कहते हैं सिग्नेचर और कैरेक्टर इंसान का आखिरी वक्त तक नहीं बदलता, चाहे पुलिस कितनी भी सख्ती दिखा ले, सीधा बदमाशों को ऊपर ही क्यों न भेज दे, फिर भी सबकी अकड़ ढीली नहीं होती, कुछ ऐसे ही लोगों में अनिल दुजाना का नाम भी शुमार था, जो ग्रेटर नोएडा के दुजाना गांव का रहने वाला था, इसका असल नाम अनिल नागर था लेकिन बाद में ये अनिल दुजाना बन गया और 60 से ज्यादा आपराधिक वारदातों को अंजाम दिया.

इसके बारे में ये बात काफी फेमस थी कि दुजाना की चाल और बंदूक की नाल पर शक मत करना, सुंदर भाटी इसका सबसे बड़ा दुश्मन है, इसके अलावा इसकी दुश्मनी इतनी थी कि पुलिस जब कोर्ट में पेशी के लिए ले जाती तो इसे बुलेटप्रूफ जैकेट पहनाकर ले जाती थी, ताकि इस पर कोई हमला न कर दे, कहा जा रहा है कि 24 दिन पहले यानि 10 अप्रैल को ही ये तिहाड़ जेल से छूटा था, फिर सवाल ये है कि 4 मई की सुबह-सुबह ऐसा क्या हुआ कि पुलिस ने इसे बीच सड़क पर दौड़ा लिया. कहा जा रहा है कि यूपी एसटीएफ को जैसे असद की इंफॉर्मेशन मिली थी ठीक वैसे ही एक कॉल आई कि अनिल दुजाना मेरठ जिले के भोला झाल की गंग नहर के पास छिपा है, जैसे ही दुजाना को पुलिस के आने की भनक लगी वो स्कॉर्पियो से भागने लगा, लेकिन यूपी एसटीएफ के ट्रेंड जवानों ने उसे भागने से पहले ही ऊपर भेज दिया. लेकिन यहां सवाल ये है कि जेल से छूटने के 24 दिन के भीतर उसने ऐसा क्या किया कि यूपी एसटीएफ उसेक पीछे पड़ गई.

अतीक की मौत के बाद यूपी के बड़े-बडे़ माफिया डर गए, असद का हाल देख कइयों की हेकड़ी निकल गई, पर दुजाना नहीं सुधरा
वो तिहाड़ जेल से जैसे ही लौटा, फोन से उगाही का धंधा चलाने लगा, बिल्डर्स को धमकाने लगा, अपना साम्राज्य फिर से बनाने की कोशिश करने लगा
दिल्ली पुलिस उसे कई मामलों में पहले से ही ढूंढ रही थी, पर दुजाना हाथ नहीं आया, आखिर में यूपी एसटीएफ ने बताया कि अभी हम ही बेस्ट हैं
क्योंकि जो भी पुलिस माफिया का सफाया करेगी, जनता की नजर में वही बेस्ट होगी, यूपी पुलिस के तरीके पर कुछ लोग सवाल उठाते हैं
ओवैसी और अखिलेश यादव जैसे लोग अभी से ये सोचने लगे होंगे कि दुजाना का धर्म तो असद वाला नहीं है, फिर इसे लेकर सियासी रोटी कैसे सेकें?
क्योंकि कई नेता अपराध नहीं बल्कि अपराधी का धर्म देखकर राजनीति करते हैं, और यही बात योगी कई बार अपने बयानों में कह चुके हैं कि हम हर अपराधी को एक ही सजा देते हैं, उत्तर प्रदेश पुलिस ने कुछ समय पहले ही 61 बदमाशों की लिस्ट निकाली थी, जिसमें से एक दुजाना निपट चुका है, और 60 बचे हैं, जिनमें से अगला नंबर किसका होगा ये कहा नहीं जा सकता, ग्रेटर नोएडा से लेकर मुजफ्फरनगर, मेरठ और कई जिलों में खौफ का पर्याय रह चुका दुजाना इस दुनिया से गया तो मुख्तार फिर से खौफ में जीने लगे, क्योंकि अब उसे समझ आया कि सिर्फ कोर्ट में पेशी में ही खतरा नहीं है, अगर जेल से छूट गए तो भी खतरा है.