दो साल तक अनाथ आश्रम में रहा: जगदीश चंद्र आर्य
78 साल के दादा और 77 साल की दादी की किस्मत अच्छी थी, एक बेटा बिज़नमैन हैं, जिसके अकाउंट में 30 करोड़ से ज्यादा है! पोता ट्रेनी IAS हैं, पर दादा-दादी का अंत कुछ ऐसे होता है कि आप कहेंगे हे भगवान ऐसी किस्मत किसी को मत देना! ऐसा क्या हुआ कि जिसकी संतान के पास करोड़ों है, पोता IAS हैं उसको क्यों जान देनी पड़ी? इसलिए पहले सुनिए दादा-दादी ने मौत से पहले सुसाइड नोट ऐसा क्या लिखा है कि जो भी पढ़ता है वो थम जाता है…फिर आपको बताते हैं वो IAS कौन हैं और कहां पोस्टिंग, हम PM मोदी और राष्ट्रपति से उसकी शिकायत कहां कर सकते है!
पुलिस को प्राप्त सुसाइड नोट में लिखी गई बातें

मैं जगदीश चंद्र आर्य आपको अपना दुख सुनाता हूं…मेरे बेटे के पास बाढ़ड़ा में 30 करोड़ की संपत्ति है, लेकिन उसके पास मुझे देने के लिए दो वक्त की रोटी नहीं हैं….मैं अपने छोटे बेटे के पास रहता था…6 साल पहले उसकी मौत हो गई….कुछ दिन उसकी पत्नी ने साथ रखा, लेकिन बाद में उसने गलत काम करना शुरू कर दिया. मैंने विरोध किया तो पीटकर घर से निकाल दिया…घर से निकाले जाने के बाद मैं दो साल तक अनाथ आश्रम में रहा…फिर वापस आया तो उन्होंने मकान पर ताला लगा दिया…इस दौरान मेरी पत्नी लकवा का शिकार हो गई और हम दूसरे बेटे के पास रहने लगे…कुछ दिन बाद दूसरे बेटे ने भी साथ रखने से मना कर दिया और मुझे बासी खाना देना शुरू कर दिया है…ये मीठा जहर कितने दिन खाता, इसलिए मैंने हमेशा सुला देना वाली असली गोली खा ली. मेरी मौत का कारण मेरी दो पुत्रवधू, एक बेटा और एक भतीजा है..जितने जुल्म उन चारों ने मेरे ऊपर किए, कोई भी संतान अपने माता-पिता पर न करे…मेरी बात सुनने वालों से प्रार्थना है कि इतना जुल्म मां-बाप पर नहीं करना चाहिए. सरकार और समाज इनको दंड दे…तब जाकर मेरी आत्मा को शांति मिलेगी. बैंक में मेरी दो एफडी और बाढ़ड़ा में दुकान है, वो आर्य समाज बाढ़ड़ा को दे दी जाएं…

खाने को देते थे बासी खाना: पीड़ित बुजुर्ग
यहां हम कुछ भी बताएं उसके पहले समझिए यहां दादा खुद सेना में थे, उनकी पेंशन आती थी, वो भूख की लड़ाई में नहीं हारे, वो प्यार न मिलने की वजह से टूट गए, दादा की दो FD थी, उनके नाम पर ज़मीन थी, पर रहने के लिए घर नहीं मिला, बेटे का प्यार नहीं मिला…ख़त में दादा ने IAS पोते को मौत का जिम्मेदार नहीं ठहराया, विवेक आर्य ने 2021 में UPSC की परीक्षा निकाली थी, पर उसी वक्त संयोग से दादा-दादा को अनाथ आश्रम में रहना पड़ा, अंत में वो लड़ाई हार गए…समाज सबसे बड़ा जिम्मेदार उसी IAS पोते विवेक आर्य को मान रहा है! और पूछ रहा है कि जब आप अपने दादा-दादी को दो रोटी नहीं दिला पाए तो आपकी डिग्री समाज के लिए कूड़ा है! हमारी टीम ने घटना की असली वजह पता लगाई तो हमें चौंकाने वाली बात पता चली! कुछ का कहान है कि अभी सच्चाई बाहर आएगी, कुछ का कहाना है कि दादा ने जो लिखा है वो सही है पर एक तीसरी बात है जिसमें सबसे ज्यादा दम लगता है!
बीमारी के कारण माता-पिता ने किया सुसाइड: पुत्र वीरेंद्र
ग्रामीण कहते हैं कि ये अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी की फिल्म बागवान की कहानी की तरह है…मृतक दादा की तीन संतान थी, सेना से रिटायर होने के बाद परिवार पालने के लिए खाद-बीज भंडार की दुकान तक चलाई, पर जब उम्र ने साथ छोड़ना शुरू किया तो उसी परिवार ने रोटी नहीं दी जिसके लिए ताउम्र मेहनत करते रहे…हमें पता चला कि दादा-दादी ने ऐसा कदम इस लिए उठाया क्योंकि मानवता से उनका भरोसा उठ गया, बहू और बेटे ने जो किया वो किसी को भी नहीं सह पाए, हालांकि बड़े बेटे ने पुलिस से कहा कि उम्र ज्यादा थी, तो बीमारी भी ज्यादा थी, वो कुछ भी बोलते हैं, हम सब निर्दोष हैं…
हम ऐसी ख़बर लिखना ही नहीं चाहते है, ऐसी ख़बरों को लिखने वाला भी रोता है, जैसे देखने वाले भी दुखी हो जाते है…न जाने कितने दादा-दादी है, न जाने कितने मां-बाप हमारे समाज में ऐसे ही जो रोज मरते है…समाज में एक नया ट्रेंड आया है, कुत्ता पालो घर में मां-बाप को रखो आश्रम में! इस ख़बर को देखने के बाद कम से कम आप कभी किसी के साथ ऐसा न करें कि वो अपनों की लड़ाई में जान हार जाए! दादा-दादी तो नहीं रहे पर उनका ख़त हमें जीना ज़रूर सिखा गया! बिना कमेंट किए आज आपको नहीं जाना चाहिए…