न अंग्रेजों के नाम पर रोड होगा,न मुगलों के नाम पर महल,मोदी के फैसले से लंदन में खलबली
पहले इंडिया गेट से मूर्ति हटाई, फिर नेवी से अंग्रेजों का क्रॉस हटाया और अब राजपथ की बारी
आपके जिले में हो अंग्रेजी विरासत तो मोदी को लिखिए चिट्ठी, गुलामी की निशानी होगी खत्म

उधर ब्रिटेन को नई प्रधानमंत्री मिलीं, और इधर भारत के प्रधानमंत्री ने एक फैसले से लंदन में खलबली मचा दी, ब्रिटेन के चुनाव में भारतीय मूल के ऋषि सुनक हार गए लेकिन मोदी ने एक फैसले से हर हिंदुस्तानी का दिल जीत लिया. लिज ट्रस प्रधानमंत्री पद की शपथ ले पातीं उससे पहले ही मोदी सरकार ने एक आदेश जारी किया. जिसका मतलब ये है कि हिंदुस्तान में जब राजा का शासन नहीं है तो फिर राजपथ की क्या जरूरत है. मोदी खुद को प्रधानमंत्री नहीं बल्कि प्रधानसेवक और चौकीदार कहते हैं, अपने आवास का नाम पहले ही रेस कोर्स रोड से बदलकर लोक कल्याण मार्ग कर दिया है ताकि जनता को ये न लगे कि प्रधानमंत्री की कुर्सी पर एक राजा बैठा है. दिल्ली के राष्ट्रपति भवन से लेकर विजय चौक के रास्ते नेशनल स्टेडियम तक जाने वाली सड़क राजपथ के नाम से जानी जाती है, जहां हर साल 26 जनवरी की परेड होती है लेकिन अब उसका नाम बदलने वाला है, हम आपको नया नाम बताएं उससे पहले राजपथ का थोड़ा इतिहास समझ लीजिए.

अंग्रेजों के जमाने में यहां सिर्फ राजा ही आ-जा सकते थे, अंग्रेजी में इसे किंग्स-वे यानि राजा का पथ कहा जाता था
साल 1911 में जब ब्रिटिश राजा जॉर्च पंचम दिल्ली आए तो इसी रास्ते से होकर गए, फिर दिल्ली दरबार लगा था
तभी से ये सड़क किंग्सवे बनी गई, नेहरू ने 1955 में इसका नाम राजपथ किया, हालांकि राजा का राज खत्म हो गया था
हो सकता है नेहरू खुद को राजा समझते रहे हों लेकिन अब मोदी ने इसका नाम कर्तव्यपथ करने का फैसला किया है
20 दिन पहले ही लालकिले से पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा था कि गुलामी के हर निशान को अपने सीने से निकाल फेंकिए, लेकिन इसकी शुरुआत इसी साल जनवरी के महीने में ही हो गई थी जब इंडिया गेट पर किंग जॉर्ज की मूर्ति हटाकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति लगा दी और इंडिया गेट की अमर जवान ज्योति को नेशनल वॉर मेमोरियल की ज्योति में मिला दिया. इस बात पर हंगामा भी बरपा लेकिन मोदी सरकार पीछे नहीं हटी. बीजेपी के बड़े-बड़े नेता ये मानते हैं कि इंडिया गेट भी गुलामी की निशानी है, हो सकता है अगला नंबर इसका भी आए लेकिन उससे पहले पीएम मोदी अपने आवास से लेकर सड़क तक का नाम बदल रहे हैं, ताकि लोग सही इतिहास जान सकें.

आखिर जिन मुगलों और अंग्रेजों ने देश को तबाह किया उनके नाम पर सड़कें और इमारत क्यों होनी चाहिए आपको भी ये सोचना चाहिए. पीएम मोदी का ये फैसला कुछ लोगों को राजनीतिक भी लग सकता है लेकिन सियासत से ज्यादा ये मुद्दा लोगों की भावनाओं से जुड़ा है, आखिर जब देश आजाद है तो फिर हम दूसरे का नाम क्यों ढोएं क्या अपने देश में महापुरुषों की कमी है जो दूसरे देश के राजाओं के नाम पर यहां की सड़कों का नाम रखा जाए. सिर्फ सड़कें ही नहीं बल्कि इंडियन नेवी के जवान तो सालों से अंग्रेजों का निशान अपने सीने पर लगाए घूम रहे थे. इसिलिए 2 सितंबर को नेवी के निशान से भी पीएम मोदी ने अंग्रेजों का क्रॉस हटा दिया और शिवाजी के अष्टकोण वाला नया चिन्ह दिया. इसके बाद बची-खुची कसर तब पूरी हो गई जब अर्थव्यवस्था की रैंकिंग में भारत ब्रिटेन को पछाड़कर पांचवें नंबर पर जा पहुंचा. मतलब 7 दिनों में भारत ने 3 बार ब्रिटेन को उसकी औकात याद दिला दी. यही काम अगर 75 साल पहले शुरू हुआ होता तो हिंदुस्तान की तस्वीर कुछ और होती लेकिन देर से सही जनता को मानसिक गुलामी से मुक्ति तो मिलेगी.