भारत जोड़ो यात्रा पर निकले राहुल लेकिन सचिन पायलट का दिल 36 टुकड़ों में किसने किया?
कहते हैं बरगद का पेड़ ज्यादा पुराना हो जाए तो वो किसी और को बड़ा नहीं होने देता! कांग्रेस में सिंधिया को कभी मौका नहीं मिला तो BJP के स्टार मंत्री बन गए, कांग्रेस ने हिमंता बिस्व सरमा को कुत्ते वाला बिस्कुट खिलाया तो बीजेपी के फायर ब्रांड नेता बन गए, जितिन प्रसाद को सम्मान नहीं दिया तो शाह ने योगी सरकार में ताकतवर मंत्री बनाया, तो क्या अब सचिन पायलट के लिए BJP में मंच तैयार होगा, क्योंकि अशोक गहलोत के रहते राजस्थान में सचिन कभी भी सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठ सकते हैं…राजस्थान कांग्रेस में महासंग्राम छिड़ा है…अशोक गहलोत दिल्ली से लेकर राजस्थान की सिसायत में बने रहना चाहते हैं, सोनिया गांधी उन्हें दिल्ली बुलाकर अध्यक्ष बनाना चाहतीं है तो गहलोत सचिन सीएम न बने इसलिए अपने गुट के विधायकों को साफ कह दिया

अध्यक्ष मैं बना तो टिकट भी मैं दूंगा फिर देख लेना सचिन किस-किसको टिकट दिलाएगा…यानि राजस्थान में डर की सियासत चल रही है…ऐसी स्थिति में गहलोत और पायलट के पास सिर्फ पांच विकल्प बचते हैं, उनमें से तीन गहलोत के पक्ष में औऱ दो पायलट के पक्ष में हैं, हम वो विकल्प बताएं उससे पहले गहलोत का गेम प्लान समझिए.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अशोक गहलोत गुट के 92 विधायकों ने रातों-रात स्पीकर सीपी जोशी को अपना इस्तीफा सौंप दिया, इस्तीफे के बाद जब सोनिया गांधी ने अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे को विधायकों से मिलने भेजा तो कोई मिलने को तैयार नहीं हुआ, आखिर में ये गहलोत से मिलकर दिल्ली लौट गए और गहलोत ने तो ये तक कह दिया कि अब हमारे हाथ में कुछ भी नहीं है, पानी सिर से ऊपर जा चुका है.

सचिन पायलट को गहलोत नहीं बनने देंगे CM, इसलिए शाह ने सिंधिया को काम पर लगाया!
लेकिन सवाल ये उठता है कि गहलोत अपनी ही सरकार क्यों गिराना चाहते हैं, इसे समझने के लिए आपको दो साल पहले की कहानी समझनी होगी, दरअसल साल 2020 में सचिन पायलट ने महाराष्ट्र के एकनाथ शिंदे की तरह बगावत कर दी थी, तब सचिन पायलट के पास सिर्फ 25 विधायक थे, कहा ये भी गया कि पायलट सीधे बीजेपी के बड़े नेताओं के संपर्क में थे, पायलट की सिंधिया से अच्छी बनती है, सिंधिया कुछ साल पहले ही बीजेपी में आए हैं इसलिए राजस्थान में अभी जो भी हो रहा है उस पर सिंधिया की नजर है, उस वक्त भी सिंधिया के सहारे ही गहलोत की सत्ता पलटने वाली थी, लेकिन गहलोत ने नीतीश की तरह समय रहते सबकुछ भांप लिया था. अब चूंकि गहलोत कांग्रेस के अध्यक्ष बनने वाले हैं, इसलिए पायलट के सीएम बनने की चर्चा तेज हो गई, लेकिन गहलोत ने सभी विधायकों से इस्तीफा दिलवाकर आलाकमान को ये दिखाने की कोशिश की है कि अगर मेरे पसंदीदा विधायक को सीएम नहीं बनाया तो सरकार नहीं चल पाएगी. लेकिन गहलोत शायद ये भूल गए कि 200 विधानसभा सीटों वाले राजस्थान में कांग्रेस के पास 108 विधायक हैं, अगर पायलट ने बगावत कर दी तो सरकार गिर सकती है, इसीलिए पायलट को मनाना कांग्रेस की मजबूरी है.

सोनिया, राहुल, प्रियंका सब चाहते हैं पायलट सीएम बनें,लेकिन अशोक गहलोत ये नहीं चाहते
गहलोत चाहते हैं सीपी जोशी, रघु शर्मा, बीडी कल्ला या शांतिलाल धारीवाला को सीएम बनाएं
अगर गहलोत ने इस बार पायलट को सीएम नहीं बनने दिया तो उनकी सरकार गिर सकती है
बीजेपी के पास 71 विधायक हैं, अगर 30 विधायक भी पायलट ले आए तो सीएम बन सकते हैं
ऐसे में गहलोत को अध्यक्ष का लालच छोड़ सीएम बने रहना चाहिए या इस्तीफा दे देना चाहिए
जबकि पायलट को सोनिया-राहुल से बात करनी चाहिए,वरना BJP के दरवाजे उनके लिए खुले हैं

राजस्थान कांग्रेस में महाभारत में शकुनी कौन? सचिन के साथ कब तक होता रहेगा अन्याय?
राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया ने इस बात के संकेत अभी से दे दिए हैं कि पायलट के लिए बीजेपी के दरवाजे बंद नहीं हैं. इस बार अगर पायलट ने बगावत कर दी तो गहलोत का गेम प्लान धरा का धरा रह जाएगा, गहलोत खुद को जादूगर समझते हैं लेकिन बीजेपी के चाणक्य अमित शाह के सामने गहलोत का कोई जादू काम करेगा ऐसा फिलहाल के बिगड़ते हालात को देखकर तो नहीं लगता. राहुल गांधी भी ये जानते हैं कि सचिन पायलट के साथ शुरू से अब तक कितना अन्याय हुआ है, इसका जिक्र वो खुद भी कर चुके हैं.. फिलहाल राहुल भारत जोड़ो यात्रा के नाम पर पूरे देश में घूम रहे हैं, लेकिन हो सकता है उनकी यात्रा के बीच ही राजस्थान कांग्रेस में टूट हो जाए और सिंधिया की तरह ही उनके दोस्त सचिन पायलट भी उनसे दूर चले जाएं