हमारे देश का कानून इतना ताकतवर है खुद उसे आज तक कोई न्याय नहीं दिला पाया था, जिस हाईकोर्ट में आप न्याय की उम्मीद लेकर जाते थे वो खुद वक्त का मारा था, जज सालों से न्याय की मांग कर रहे थे,सवाल ये था कि अगर सुप्रीम कोर्ट आदेश दे भी तो कोर्ट के भीतर अवैध मस्जिद को तोड़ेगा कौन? इलहाबाद हाईकोर्ट के जजों को अब योगी सरकार से आख़िरी उम्मीद है, क्योंकि कोई सरकार कितनी ताकतवर वो तब पता चलता है जब कभी कानून व्यवस्था को संभालने की बात होती है…यूपी में एक अवैध मस्जिद का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, पहले आप सुनिए पूरी कहानी फिर बताते हैं योगी सरकार को कोर्ट ने क्या आदेश दिया है!

साल 1861 में जब इलाहाबाद हाईकोर्ट की स्थापना हुई, तब वहां के जज, वकील और मुस्लिम कर्मचारी अंदर ही नमाज पढ़ने लगे, बाद में ये जमीन सरकार से पट्टे पर ले ली गई, पट्टे में शर्त ये थी कि इस पर कुछ निर्माण से पहले सरकार को बताना होगा, लेकिन नमाज पढ़ने वालों ने इसका ख्याल नहीं रखा. साल 1988 में जब कांग्रेस की सरकार बनी, तब मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह ने इसका पट्टा 30 साल के लिए बढ़ा दिया, लेकिन 2002 में इससे भी बड़ा खेल ये हुआ कि यहां वक्फ बोर्ड बन गया. मतलब कोर्ट की जमीन पर पूरी तरह से कब्जे की प्लानिंग थी, अखिलेश और मायावती की सरकार में किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया, पर जैसे ही सीएम योगी मुख्यमंत्री बने, दस दिन बाद ही कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल हो गई

सुप्रीम कोर्ट न होता, UP में योगी का बुलडोजर न होता तो शायद ही इलाहाबाद हाइकोर्ट को न्याय मिल पाता…योगी सरकार की पहल के बाद सुप्रीम कोर्ट में तीखी नोक-झोंक हुई, एक तरफ से सपा नेता कपिल सिब्बल ने तो ये तक कह दिया, योगी भगवा वाले नेता है इसलिए हमारा हक़ छीन रहे हैं? पर कोर्ट में जो हुआ वो सुनकर आप कहेंगे सुप्रीम कोर्ट का फैसला एकदम सही था…मस्जिद के पक्ष में दलील देने वाले कपिल सिब्बल ने कहा

मस्जिद हाईकोर्ट के अंदर है ही नहीं, जहां हम सालों से नमाज पढ़ रहे हैं, वहां का हक हमसे नहीं छीनना चाहिए, प्रदेश में सरकार बदल गई इसलिए ऐसा किया जा रहा है
जिसके जवाब में हाईकोर्ट की ओर से पेश हुए वकील राकेश द्विवेदी ने कहा

इस हिसाब से तो सड़कों पर भी मस्जिद बन जाएंगी, क्योंकि वहां भी कभी न कभी नमाज पढ़ी जाती है. वकीलों की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस एमआर शाह औऱ जस्टिस सीटी रविकुमार ने अपना फैसला सुनाया कि तीन महीने के भीतर आपको ये जगह खाली करनी होगी, यहां से मस्जिद हटेगी और अगर खुद से आप मस्जिद नहीं हटाते तो फिर इसे हटाने की कार्रवाई की जाएगी.
सालों पहले जानबूझकर मस्जिद को वहां बनाया गया, ये जानते हुए भी यहां हाईकोर्ट बन चुका है, जज बैठते हैं फैसला सुनाते है, ये विषय आस्था का है पर आस्था अंधविश्वास में नहीं बदलना चाहिए, योगी की सरकार पर ये जिम्मेदारी है कि हाईकोर्ट की ज़मीन को खाली करवाया जाए, यानि आज वक्त ऐसा आ गया है जब जज सरकार के भरोसे बैठे हैं, बुलडोजर हाईकोर्ट के भीतर भी चलेगा…इस फैसले के बाद उत्तर प्रदेश में एक नया बवाल खड़ा हो गया, हालांकि पहले सरकारी जमीन पर कब्जा कर मंदिर-मस्जिद बनाने का खेल खूब चलता था, लेकिन जब से योगी सत्ता में आए इस पर ज्यादा नजर रखी जाने लगी, अब अगर आपके यहां भी किसी ने कोई कब्जा किया है कमेंट में लिखिए, सरकार तक अपनी बात पहुंचाइए, ताकि उस पर कार्रवाई हो सके.
ब्यूरो रिपोर्ट, GLOBAL BHARAT TV