राजस्थान में सीपी जोशी बीजेपी अध्यक्ष बनाए गए उठने लगे कई सवाल
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने चार राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष बदलने का ऐलान किया तो सबसे ज्यादा चर्चा राजस्थान की हुई, पूनिया की जगह सीपी जोशी को अध्यक्ष बनया जाना कई लोगों को रास नहीं आया, सोशल मीडिया पर लोग लिख रहे हैं कि सतीश पूनिया तो गहलोत के खिलाफ बिल्कुल आक्रमक थे, फिर गलती कहां हो गई, कुछ महीने पहले सीपी जोशी ने पीएम मोदी को श्रीराम और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को शबरी बताया था, जिस पर इतना विवाद हुआ कि लोग ये तक कहने लगे कि ये राष्ट्रपति पद का अपमान है, खुद सतीश पूनिया भी इस बात को लेकर निश्चिंत थे कि उनकी कुर्सी सुरक्षित है. फिर अचानक ये फेरबदल हुआ कैसे. कहा जा रहा है कि इसकी पटकथा सितंबर 2022 में ही लिख दी गई थी. दरअसल सितंबर 2022 में सतीश पूनिया का कार्यकाल बतौर प्रदेश अध्यक्ष पूरा हो गया था, वसुंधरा राजे सिंधिया शुरू से पूनिया के खिलाफ हैं, क्योंकि सतीश पूनिया वसुंधरा राजे सिंधिया को मुख्यमंत्री चेहरा बनाए जाने का विरोध करते रहते हैं, इसीलिए जब पूनिया का कार्यकाल बढ़ा तो वसुंधरा ने सांकेतिक जवाब देने का प्लान बनाया. सियासत में कभी भी कुछ भी यूं ही नहीं होता और ना ही तुरंत जवाब दिया जाता है.

वसुंधरा राजे सिंधिया गुट को खुश करने के लिए सीपी जोशी को बनाया अध्यक्ष!
इसीलिए सितंबर के बाद करीब 6 महीने तक वसुंधरा शांत रहीं, और उसके बाद राजस्थान बीजेपी में वो हुआ जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी, बीजेपी खुद को सबसे अनुशासित पार्टी मानती है लेकिन 4 मार्च को राजस्थान बीजेपी ही दो गुट में बंट गई. विधायक, सांसद औऱ पार्टी के बड़े-बड़े नेता ये नहीं समझ पा रहे थे कि वसुंधरा राजे सिंधिया के साथ जाएं या फिर विधानसभा घेराव वाले कार्यक्रम में जाएं. वसुंधरा का जन्मदिन 8 मार्च को होता है लेकिन उन्होंने 4 मार्च को ही जन्मदिन के उपल्क्षय में भव्य कार्यक्रम आयोजित कर लिया. जब ये तस्वीर दिल्ली पहुंची तो नड्डा ने दिमाग लगाया कि ऐसे तो चुनाव में नुकसान हो जाएगा.

- सतीश पूनिया वसुंधरा राजे सिंधिया के विरोधी माने जाते हैं,जबकि सीपी जोशी उनके गुट के हैं
- ऐसे में सीपी जोशी को अध्यक्ष बनाकर वसुंधरा राजे सिंधिया को खुश करने की कोशिश हुई है
- पर सवाल ये है कि क्या सिंधिया बस इतने से मान जाएंगी, या अभी और डिमांड बढ़ने वाली है?

अगर ऐसा हुआ तो फिर नड्डा को भी ये अफसोस हो कि ये तो बड़ी गलती हो गई, बात बीजेपी भी जानती है कि साल 2023 में यानि इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में अगर गहलोत को हटाना है तो फिर सिंधिया गुट को समझाना जरूरी है. गुटबाजी के चक्कर में कांग्रेस को महाराष्ट्र में कितना बड़ा नुकसान उठाना पड़ा ये पूरे देश ने देखा, अब चूंकि इस साल कई राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, और अगले साल लोकसभा चुनाव भी होना है तो बीजेपी किसी भी हाल में रिस्क नहीं लेना चाहती. राजस्थान के अलावा ओडिशा में बीजेपी ने समीर मोहंती की जगह मनमोहन सामल को जिम्मेदारी दी है, जो संगठन बनाने में माहिर माने जाते हैं, जबकि दिल्ली बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा को ही स्थायी अध्यक्ष बना दिया गया है, केजरीवाल की पार्टी पर लग रहे आरोपों को सचदेवा के नेतृत्व में बीजेपी ने जैसे उठाया है, लगता है उसका इनाम सचदेवा को मिला है. इसके अलावा बिहार में बीजेपी ने सम्राट चौधरी को नया अध्यक्ष बनाया है, ये वही सम्राट चौधरी हैं, जो कभी लालू के खास हुआ करते थे, मतलब लालू के लाल के खिलाफ बीजेपी ने बड़ा इंतजाम कर दिया है,ये वो राज्य हैं जहां बीजेपी सालों से सत्ता से दूर है.