राम मंदिर निर्माण के लिए चंद्रपुर की लकड़ियां ही क्यों जरुरी जानें इस के पीछे का इतिहास
अयोध्या के राम मंदिर में लगने वाले एक-एक मैटेरियल की अपनी अलग खासियत है. मूर्तियां नेपाल से आए पत्थर से बन रही हैं, जबकि दरवाजों के लिए लकड़ी महाराष्ट्र के चंद्रपुर से लाई जा रही है, ये वही चंद्रपुर है जो राजा दशरथ का ननिहाल कहा जाता है. कई मीडिया चैनल्स ये बता रहे हैं कि चंद्रपुर की लकड़ियां काफी खास हैं, वो गंगाजल की तरह कभी खराब नहीं होती, पर वो इतनी खास बनी कैसें, उसके पीछे की वजह क्या है, ये कहानी हम आपको अगले 60 सेकेंड में समझाते हैं, फिर बताते हैं राम मंदिर निर्माण का काम कितना बचा है और कितना पूरा हो चुका है.

भगवान श्रीराम जब अयोध्या से वनवास के लिए निकले तो प्रयागराज होते हुए मध्य प्रदेश के रास्ते दंडकारण्य पहुंचे. आज के दौर का मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्रों को मिलाकर दंडकारण्य कहते हैं. दंडकारण्य में ही मां सीता का अपहरण हुआ, रावण और जटायु के बीच युद्ध हुआ. यहां तक कि दुनियाभर में जटायु का एकमात्र मंदिर भी सिर्फ यहीं है, इसीलिए ये कहा जा रहा है कि इस जंगल में भगवान राम का रोम-रोम बसा हुआ है.

चंद्रपुर के जंगलों की लकड़ियों पर रिसर्च है वैज्ञानिकों ने भी कहा यहां की लकड़ियां हिंदुस्तान के किसी दूसरे जंगल की लकड़ियों की तुलना में ज्यादा अच्छी और मजबूत हैं
14 साल के वनवास का काफी लंबा वक्त भगवान राम ने दंडकारण्य में बिताए, जिन रास्तों से होकर वो गुजरे, जहां की लकड़ियों ने उनका स्पर्श पाया, उनकी चरण धूलि से खुद का जीवन धन्य किया, वो लकड़ियां सालों साल के लिए अमर हो गईं. तो ऐसी लकड़ियां तो हजार साल क्या लाख साल भी बिना नष्ट हुए उसी हाल में रह सकती है, जिस हाल में आप उन्हें घर लाएं. वरना किसी पेड़ की लकड़ी में इतनी शक्ति कहां से आएगी कि वो हजार साल तक सुरक्षित रहे, बड़ी बात तो ये है वैज्ञानिकों की एक टीम ने भी चंद्रपुर के जंगलों पर रिसर्च की है, जिसमें ये पता चला कि यहां की लकड़ियां हिंदुस्तान के किसी दूसरे जंगल की लकड़ियों की तुलना में ज्यादा अच्छी और मजबूत हैं. कहा जा रहा है कि ये सब पता करने के बाद ही श्रीराम मंदिर का निर्माण करवाने वाली समिति ने ये ऑर्डर दिया. जिन्हें तराशने के बाद कई भव्य दरवाजे और डिजाइन बनाए जाएंगे. फिलहाल प्रभु श्रीराम मंदिर के निर्माण का काम काफी तेजी से चल रहा है.

- श्रीराम मंदिर में अभी जटायु की मूर्ति का निर्माण चल रहा है, कुल 166 खंभे तैयार हो चुके हैं
- दिन-रात सैकड़ों कारीगर और इंजीनयर काम में लगे हैं, गर्भगृह में खास नक्काशी होगी
- करीब 12 हजार मूर्तियां पूरे मंदिर परिसर में स्थापित होनी है, जो लगभग तैयार होने वाली हैं
- भगवान श्रीराम की मूर्ति 51 इंच की बनेगी, जिसके लिए नेपाल से शालिग्राम मंगवाया गया है
दिसंबर 2023 तक अयोध्या का गर्भगृह काम होने की उम्मीद

दिसंबर 2023 तक गर्भगृह का काम पूरा होने की उम्मीद है और जनवरी 2024 में उद्घाटन के बाद आप दर्शन के लिए पहुंच सकते हैं. जब वहां आप पहुंचेंगे तो आपको ये पता होना चाहिए कि मंदिर में लगी एक-एक ईंट खास है, उसके दरवाजे से लेकर इमारत तक में भगवान राम का रोम-रोम बसा हुआ है, और सिर्फ बिल्डिंग ही मजबूत नहीं है बल्कि मंदिर के गर्भगृह में मंत्रों से प्राण भी फूंके गए हैं, जिनका हिंदू धर्मशास्त्रों में काफी महत्व है. अब आप इतनी अच्छी जानकारी को लोगों तक पहुंचाएंगे या फिर लोगों को खुद ही बताएंगे कि लकड़ी कितनी खास है ये आपको तय करना है, पर कमेंट में हमें ये जरूर बताएं आपको ये जानकारी कैसी लगी.