न मोदी थे,न सुषमा थी,न अटल थे फिर भी अमेरिका में 30 मिनट तक भारत की तारीफ
अंतराष्ट्रीय मंच पर बैठकर एक बयान की कीमत क्या होती है? कुछ दिन पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को मोदी ने साफ-साफ समझाया ये वक्त युद्ध का नहीं है, बस उस बयान के बाद अचानक कई देशों का मन ही बदल गया. फ्रांस से लेकर तुर्की तक का बयान साफ इशारा करता है कि है विश्व मंच पर मोदी का ये बयान काफी कुछ बदलाव लाया है. तुर्की कश्मीर को लेकर हमेशा भारत का विरोधी रहा है, पाकिस्तान का पक्ष रखने वाला तुर्की भारत के पक्ष में पहली बार आया. तुर्की के राष्ट्रापति रेसेप तैयप एर्दोग ने तो पहली बार संतुलित बयान दिया है. कश्मीर में शांति लौटने का जिक्र किया है. माना जा रहा है कि मोदी ने पुतिन को समझाया तो तुर्की को खुद ही अक्ल आ गई.
भारत और पाकिस्तान को आजाद हुए 75 साल हो गए हैं लेकिन दोनों देश आज तक कश्मीर समस्या का हल नहीं निकाल पाए हैं, यह दुर्भाग्यपूर्ण है. मैं आशा करता हूं कि कश्मीर में सुख-समृद्धि फिर लौट आएगी. ये बयान इसलिए कीमती है क्योंकि तुर्की मतलब दूसरा पाकिस्तान, अचानक कश्मीर के साथ आना. मोदी की तारीफ में इशारा करना कि हम भारत के साथ है का मतलब क्या है? तुर्की और पाकिस्तान मित्र देश हैं, ऐसे में तुर्की का भारत के पक्ष में बोलना साबित करता है पाकिस्तान में चूल्हा नहीं जलेगा.SCO में मोदी की मीटिंग के बाद का ये इशारा साफ दावा करता है कि मोदी ही कश्मीर को सुधार सकते हैं!
SCO की मीटिंग में मोदी ने पुतिन को समझाया, कई देश कश्मीर पर भारत के साथ आए

तुर्की की अकड़ ढीली क्यों हुई इस बात को समझना है तो फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने अमेरिका में जाकर भारत की तारीफ में क्या कहा ये सुनिए. एक वक्त था जब अटल बिहारी ने इंदिरा गांधी की सरकार में UN में सबकी बोलती बंद कर दी थी ठीक वैसे ही फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भारत का पक्ष रखकर सबको हैरान कर दिया.
SCO की मीटिंग में मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से हाथ नहीं मिलाया तो असर पूरे विश्व में हुआ
चीन ताइवान पर कब्जा चाहता था पर अचानक रूख बदल गया,मोदी ने शांति का पाठ रूस को पढ़ाया सीखा चीन
जिस ताइवान की सीमा पर चीन हवाई हमले की प्लानिंग में था अचानक शांति दूत बनकर बात क्यों करने लगा
ज़ाहिर है कुछ लोगों को पसंद नहीं आएगी ये रिपोर्ट लेकिन मोदी की शांति वाली बात तो दुनिया को पसंद आ गई!
अब हम आपको सुनवाते हैं फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने अमेरिका में भारत और मोदी के बारे में क्या कहा है? सुनिए सीना गर्व से न चौड़ा हो तो दिल से ये रिपोर्ट यहीं छोड़ दीजिएगा

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सही कहा था कि ये युद्ध का युग नहीं है. ये पश्चिम से बदला लेने और उसे पूर्व के खिलाफ खड़ा करने का समय नहीं है. ये वक्त है कि हम सभी संप्रभु राष्ट्र हमारे समक्ष मौजूद चुनौतियों का एकजुट होकर मुकाबला करें. इसीलिए उत्तर और दक्षिण के बीच नए समझौतों की सख्त जरूरत है. एक ऐसा समझौता, जो खाद्यान्न, शिक्षा और जैव विविधता के क्षेत्र में हो. ये सोच को सीमित करने का नहीं, बल्कि साझा हितों के लिए खास कार्रवाई करने के लिए गठबंधन बनाने का है. इसलिए मुझे लगता है PM मोदी ने जो बात SCO की मीटिंग में की वो सबको माननी चाहिए.
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का UN जनरल असेंबली में दिया गया बयान
जिनको लगता है भारत POK की घेराबंदी नहीं कर पाएगा उनको मोदी की कश्मीर नीति को देखना चाहिए. ये बात सही है कि कश्मीर में कुछ निर्दोषों का खून बहा लेकिन क्या उनका कर्ज ऐसे ही उतरेगा. उसके लिए दुनिया को भारत का साथ देना होगा, क्योंकि भारत युद्ध नहीं चाहता है. ये भारत की दोहरी नीति है. वहीं नीति जो अमेरिका की थी. सालों से चीन जिस नीति पर था. हथियार बेचकर कहो हमें युद्ध नहीं करना है, हम शांति चाहते हैं. एक तरफ भारत तेज़ी से हथियार बेच और बना रहा है दूसरी तरफ शांति की बात कर रहा है.एक तरफ महात्मा गांधी का पाठ दूसरी तरफ भगत सिंह का अवतार सबको समझ में नहीं आएगा
भारत अब डबल गेम खेल रहा है, अनाज के निर्यात पर रोक मतलब कई देशों में भूख का संकट !
जिन देशों पर अनाट का संकट आएगा उनमें तुर्की चीन भी शामिल है,इसलिए मोदी ने झुका दिया
ईरान कहता था हमसे तेल नहीं खरीदेंगे तो हम चावल नहीं लेंगे, लेकिन भाई अब उल्टा हो गया !
मोदी ने साफ कहा है कि हमें रूस की तरह सस्ते दाम पर तेल तो तो हम लेंगे चावल भी दे देंगे
अब पाकिस्तान पर क्या बीत रही है ये समझिए,जो देश कश्मीर पर पाक के साथ थे वो अब नहीं हैं
चीन ने पाकिस्तान को राफेल फाइटर प्लेन के बदले एक लॉलीपॉप हथियार दिया,जिसका नाम J10C है
मोदी की SCO मीटिंग का कांग्रेस के नेता मज़ाक बना रहे थे कि मोदी को सबसे किनारे खड़ा कर दिया है…पर आप जान लीजिए किनारे वाले बंदे ने ही सबको किनारे लगा दिया है…दुनिया के पास तीन विकल्प है…पहला भारत की बात सुने, वो समझे और शांति से रहे, दूसरा- भारत के साथ व्यापार करे, कुछ दो, कुछ लो और तीसरा, भारत कब्ज़े की नीति नहीं रखता है लेकिन कश्मीर पर क्या करना है ये बहुत अच्छे से पता है!