बागेश्वर धाम वाले महाराज धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ जो हो रहा है. आपको क्या लगता है वो सिर्फ अंधविश्वास को दूर करने की कोशिश है. अगर आप ऐसा सोच रहे हैं तो जरा ठहरिए. महाराज धीरेंद्र शास्त्री ने क्या पहली बार दरबार लगाया है. वो कितने बरसों से लोगों को बिना जाने अपनी सिद्धी से उनके बारे में बताते आ रहे हैं. लेकिन फिर सवाल ये है कि बागेश्वर धाम के महाराज धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ ये साजिश अब क्यों हो रही है. ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है, थोड़ा पीछे चलिए जब पठान फिल्म का बेशर्म रंग गाना आया तो धीरेंद्र शास्त्री ने उसका जोरदार विरोध किया और भगवा रंग को लेकर अपना विरोध दर्ज कराया. उसके बाद वो नागपुर में कथा के लिए जाते हैं और अचानक एक संस्था आकर कहती है कि, धीरेंद्र शास्त्री अपनी शक्ति की परीक्षा दें. सिद्धी को सिद्ध करें, भक्ति साबित करें.
आपसे भी कोई ये सवाल करे तो पलटकर उससे कुछ सवाल आप भी पूछ लीजिएगा.

बागेश्वर धाम के महाराज धीरेंद्र शास्त्री की परीक्षा लेने वाले ये कौन होते हैं? ये सवाल अभी क्यों उठाये जा रहे हैं. महाराज धीरेंद्र शास्त्री उनके घर में आकर परीक्षा क्यों दें? आपको शक है तो उनके दरबार में जाकर सत्य जान लें. क्या ये साजिश धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ है या सनातन धर्म के? क्या इन लोगों ने कभी किसी और धर्म के अंधविश्वास पर भी सवाल उठाए हैं?

अगर नहीं तो सनातन धर्म के संतों से ये सवाल करने वाले श्याम मानव कौन होते हैं. फिर भी बाबा का बड़प्पन देखिए, उन्होंने कहा है कि जिसे शक है, वो 20 जनवरी और 21 जनवरी को रायपुर में आकर सत्य का ज्ञान पा ले. महारज धीरेंद्र शास्त्री ने कहा है कि, घर वापसी अभियान की वजह से मिशनरी उनके पीछे पड़ी है. जिसको सच देखना है वो रायपुर के दरबर में आकर देख ले.
अंध श्रद्धा मूलन के संस्थापक श्यामा मानव ने नागपुर में महाराज धीरेंद्र शास्त्री को चुनौती दी थी कि वो उन्हें चमत्कार दिखाएं अगर सही साबित हुए तो वो तीस लाख रुपये बाबा को देंगे.
इसके जवाब में धीरेंद्र शास्त्री ने कहा था कि,

जब हम नागपुर में मौजूद थे, तब क्या उनके बाप मर गए थे या हाथों में चूड़ियां पहन रखी थीं. जब हाथी चलता है तो कुत्ते भौंकते ही हैं. हिंदुओं में एकता नहीं होने के कारण बाकी लोग लाभ उठाते हैं. पर अब बदलाव आ रहा है, हिंदू जाग रहा है.
बागेश्वर धाम वाले महाराज धीरेंद्र शास्त्री को आज लोग पैसों का लालची बता रहे हैं. आरोप लगा रहे हैं कि कथा के बहुत पैसे लेते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि धीरेंद्र शास्त्री बेहद गरीब परिवार से आते हैं.
पंडित धीरेंद्र शास्त्री की माता दूध बेचकर अपना परिवार चलाती थीं. उनके पिता पुरोहित थे. बचपन से ही धीरेंद्र शास्त्री कथा करने लगे थे और आसपास के इलाकों में ख्याती होने लगी थी.
एक वक्त ऐसा आया कि महाराज धीरेंद्र शास्त्री के चाचा आदि ने उनके पिता की पुरोहित गिरी को बांट लिया. जिसके बाद परिवार पर आर्थिक संकट आ गया. तब तक धीरेंद्र शास्त्री अपने गांव में कथा करने लगे थे और 2009 में पहली बार उन्होंने पास के गांव में जाकर भागवत कथा की. और उसके काफी दिन बाद बागेश्वर धाम की स्थापना हुई. पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने अपने धार्मिक ज्ञान, शक्तियों और कथा की शैली से लोगों को जोड़ना शुरू किया तो भक्त जुड़ने लगे और आज की तारीख में उनके करोड़ों भक्त हैं. लेकिन कुछ लोग उनसे शक्तियों का प्रमाण मांग रहे हैं. भक्ति का सबूत मांग रहे हैं. सिद्धी को उनके सामने सिद्ध करने की चुनौती दे रहे हैं. गजब है.