कौन है वो अधिकारी जिस ने योगी को भेजा था जेल
जिस डीएम ने योगी को रुलाया वो अधिकारी आजकल कहां है, गजलें और कविताएं लिखकर लोगों को सुनाने वाले IAS ऑफिसर डॉ. हरिओम को योगी ने क्या सच में माफ कर दिया, जब हमने इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश कि तो 6 महीने पुरानी एक तस्वीर मिली, जिसमें डॉ. हरिओम सीएम योगी को किताब गिफ्ट करते दिख रहे हैं, उस किताब का नाम है कैलाश यात्रा, कहा जा रहा है कि इस किताब को पढ़ने के बाद सीएम योगी का मिजाज ऐसा बदला कि 5 साल से पोस्टिंग के इंतजार में बैठे हरिओम को तुरंत समाज कल्याण विभाग का प्रधान सचिव बना दिया. जिसके बाद लोगों ने कहा संत का स्वभाव माफी वाला ही होता है, लेकिन बात यही नहीं रूकी. कभी योगी को फूटी आंख भी नहीं सुहाने वाला अधिकारी अब योगी के पास जब चाहे फाइल लेकर पहुंच जाता है और योगी भी मना नहीं करते.

जब उत्तर प्रदेश में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट हुआ तो डॉ. हरिओम को खास जिम्मेदारी दी गई है, इन जिम्मेदारियों से हरिओम काफी गदगद थे. हरिओम फील्ड में उतरकर काम करने और जनता तक योजनाएं पहुंचाने के लिए जाने जाते हैं, जिसकी वजह से अब योगी की गुड बुक में शामिल हो चुके हैं.
योगी को जेल भेजने वाला अधिकारी कैसे हुआ योगी की गुड बुक में शामिल

खास बात ये है कि जो किताब उन्होंने सीएम योगी को गिफ्ट की उसके लिए 6 दिन पहले ही उन्हें आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. ये वो आईएएस हैं, जिन्हें सोशल मीडिया पर लोग आईएएस के नाम से कम और गजलकार, गीतकार, कवि और लेखक के नाम से ज्यादा जानते हैं. यूपी के करीब 11 जिलों की जिम्मेदारी संभाल चुके डॉ. हरिओम के बारे में कहा जाता है कि
डॉ. हरिओम सिंगर बनना चाहते थे पिता की चाहत ने बना दिया अधिकारी

सिंगर बनने का शौक था, लेकिन पढ़ने में तेज तर्रार थे इसलिए पिता हर वक्त कहते थे कि ऐसे ही पढ़ते रहे तो कलेक्टर बन जाओगे, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से पढ़ाई के बाद जब दिल्ली आए तो जेएनयू में एडमिशन लिया और यहीं से आईएएस बनने का भूत सवार हुआ, वहीं उनकी मुलाकात मालविका से हुईं, जो बाद में लाइफ पार्टनर भी बनीं, साल 1997 में यूपीएससी की परीक्षा पास करने के बाद हरिओम को पहली पोस्टिंग रुद्रप्रयाग में मिली, तब यूपी उत्तराखंड एक ही हुआ करते थे. उसके बाद उन्हें यूपी के कई जिलों की कमान मिली, पर सुर्खियों में सीएम योगी को गिरफ्तार कर आए, लेकिन उसकी सजा उन्हें सस्पेंड होकर चुकानी पड़ी और उसके बाद जब योगी पहली बार मुख्यमंत्री बने तो हरिओम ने भी मान लिया था कि अब बड़े पोस्ट से दूर रहना ही अच्छा है, इसीलिए उन्होंने इस दौरान कई किताबें लिखें, अलग-अलग मंचों पर जाकर गजल गाने लगे, शायरी सुनाने लगें. पर वक्त बदला और अब वो गांव-गांव जाकर योजनाएं बताने हैं, लोगों को ये कहते हैं कि सरकार आपके लिए अच्छा काम कर रही है, योजनाओं का लाभ उठाइए, इसिलिए कहते हैं कि सब वक्त वक्त की बात है.
ब्यूरो रिपोर्ट ग्लोबल भारत टीवी