बिहार हिंसा में जल रहा है नीतिश कुमार कर रहे इफ्तार पार्टी…
लालकिले नहीं सही तो उसका फोटो ही सही. क्या नीतीश के लिए पार्टी के लोग भी ऐसा ही सोचने लगे हैं या फिर कांग्रेस को चेतावनी दे रहे हैं कि होशियार रहिए नीतीश बाबू आ रहे हैं. वैसे वो दिल्ली-अमेरिका कहीं भी जाने का फैसला कर सकते हैं. यही लोकतंत्र है, लेकिन क्या ये भी लोकतंत्र है कि आपका राज्य अशांति के दौर से गुजर रहा हो. लोग खौफ से अपना घर छोड़ रहे हों. किसी के बच्चे भूखे सोने को मजबूर हों. आपका आधा राज्य दूसरे प्रदेशों में मजदूर हो. और आप इफ्तार पार्टी करते रहें. नीरो तो बंसी बजाते हुए रोम को जलते हुए देख रहा था. लेकिन क्या नीतीश खाते हुए ये काम करना चाहते हैं. पहले उनकी पार्टी के नेता ने इफ्तार पार्टी दी. पीछे लाल किला भी लगा दिया.

अपने नेता को फील भी दे दी लेकिन अब नीतीश खुद पार्टी दे रहे हैं. सवाल इफ्तार पार्टी का नहीं है, सवाल है कि आपके राज्य में हुई हिंसा का आपके पास कोई जवाब नहीं है और ना ही उसे आगे रोकने का कोई रोडमैप आप दिखा रहे हैं लेकिन आपको अपनी सियासत चमकाने के लिए, नेताओं को अपने फेवर में लाने के लिए इफ्तार पार्टी करने का पूरा तरीका पता है.टोपी पहनकर बैठना, दुआ के लिए हाथ फैलाना सब आता है, लेकिन जल रहे राज्य पर केवल राजनीतिक रोटियां सेंकना कहां तक ठीक है. लेकिन ये सिर्फ इफ्तार पार्टी नहीं है. नीतीश कुमार यहां से 2024 के लिए अपनी टोन सेट करना चाहते हैं. जितने नेता वहां पहुंचेंगे वो नीतीश की शक्ति प्रदर्शन माना जाएगा.
विजय कुमार सिन्हा ने नीतिश कुमार की इफ्तार पार्टी में शामिल होने से किया इंकार सुनिए क्या कहा,
बीजेपी के नेताओं को भी इस पार्टी में बुलाया गया था लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया. बिहार में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा,

बिहार हिंसा में जल रहा है. कानून व्यवस्था खत्म हो चुकी है और सीएम इफ्तार पार्टी दे रहे हैं. उन्होंने कहा, ऐसी इफ्तार पार्टी में हमें शामिल नहीं होना है. नीतीश ने चोर दरवाजे से आरजेडी को शासन में ला दिया.

रामनवमी पर बिहार में जो हुआ उसको लेकर बीजेपी नीतीश पर और नीतीश बीजेपी पर आरोप लगा रही है. लेकिन सवाल तो सरकार से ही होगा. सीएम आप हैं तो अगर बीजेपी ने वो दंगे करवाए हैं तो उन्हें गिरफ्तार कीजिए. लेकिन आप बस बातें कर रहे हैं. रामनवमी पर हिंसा के सवाल देखिए सीएम नीतीश ने क्या कहा था.
बिहार में रामनवमी हिंसा पर सीएम नीतीश ने क्या कहा सुनिए

दोनों जगह कुछ लोगों ने जानबूझ कर गड़बड़ किया. इसलिए ऐसे हालात बने. बिहार में पहले बहुत झंझट होता था, हमारे आने के बाद यह सब खत्म हुआ. अमित शाह को सासाराम जाना था इसलिए घटना करवाई गई.
जब नीतीश कुमार बीजेपी के साथ सत्ता में थे तब कहीं भी हिंसा होने पर कहते थे कि आरजेडी ने ये सब करवाया है और अब जब आरजेडी के साथ सरकार चला रहे हैं तो हिंसा के लिए बीजेपी को जिम्मेदार बता रहे हैं लेकिन वो भूल रहे हैं कि सीएम वो खुद हैं और सबसे बड़ी जिम्मेदारी उन्हीं की तो है. नीतीश शायद भूल रहे हैं कि जनता कुछ भूलती नहीं है. आपको याद होगा अखिलेश के राज में मुजफ्फरनगर के दंगे यूपी में हुए थे. उस वक्त उन्होंने सैफई महोत्सव में उत्सव मनाया था तो जनता ने उन्हें सत्ता से उखाड़ फेंका और ऐसा फेंका कि अब वापसी का रास्ता नहीं मिल रहा है. अगर नीतीश भी इस खुमार में बैठे हैं कि जातिवाद और इसका-उसका साथ लेकर सत्ता में बने रहेंगे तो शायद भूल कर रहे हैं और जनता को मूर्ख समझ रहे हैं.