज में देश में मंदिरों का विकास कैसे हो रहा है, धर्म की नींव कैसे मजबूत हो रही है, जो लोग यज्ञोपवीत धारण करने और मंदिर जाने में आनाकानी करते थे वही अब जनेऊ दिखाकर कहते हैं मैं भी पूजा करता है, आखिर सियासत में इन तस्वीरों को लाने का मकसद क्या है. इसे समझने के लिए आपको दक्षिण भारत चलना होगा.
साउथ की एक फिल्म आई है, जिसका नाम है पोनियन सेल्विन 1, इसमें चोल वंश की कहानी दिखाई गई
चोलवंश के राजाओं ने अपने राज्य में खूब मंदिर बनवाए, आज तमिलनाडु में 35 हजार से ज्यादा मंदिर हैं
तमिलनाडु हिंदुस्तान का इकलौता ऐसा राज्य हैं जहां सबसे ज्यादा मंदिर है, यहां पल्लव वंश का भी राज था
महाराष्ट्र में शिवाजी के राज में हर दस कोस पर हनुमान मंदिर बनाए गए, उन्होंने भी खूब मंदिर बनवाए थे
अहिल्याबाई होल्कर ने काशी विश्वनाथ मंदिर बनवाया, जिसे औरगंजेब ने तुड़वाया,फिर ज्ञानवापी भी वहां बनी
मतलब राजाओं ने मंदिरों पर ध्यान दिया, लेकिन मुगलों ने इसे तोड़ा, फिर देश में लोकतंत्र का उदय हो गया
तुष्टिकरण की राजनीति के चक्कर में किसी नेता ने मंदिरों पर ध्यान नहीं दिया, बस हिंदुत्व की सियासत हुई
अब मोदी लगता है इसी फर्क को मिटाना चाहते हैं, केवल सियासत से किसी का भला कैसे हो सकता है, कश्मीर में जहां सालों से मंदिरों के दरवाजे बंद पड़े हैं, वहां पीएम मोदी के राज में मंदिरों में मंत्रोच्चार होता है, काशी से लेकर कन्याकुमारी तक अब पुजारियों को पूजा करने में डर नहीं लगता, क्योंकि हिंदुस्तान की सियासत में धर्म ने अपनी जगह बना ली है, जैसे प्राचीन काल के राजा भव्य मंदिरों के लिए आज भी अमर हैं, औरंगजेब और मुगल मंदिर तुड़वाने के लिए बदनाम हैं, वैसे ही मोदी को इतिहास उस दौर में मंदिर बनवाने के लिए याद रखेगा, जब धरती से धर्म का प्रभाव धीरे-धीरे कम हो रहा था. कलियुग और आधुनिकता के इस दौर में लोग पश्चिमी सभ्यता को अपना रहे थे तो पीएम मोदी मंदिरों में कॉरिडोर बनवाकर ये बता रहे थे कि धर्म में भी आधुनिकता का वास हो सकता है, बस आपके अंदर श्रद्धा भावना होनी चाहिए, मोदी ने केदारनाथ से लेकर अयोध्या, काशी और दक्षिण भारत तक मंदिरों की नींव रखी हैं. जहां तक पीएम मोदी की भक्ति की बात है, तो वो नवरात्र में नौ दिनों का उपवास रखते हैं, मां काली की आराधना करते हैं, गंगा को मां कहते हैं और शिव की भक्ति में तल्लीन रहते हैं, हालांकि लोकतांत्रिक देश में ये तस्वीर दूसरे धर्म के लोगों को अच्छी नहीं लगती होगी लेकिन राजा के दौर में ये तस्वीरें अच्छी लगती थी, और उसी का परिणाम है कि भारत आज भी अपनी सभ्यता और संस्कृति को संजोए हुए है और उसे आगे बढ़ा रहा है