Begusarai Firing: बिहार की राजधानी पटना से करीब 130 किलोमीटर दूर बेगुसराय बीते कुछ सालों में बिहार पुलिस के लिए सिरदर्द बन गया है, वहां बढ़ रहे अपराध को रोकने के लिए चाहे कितने भी तेजतर्रार आईपीएस भेजे जाएं अपराधी नहीं पकड़े जाते. 8 महीने पहले ही नए आईपीएस योगेन्द्र कुमार(Begusarai SP) भेजे गए लेकिन उनके रहते तो अपराध के सारे रिकॉर्ड टूट गए. मंगलवार शाम करीब साढ़े 5 बजे तो बदमाशों ने हद ही कर दी, शायद हिंदुस्तान के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब 30 किलोमीटर तक हाइवे पर बदमाश खुलेआम लोगों पर फायरिंग(Begusarai Firing) करते रहे, कुल 11 लोगों को गोली लगी, जिसमें से एक की मौत हो गई और बाकी घायल हैं.
एनएच 31 और एनएच 28 पर हुई वारदात
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सबसे पहले बछवाड़ा से इसकी शुरुआत हुई, फिर फुलवरिया में बदमाश पहुंचे, उसके बाद तेघड़ा और चकिया तक दोनों बाइक सवार बदमाश पहुंचे, अब तक की जानकारी के मुताबिक ये मुंह पर गमछा बांधे हुए थे, इनकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी, बस रास्ते में हाइवे पर जो दिख रहा था, चाहे वो कोई दुकानदार हो या फिर राहगीर सबको मारते चले जा रहे थे, 30 किलोमीटर तक ये आतंक मचाते रहे लेकिन पुलिस नहीं पकड़ पाई, अब 7 पुलिसवालों को सस्पेंड कर एसपी ने इनकी तलाश के लिए कई टीमें बनाई हैं. एसपी का कहना है कि ये साइको किलर हैं, जो समस्तीपुर के रास्ते बेगुसराय में घुसे और फिर आधे घंटे तक बवाल मचाते रहे, लेकिन सवाल ये है कि चार-चार थानों की पुलिस आधे घंटे तक कहां थी, हाइवे पर पेट्रोलिंग करने वाली टीम कहां थी, क्यों किसी ने इन्हें नहीं पकड़ा.
बिहार से हाल ही में पकड़े गए हैं आतंकी
कुछ दिनों पहले ही पटना के पास बसे फुलवारीशरीफ से कई आतंकी पकड़े गए थे, बिहार के कई जिलों में स्लीपर सेल के एक्टिव होने की खबरें आती रहीं हैं, जब कोई रंजिश नहीं है तो फिर ये लोगों को देखते ही क्यों मार रहे थे, क्या इन्हें किसी बात का डर था या फिर ये खौफ फैलाना चाहते थे, घटना के 12 घंटे बीत जाने के बाद भी पुलिस के हाथ खाली रहने पर भी लोग सवाल खड़े कर रहे हैं. बीजेपी ने बेगुसराय बंद बुलाया है, बेगुसराय से केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह सांसद हैं, वहीं से कन्हैया कुमार ने पिछला लोकसभा चुनाव भी लड़ा था, बेगुसराय सीपीआईएम का गढ़ भी माना जाता है, लेकिन अब ये धीरे-धीरे क्राइम कैपिटल बनता जा रहा है.
यूपी में होता ऐसा कांड तो चल जाता बुलडोजर
अगर ऐसा कांड यूपी में हुआ होता तो सबसे पहले एसपी नपते, फिर एनकाउंटर का आदेश जारी होता और सिंघम आईपीएस को बुलडोजर(Bulldozer) लेकर बेगूसराय की सड़कों पर भेज दिया जाता. अभी बेगूसराय की जनता इतनी दहशत में है कि उन्हें योगी के बुलडोजर की याद आ रही है, अगर उन्हें इन अपराधियों से कोई बचा सकता है तो वो कोई सिंघम पुलिसवाला ही हो सकता है, क्योंकि नीतीश(Nitish Kumar) और तेजस्वी (Tejashwi Yadav) की सरकार में पटना से लेकर बेगूसराय तक जिस कदर खुलेआम घटनाएं हो रही है, उससे लग नहीं रहा कि सरकार कुछ खास एक्शन लेने के मूड में है. जबकि बिहार की जनता शांति और सुकून चाहती है.