ये तस्वीर देखिए, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ cm yogi adityanath अंधेरे में काल भैरव की पूजा कर रहे हैं, और पूजा के बाद ही वो तुरंत वहां से निकलते हैं. और अगले ही दिन मीटिंग बुलाकर एक आदेश निकालते हैं कि जिसने भी भगवान और पब्लिक दोनों के घरों में अंधेरा फैलाया, उसे नौकरी में बने रहने का कोई हक नहीं है. यानि यूपी का योगी मॉ़डल ऐसा है कि सिर्फ माफिया ही नहीं बल्कि बेवजह हड़ताल करने वाले भी अब डरने लगे हैं, बिजली विभाग के वो 1300 कर्मचारी जिनमें से कइयों को मुश्किल से नौकरी मिली थी, बेरोजगारी के इस दौर में सुकून से जिंदगी जी रहे थे, उनकी नौकरी एक गलती ने छीन ली, संगठन की ओर से बुलाए हड़ताल में शामिल होना उन्हें भारी पड़ गया, हरियाणा से लेकर पंजाब तक हर राज्य में हड़तालें होती हैं, लेकिन ऐसा एक्शन अब तक किसी ने नहीं देखा. पहले इस एक्शन की इनसाइड स्टोरी सुनिए फिर बताते हैं बिजली विभाग वालों की हड़ताल की वजह क्या है.

यूपी में बिजली कटने से लोग परेशान
16 मार्च की आधी रात के बाद से उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बार-बार बिजली कट रही थी, वर्क फ्रॉम होम करने वाले लोग बार-बार बिजली विभाग को फोन कर रहे थे, गांव-गांव से लोग कह रहे थे साहब बिजली दे दो, मोटर चलाना है, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं था, हड़ताल करने वाला हर कर्मचारी यही कह रहा था जब तक मांगें पूरी नहीं होती, बिजली बहाल नहीं करेंगे, ऐसे में ऊर्जा मंत्री अरविंद शर्मा ने पहले हड़तालियों से अपील की कि काम पर लौट जाओ, कंट्रोल रूम बनाकर व्यवस्था संभालने की कोशिश की, अधिकारियों ने फील्ड में उतरकर मोर्चा संभाला, बलिया के डीएम ने ड्यूटी से गायब दो कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई, जबकि रायबरेली की डीएम माला श्रीवास्तव ने तो बिजली विभाग के एक अधिकारी की ऐसी क्लास लगाई कि हड़ताल की सारी हेकड़ी ही खत्म हो गई.

सीएम योगी ने की मीटिंग बिजली कर्मचारियों पर बड़ा एक्शन
हालांकि इतनी सख्ती के बावजूद कई जगहों पर घरों में अंधेरा छाया रहा, जिसे देखते हुए सीएम योगी ने 18 मार्च को एक बैठक बुलाई, जिसमें करीब 30 मिनट तक इस बात पर चर्चा हुई कि हड़तालियों से कैसे निपटा जाए, ऊर्जा मंत्री आरके शर्मा जो एक अधिकारी रहे चुके हैं, उन्होंने पूरे प्रदेश की हालत बताई, जिसके बाद योगी ने ये आदेश निकाला कि जो भी काम न करे उसे तुरंत बर्खास्त करो, ये मत देखो कि वो कौन है, उसका रसूख कितना बड़ा है, जिसके बाद 12 घंटे के भीतर ही करीब 1300 संविदा कर्मचारियों की परमानेंट छुट्टी कर दी गई, और 22 लोगों पर ESMA यानि आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून के तहत कार्रवाई हुई. साथ ही ये भी आदेश निकाला कि आईटीआई, पॉलिटेक्निक और इंजीनियरिंग कॉलेज से पास आउट लोगों की एक लिस्ट बनाकर रखें, ताकि संकट के समय उनसे काम लिया जा सके. मतलब IAS से नेता बने एके शर्मा ने हड़तालियों से निपटने का फूलप्रूफ प्लान बना लिया है.

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दूबे की मांग
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दूबे हालांकि इस कार्रवाई को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दूबे गलत बता रहे हैं, उनकी दलील है कि 3 दिसंबर 2022 को योगी सरकार के साथ बिजली कर्मचारियों का समझौता हुआ था, जिसका पालन नहीं हुआ तो हमने हड़ताल शुरू की है, अगर सरकार ने सख्ती दिखाई तो सांकेतिक हड़ताल अनिश्चितकालीन हड़ताल में बदल जाएगी, ऐसी कार्रवाई कर सरकार हमारे हक नहीं मार सकती. हमारी मांग है कि
- बिजली कर्मचारियों को कैशलेस इलाज की सुविधा मिले
- कई वर्षों से लंबित बोनस का भुगतान किया जाए
- ट्रांसफॉर्मर वर्कशॉप के निजीकरण का आदेश वापस हो
- 746/400/220 KV विद्युत उपकेंद्रों को आउटसोर्सिंग के जलिए चलाने का निर्णय रद्द हो
- आगरा फ्रेचाईजी और ग्रेटर नोएडा का निजीकरण रद्द हो
- पावर सेक्टर इम्पलॉइज प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाए

हाईकोर्ट ने लगाई बिजली हड़तालियों को फटकार
हालांकि हड़ताली कर्मचारी भले ही ये दलील दें, पर हाईकोर्ट भी उन्हें फटकार लगा चुका है, बिजली, पानी और रोटी तो इंसान की मूलभूत जरूरतें हैं, शहरों में बिना बिजली कोई कैसे रह पाएगा, क्या हड़ताल करने वालों को इसका ख्याल नहीं. आप योगी सरकार की इस कार्रवाई पर क्या कहेंगे, कमेंट में बता सकते हैं.
ब्यूरो रिपोर्ट ग्लोबल भारत टीवी