वेदांता ग्रुप के चेयरमैन डॉ. अनिल अग्रवाल बिहार दिवस पर क्यों हुए भावुक
22 मार्च को पूरा प्रदेश जब बिहार दिवस मना रहा था, तब हिंदुस्तान का एक बहुत बड़ा बिजनेसमैन अपने बचपन के दिनों को याद कर भावुक हुआ जा रहा था, वेदांता ग्रुप के चेयरमैन डॉ. अनिल अग्रवाल एक के बाद एक चार ट्वीट में बिहार से जुड़े अनुभव साझा करते हैं, ये बताते हैं कि कैसे एक थाली खाने में ही उनकी पूरी यादे सिमटी हुईं हैं, पहले उनके ट्वीट देखिए फिर बताते हैं कैसे खाली हाथ से बिहार से चले अनिल अग्रवाल ने करोड़ों की संपत्ति खड़ी की.
अनिल अग्रवाल ने बयां किया अनुभव

अनिल अग्रवाल ट्वीट में लिखते हैं जैसा कि आप सभी जानते हैं कि अंग्रेजी मेरी पहली भाषा नहीं है, काम के सिलसिले में बिहार छोड़ना पड़ा तब मुझे Homesick शब्द का अर्थ समझ आया, दूसरे ट्वीट में वो लिखते हैं जैसे ही मुझे बिहार का रोड साइन दिखता है, मैं बहुत खुश हो जाता हूं, बिहार आने का मतलब मेरा बचपन है, जो प्यार खुशी और अच्छे खाने से भरपूर है, अनिल अग्रवाल ऐसे ही दो और ट्वीट में अपना अनुभव बताते हैं और साथ में खाने की थाली के साथ एक फोटो भी अपलोड करते हैं, इस तस्वीर पर लोग अलग-अलग तरह के कमेंट कर रहे हैं, कोई इनके बिहार प्रेम को देखकर अभिभूत है, तो कोई कह रहा है कि बिहार से इतने बड़े-बड़े लोग निकले लेकिन बिहार के दिन नहीं बदल सके.
400 रुपये महीना कमाती थी अनिल अग्रवाल की मां
पहला ट्वीट

दूसरा ट्वीट

तीसरा ट्वीट

चौथा ट्वीट

अनिल अग्रवाल के संघर्ष की कहानी कैसे खड़ी की इतनी बड़ी वेदांता कंपनी

अनिल अग्रवाल की मां 400 रुपये महीना कमाकर 4 बच्चों को पालती थी, मां की कमाई जब घर चलाने के लिए कम पड़ने लगी थी तो अनिल अग्रवाल ने कबाड़ बेचा, शुरू से ही बड़ा बिजनेसमैन बनने का सपना था जो मुंबई पहुंचने पर साकार हुआ. जब ये मुंबई पहुंचे तो हाथों में एक टिफिन और बिस्तर के अलावा कुछ भी नहीं था, यहीं से इनकी कहानी की शुरुआत हुई. बिहार से आने वाले अनिल अग्रवाल आज बिजनेस की दुनिया में बड़ा नाम हैं. आज इनकी कंपनी वेदांता लिमिटेड जमीन खोदकर सोना निकालती है, वेदांता ग्रुप का नाम न सिर्फ भारत में बल्कि दुनियाभर में है, ये वो खनन कंपनी है, जो गोवा, कर्नाटक, राजस्थान और ओडिशा जैसे राज्यों में अपनी कंपनी चलाती है, जमीन खोदकर लौह अयस्क, सोना और एल्युमिनियम निकालती है. कुछ दिनों पहले ही इनकी कंपनी ने ताइवान से सेमी कंडक्टर की डील की है, मतलब आपके मोबाइल से लेकर कंप्युटर तक में लगने वाला चिप भी यहीं बनेगा.

50 अरब डॉलर की कंपनी बनाने का है इरादा
अनिल अग्रवाल के बारे में एक बात बड़ी मशहूर है कि वो कभी हार नहीं मानते और दूर की सोचते हैं, आज उनकी कंपनी का नेटवर्थ भले ही 1.36 लाख करोड़ रुपये का है लेकिन वो इससे खुश नहीं हैं, बल्कि उन्होंने एक बार कहा था कि मैं वेदांता ग्रुप को 50 अरब डॉलर की कंपनी बनाने की सोच रहा हूं, मेरे रिटायरमेंट का बाद मेरे बच्चे इसे नहीं चलाएंगे, अगर मैं ऐसी कंपनी खड़ी कर सकता हूं तो मेरे दोनों बच्चे भी ऐसा कर सकते हैं, वेदांता ग्रुप को मैं अगले 500 सालों के लिए तैयार करना चाहता हूं, इसे बाद में मैनेजमैंट के हवाले कर दिया जाएगा, क्योंकि मैनजमेंट ही इसे बेहतर तरीके से चला सकता है, यह लोगों के द्वारा, लोगों के लिए और देश के लिए चलाई जाएगी. मतलब अनिल अग्रवाल की सोच परिवार के लिए नहीं बल्कि देश के लिए है, वो बिहार के लिए भी काफी कुछ सोचते-रहते हैं, बिहार की धरती ऐसे कई लोगों को पैदा करती है, जिनमें से कुछ बाहर आकर बिजनेस की दुनिया में नाम कमाते हैं, कुछ नेता बनते हैं तो कुछ आनंद कुमार की तरह वहीं शिक्षक बनकर अपनी जिंदगी गुजार देते हैं.