गांगुली को गरीबी पर आया तरस, स्टेडियम में दिलवाया कमरा, 500 रुपये लेकर खेलता था क्रिकेट, ऐसे बदली किस्मत
भूखे पेट रह खेला क्रिकेट, न खिलाड़ियों वाली डाइट न ट्रेनिंग, हुनर ने दिलाई एंट्री, मुकेश कुमार हैं रियल लाइफ विनोद
बिहार के लाल ने कर दिया कमाल, क्या विश्वकप भी होगा चयन? बुमराह की जगह मुकेश की खुल सकती है किस्मत?
ये कहानी है 28 साल के गेंदबाज मुकेश कुमार की, जो बिहार के गोपालंगज जिले के काकड़कुंड गांव गलियों में कभी क्रिकेट खेला करते थे, ये बात तो अब तक आप जान चुके होंगे? हम आपको कुछ inside स्टोरी सुनाते हैं…लेकिन उससे पहले एक ज़रूरी सूचना:
अब आते है कहानी पर…पिता कोलकाता में ऑटो चलाते थे, पर परिवार बिहार में रहता था. कुछ हादसे आपकी ज़िंदगी में वरदान बनकर आते हैं. मुकेश के साथ एक हादसा हुआ और फिर पिता ने बंगाल बुला लिया, और भारत को मिल गया एक तेज़ गेंदबाज मुकेश कुमार ने तीन बार सीआरपीएफ का टेस्ट दिया लेकिन फेल हो गए. क्योंकि किस्मत का कुछ और मंजूर था…हालांकि रोज़ी-रोटी के लिए प्राइवेट क्लब मैच में 500 रुपये प्रति मैच के हिसाब से खेलना शुरू किया…तभी साल 2014 में पश्चिम बंगाल की रणजी टीम के लिए बड़े स्तर पर ट्रायल शुरू हुआ, गेंदबाजी कोच रानादेब बोस और बंगाल क्रिकेट बोर्ड के डायरेक्टर जयदीप मुखर्जी खिलाड़ियों को चुन रहे थे. मुकेश को ये बात जैसे ही पता चली किट उठाकर वहां पहुंच गए, ट्रायल देने वाले खिलाड़ियों की लिस्ट में मुकेश का नाम आखिरी कुछ खिलाड़ियों में था और वहां भी एक घटना घटी जिसने होनी के ख़िलाफ़ मुकेश को चुना…मुकेश ने अपने एक साथी खिलाड़ी से कहा

सुनो मैं बाथरूम से आता हूं.मेरा नाम आने वाला है, आप मेरी जगह का ख़्याल रखिएगा. हालांकि मुकेश जब लौटे तो वहां कोई नहीं था, मुकेश भागकर कोच के पास पहुंचे. हाथ पैर जोड़कर गेंद देखने की अपील करते हैं और मौका मिल गया. शानदार अंदर आती यार्कर गेंद मुकेश ने जैसे ही डाली बैट्समैन परेशान हो गया, ये देखते ही रानादेब बोस समझ गए कि बंगाल को बेस्ट बॉलर मिल गया है, यहीं से मुकेश के क्रिकेट में वापसी की शुरुआत हुई. ऑटो वाले बिहारी बाबू का बेटा क्रिकेट में चुन लिया गया था.
हालांकि इस बॉलर के पास न तो खाने के पैसे थे और न प्रैक्टिस के. जब मेडिकल टेस्ट हुआ तो पता चला कि ये खिलाड़ी तो कुछ भी स्पेशल डाइट नहीं लेता, पूछने पर पता चला कि कभी-कभी तो भूखे पेट रहकर क्रिकेट खेलना पड़ता है, तब कोच रानादेब ने सौरव गांगुली से मदद मांगी और ईडन गार्डन स्टेडियम में रहने के लिए एक कमरा दिलवा दिया, उसके बाद तो मुकेश ने रणजी में शानदार प्रदर्शन किया, आईपीएल में दिल्ली की टीम ने बतौर नेट गेंदबाज चुना, फिर ईरानी ट्रॉफी और इंडिया ए में भी मुकेश का जलवा देखने को मिला

प्रतिभा खोज तलाश क्रिकेट में 7 मैच में मुकेश ने 37 विकेट, 1 हैट्रिक विकेट लिया था
मुकेश कुमार ने अब तक प्रथम श्रेणी के 31 मैच खेले हैं, जिनमें 113 विकेट चटकाए हैं
मुकेश उन खिलाड़ियों की लिस्ट में शामिल हैं, जो बिना IPL खेले टीम इंडिया में चुने गए
ऐसा कहा जा रहा है कि गांगुली ने इस खिलाड़ी के खेल से पहले से ही प्रभावित थे, इसलिए 6 अक्टूबर से शुरू होने वाले साउथ अफ्रीका के खिलाफ वनडे सीरीज में जब नए खिलाडडियों को लाने की चर्चा हुई तो मुकेश कुमार का नाम पहले शामिल किया. मुकेश ने टीम इंडिया में चुने जाने के बाद कहा.

मुझे भारतीय टीम के अधिकारिक व्हाट्सएप ग्रुप में जब शामिल किया गया तब पता चला कि मेरा सेलेक्शन अफ्रीका के खिलाफ वनडे सीरीज में हुआ है. मैं ये देखकर बहुत भावुक हो गया था, मेरे आंखों के सामने सबकुछ धुंधला था, सिर्फ पिताजी का चेहरा याद आ रहा था. जब तक मैंने रणजी ट्रॉफी नहीं खेली पिताजी को कभी नहीं लगा कि मैं क्रिकेटर बन सकता हूं, मेरी मां के आंखों में आंसू हैं, पूरा परिवार खुशी से रो पड़ा.

ब्रेन स्ट्रोक्स की वजह से मुकेश के पिता ने पिछले साल दुनिया को अलविदा कह दिया, अब मुकेश पर दोहरी जिम्मेदारी है, जिसे उन्हें बखूबी निभाना होगा, एक तरफ टीम इंडिया को जीत दिलाना है तो दूसरी तरफ छह भाई-बहनों और मां का ख्याल रखना होगा