संयोग देखिए, इधर पीएम मोदी ने नई संसद का उद्घाटन किया और उधर योगी ने उत्तर प्रदेश से एक बड़ी खुशखबरी दे दी. विधान परिषद की दोनों सीटों पर अपना उम्मीदवार जीताकर अपनी मजबूत पकड़ दिखाई.
लेकिन ये खुशखबरी ज्यादा देर तक टिकी नहीं और एक ऐसा दावा सामने आया कि बीजेपी के बड़े-बड़े नेताओं के होश उड़ गए, उत्तर प्रदेश में बीजेपी के 255 विधायक हैं, लेकिन एक विधायकजी ऐसे हैं, जिन्हें योगी राज रास ही नहीं आ रहा है, विधान परिषद चुनाव में जब एक-एक वोट कीमती था, तो विधायकजी सपा वाले प्रत्याशी को वोट कर आए और इसका खुलासा भी उसी पार्टी ने किया है जिसके मुखिया डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के साथ गाड़ी में बैठकर वोट डालने पहुंचे थे, ये ओमप्रकाश राजभर और ब्रजेश पाठक की वो तस्वीर है, जिसे देखते ही अखिलेश का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. क्योंकि चुनाव से पहले राजभर पानी पी-पीकर योगी को कोस रहे थे, अखिलेश का साथ दे रहे थे, लेकिन जैसे ही योगी दोबारा सत्ता में आए राजभर के सुर बदल गए. और खुद बीजेपी प्रत्याशी में जाकर वोट डाल दिया. इनकी ही पार्टी के नेता अरुण राजभर का दावा है कि

हमारी पार्टी के 6 में से 5 विधायकों ने बीजेपी के पक्ष में वोट डाला, सुभासपा विधायक अब्बास अंसारी जेल में हैं, इसलिए वोट डालने नहीं आ पाए, लक्ष्मण प्रसाद आचार्य के निधन से खाली हुई सीट पर बीजेपी प्रत्याशी पद्मसेन चौधरी को 279 वोट मिले और वो जीत गए, लेकिन सपा प्रत्याशी रामकरण निर्मल को अपनी संख्या से एक वोट ज्यादा मिला है, जो ये बताता है कि बीजेपी के किसी विधायक ने क्रॉस वोटिंग की है.

अब सवाल ये है कि वो विधायक कौन है, क्या बीजेपी के कुछ नेता नाराज चल रहे हैं, निकाय चुनाव के दौरान भी कई नेताओं की नाराजगी सामने आई थी, खुद योगी ने मोर्चा संभाला था, रैलियां की थी जिसके बाद बीजेपी के पक्ष में परिणाम आए, पर सवाल ये है कि क्या पार्टी के ही कुछ नेता योगी के बढ़ते कद से परेशान हैं और इस तरह का सियासी बखेड़ा खड़ा कर रहे हैं, क्योंकि एक तरफ बीजेपी 2024 चुनाव के लिए पूरी तरह से कमर कस रही है, विपक्ष को बुरी तरह परास्त करने के लिए तैयारियों में जुटी है, तो दूसरी तरफ कुछ अपने ही खेल बिगाड़ने में लगे हैं, ये तो सच है कि यूपी विधान परिषद की दोनों सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल कर ली, वोटिंग के बाद राजा भैया ने भी खुलकर कहा कि हमने बीजेपी को वोट दिया, जबकि राजभर के बीजेपी को वोट देने पर अखिलेश इतने भड़क गए कि उन्होंने कहा

ओपी राजभर अपनी ही जाति के रामजतन राजभर को हराने निकले हैं, अच्छा हुआ डिप्टी सीएम के साथ एसी गाड़ी में एक दिन बैठ गए, अब सालभर वो बीजेपी के लिए काम करते दिखेंगे.
ऐसा कहते हुए अखिलेश की चेहरे की भाव-भंगिमा ये साफ बता रही थी कि वो राजभर से नाराज हैं, पर अब राजभर की पार्टी सुभासपा ने सपा से नाता तोड़ लिया है, चुनाव में बड़े-बड़े सपने दिखाकर राजभर हार के बाद ही लगभग पाला बदल चुके हैं तो विपक्ष एकजुटता के कैसे दावे कर रहा है, ये सोचने वाली बात है, क्योंकि फिलहाल यूपी के सियासी समीकरण ये बताते हैं कि योगी के बुलडोजर मॉडल और मोदी की विकास परियोजनाएं जिस कदर यूपी के गांव-गांव तक पहुंची है, उससे यूपी की जनता के बीच योगी का क्रेज बढ़ा है, निकाय चुनाव में इसका असर दिखा भी और अब लोकसभा चुनाव में भी इसका बड़ा असर हो सकता है, लेकिन ये तभी होगा जब पार्टी में किसी तरह का कोई विरोध नहीं होगा, इसीलिए बीजेपी को अब जमीन पर काम करने के साथ-साथ अपनी पार्टी के उन नेताओं पर भी फोकस करना होगा, जिनकी नाराजगी की थोड़ी-बहुत ख़बरें भी मीडिया में आ रही है, क्योंकि सियासत अवसर का खेल है, ये तो सब जानते हैं, नाराज नेता सबसे पहले अपनी जगह वहीं ढूंढते हैं जहां उन्हें बड़ा लालच मिलता है, अगर राजभर के आरोप सच्चे हैं तो पार्टी को ये पता करना चाहिए कि किस बीजेपी विधायक ने ऐसी बगावत की है और क्यों की है. आपको क्या लगता है ये माननीय कौन हो सकते हैं, कमेंट में बता सकते हैं.