एस जयशंकर जिस भाषा का इस्तेमाल अमेरिका और पाकिस्तान के लिए करते हैं, वही भाषा चीन के लिए क्यों नहीं बोलते, ये सवाल कई लोगों के दिमाग में है, जिसका जवाब हम आपको इस रिपोर्ट में देंगे, और ये भी बताएंगे कि चीन ने कहां-कहां गांव बसाएं हैं, भारत की तैयारी कैसी है लेकिन उससे पहले चीन की चालबाजी का वो किस्सा सुनिए जब वो भारत की सीमा पर 250 सैनिक लेकर अचानक से पहुंच गया.
तारीख- 9 दिसंबर 2022, समय- सुबह के 3 बजे, जगह- अरुणाचल का यांगत्से

करीब 250 सैनिकों का काफिला लेकर चीन भारत की सीमा की ओर बढ़ा, इधर भारतीय सैनिकों ने दूरबीन से देखा बड़ा काफिला आ रहा है, लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलीता ने कहा उनकी संख्या करीब 250-300 हो सकती है, हमारा एक सैनिक उनके 6 सैनिकों पर भारी पड़ना चाहिए, तब तक हेडक्वॉर्टर को फोन करता हूं.

लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलीता- हैल्लो सीमा पर काफी हलचल है?
हेडक्वॉर्टर- आप आगे बढ़ो, बैकअप टीम रास्ते में है, इस बार चीन को सबक सीखाना है

ये सुनते ही भारतीय शेर चीनियों पर ऐसे टूट पड़े कि किसी की खोपड़ी तोड़ी तो किसी का पैर, वो चीनी सैनिक जो महीनों की तैयारी कर आए थे, उल्टे पांव भागने लगे, हालांकि इसमें भारतीय सेना के 30 से ज्यादा जवान भी घायल हुए, लेकिन चीन फिर ऐसी हिमाकत नहीं कर पाया. आप ये जानकर हैरान हो जाएंगे कि इस साजिश की तैयारी चीन महीनों से नहीं बल्कि सालों से कर रहा था. कहते हैं मई 2020 में गलवान घाटी में झड़प हुई थी तभी चीन आक्रामक हो गया था. भारत से बदला लेने के लिए चीन
हुशटन, कशगर, गरगुनसा और सिगात्से में एयरबेस बना रहा है, नो फ्लाइंग जोन में उसने फाइटर प्लेन उड़ाए
प्वाइंट 4190 पर चीनी ने सेना ने करीब 3 किलोमीटर का एरिया पार किया, अरुणाचल में लकड़ी का पुल बनाया
लहासा से न्यानगाची तक रेल प्रोजेक्ट का उद्घाटन खुद शी जिनपिंग ने किया, ताकि सैनिकों को आसानी हो
अरुणाचल और भूटान बॉर्डर के पास 354 रेसिडेंशियल मिलिट्री गांव बसाए, बाहरी लोगों का वहां बसा भी रहा है
एक व्यक्ति को बसने के लिए साल में 47 हजार युआन यानि 6900 डॉलर की सब्सिडी भी दे रहा है, ताकि लोग रहें
खास तौर पर चीन की नजर बंगाल के सिलिगुड़ी कॉरिडोर पर है, जिसे चिकेन नेक कहते हैं, वहां नजरें गड़ाए है
ये वो एरिया है, जिससे हम नॉर्थ ईस्ट से जुड़ते हैं, चीन नॉर्थ ईस्ट से भारत का संपर्क काटने की फिराक में जुटा है
भारत ये बात अच्छी तरह जानता है कि चीन को अगर मात देना है तो उसकी ही तरह तैयारी करनी होगी, उससे एक कदम आगे चलना होगा, यहां ये समझना जरूरी है कि पाकिस्तान को आप बोलकर धमका सकते हैं, लेकिन चीन को बोलने की बजाय काम करके धमकाना होगा. इसीलिए जो लोग ये कहते हैं कि जयशंकर बोल नहीं रहे, उन्हें ये समझना होगा कि भारत ने अब तक सीमा पर काम कितने किए हैं.

इंडियन एयरफोर्स ने हसीमारा, तेजपुर और जबुआ एयरबेस से सुखाई और राफेल से उड़ान भर चीन को चेतावनी दी
भारत ने अरुणाचल प्रदेश में ही 1748 किलोमीटर का टू लेन हाइवे बनाया, सेना की तैनाती सीमा पर कई गुणा बढ़ाई
रक्षा से जुड़ी कई बातें नहीं बताई जा सकती, पर इतना जरूर है कि भारत ने सेना से लेकर आधुनिक हथियार भेजे हैं
जिस चिकेन नेक को चीन पाना चाहता है, उसके आसपास भी भारत उसे नहीं भटकने देगा, उस पर प्लानिंग तैयार है
हिंदुस्तान के पांच राज्य अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और लद्दाख की सीमा से एलएसी गुजरती है, ये वो रेखा है जो हमारे और चीन के बीच सीमा का बंटवारा करती है, ये बात मोदी भी जानते हैं कि चीन से लड़ने के लिए धन, बल और दिमाग सब लगाना होगा, इसीलिए जी20 समिट में जब जिनपिंग से मिले तो कहा पहले बातचीत के लेवल पर सुलझा लो, वरना बाद में तो सेना तैयार बैठी है. अब बातचीत तो बनी नहीं, आगे क्या होगा कुछ कहा नहीं जा सकता, पर इतना जरूर है कि भारत अपना एक इंच जमीन किसी को नहीं देगा और ना ही दूसरे की जमीन पर नजरें गड़ाएगा, ग्लोबल लेवल पर भारत की जो इमेज अभी बनी है, अगर वो साल 2003 या 1954 में होती तो शायद भारत तिब्बत को कभी मान्यता न देता, न नेहरू गलती करते न वाजपेयी, कहते हैं भारत ने तिब्बत को मान्यता दी इसीलिए चीन ने सिक्किम को मान्यता दी, वरना बवाल बढ़ गया था, पर सवाल ये है कि जो हमारा है, हम उसके लिए मान्यता दूसरे से क्यों ले, मोदी सरकार ने कश्मीर को लेकर इसे कर दिखाया है, इसीलिए चीन की बौखलाहट को छोड़कर हमें अपनी कमियों पर काम करने की जरूरत है, चीन का रक्षा बजट ज्यादा है, जीडीपी ज्यादा है, पर हमारे सैनिकों का हौसला बड़ा है, हमने आपको ग्राउंड की हालत बताई, अब आप इसे उन लोगों तक पहुंचाइए जिन्हें असल में ये पता नहीं वहां क्या हो रहा है, फिर भी कुछ न कुछ कमेंट किए जा रहे हैं, क्या आप भी ये मानते हैं कि चीन को सबक सीखाने की जरूरत है, तो कमेंट में लिखिए,
ब्यूरो रिपोर्ट ग्लोबल भारत टीवी