अमित शाह के बेटे जय शाह का कुछ ही दिनों में प्रमोशन होने वाला है, अब वो बीसीसीआई के सचिव के बाद बीसीसीआई अध्यक्ष बन जाएंगे. फिलहाल सौरव गांगुली अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट ने कहा भी है कि आप दोनों अगले तीन साल के लिए इस पद पर रह सकते हैं लेकिन बावजूद उसके गांगुली की छूट्टी होने वाली है, इस कहानी को समझने के लिए आपको 15 साल पहले चलना होगा,

जब साल 2007 में आईपीएल आने के बाद बीसीसीआई दुनिया की सबसे रईस बोर्ड के साथ-साथ भ्रष्ट संस्था भी बन गई थी, यहां अध्यक्ष पद को लेकर इतनी मारामारी होती थी जितनी चुनाव में भी नहीं होती, महाराष्ट्र के बड़े नेता शरद पवार भी इसके अध्यक्ष रह चुके हैं, जिन्होंने आईपीएल लॉन्च किया था, और उसके बाद तो बीसीसीआई में इतने बड़े लेवल पर भ्रष्टाचार हुआ श्रीनिवासन और जगमोहन डालमिया जैसे बीसीसीआई अध्यक्ष पर कई गंभीर आरोप लगे. ये वो दौर था जब अपने सगे-संबंधियों को लोग इस संस्था में पैसा कमाने के लिए बिठा रहे थे, ऐसे कई आरोप मीडिया रिपोर्ट में भी सामने आए. आखिर में सुप्रीम कोर्ट को कमेटी बनानी पड़ी

जस्टिस आरएम लोढ़ा की अगुवाई वाली कमेटी ने साल 2018 में कहा था कि बीसीसीआई का अध्यक्ष हो या फिर राज्य क्रिकेट बोर्ड का अध्यक्ष वो लगातार 6 साल तक ही पद पर बना रह सकता है, इसमें तीन साल राज्य क्रिकेट बोर्ड में और तीन साल बीसीसीआई में, अगर किसी को उसके बाद भी पद पर बने रहना है तो तीन साल का ब्रेक लेना होगा, इसे ही अंग्रेजी में कूलिंग ऑफ पीरियड कहा जाता है.
यही नियम सभी पदाधिकारियों पर लागू होता है, ये नियम इतना असरदार रहा कि उसके बाद बीसीसीआई से ऐसी भ्रष्टाचार की शिकायतें नहीं आई. नियम के हिसाब से अक्टूबर 2019 में अध्यक्ष बनने वाले गांगुली और सचिव बनने वाले जय शाह का कार्यकाल अक्टूबर 2022 में खत्म हो रहा था, लेकिन उससे पहले ही कहानी बदल गई. साल 2019 में ही बीसीसीआई सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई और कहा कि जज साहब ये नियम तो ठीक नहीं है, हम चाहते हैं कि बीसीसीआई अध्यक्ष हों या सचिव या फिर कोई भी पदाधिकारी उन्हें लगातार 6 साल तक काम करने का मौका दिए जाए, उसके बाद ही कूलिंग ऑफ पीरियड वाला नियम लागू हो, राज्य बोर्ड और बीसीसीआई को एक में नहीं मिलाया जा सकता, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हीमा कोहली की बेंच ने बीसीसीआई की बात को सही मानते हुए कहा कि आप अपने नियमों में बदलाव कर सकते हैं, इस फैसले के बाद देशभर के क्रिकेट प्रेमियों को ये लगा कि अब गांगुली और जय शाह ही अगले तीन साल तक अपने-अपने पदों पर रहेंगे, लेकिन फैसला आते ही उसी शाम खेल पलट गया. इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि
15 राज्य संघों ने जय शाह को बीसीसीआई के अध्यक्ष के रूप में सपोर्ट किया है. कई सदस्यों ने महसूस किया कि जय शाह के प्रयासों के कारण ही इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) कोविड-19 महामारी के दौरान संभव हो पाई थी. जय शाह की वजह से ही बीसीसीआई ने आईपीएल के मीडिया राइट्स 48,390 करोड़ में बेचे और बोर्ड का खजाना बढ़ा.
अगले कुछ दिनों में बोर्ड की सालाना बैठक होगी और फिर चुनाव को लेकर ऐलान होगा, जिसमें तय माना जा रहा है कि जय शाह अध्यक्ष चुने जाएंगे, जिसके बाद गांगुली हो सकता है इंटरनेशनल क्रिकेट बोर्ड में जाने की सोचें या फिर उन्हें कुर्सी छोड़ने का इनाम राज्यसभा भेजकर भी दिया जा सकता है. चूंकि गांगुली कि धोनी और विराट से अच्छी नहीं बनती थी इसलिए तीन सालों तक दोनों साइड रहे, आखिर में विराट को कप्तानी तक छोड़नी पड़ी, उसकी वजह उनकी परफॉर्मेंस भी रही लेकिन कहते हैं गांगुली का भी प्रेशर था, अब अगर गांगुली गए तो धोनी और विराट को बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है, क्योंकि ये दोनों खिलाड़ी जय शाह को काफी पसंद हैं, इसके अलावा क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर को भी कोई अहम जिम्मेदारी मिल सकती है, जिसके बाद टीम इंडिया और मजबूत होगी, धोनी युग-विराट युग और तेंदुलकर युग अगर एक साथ आ गया तो फिर दुनिया की कोई भी टीम भारत को हराने की सोच भी नहीं पाएगी.