ज्ञानवापी पर आता फैसला, उससे पहले मोदी-योगी ने की मुलाकात, फिर काशी में गूंजा हर-हर महादेव
ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे से ठीक एक दिन पहले काशी गए थे सीएम योगी, दिया था ‘भगवा’ सिग्नल
अब फैसले से पहले मुलाकात की तस्वीर हुई वायरल, काशी से 800 किलोमीटर दूर मिले दोनों दिग्गज

जब काशी समेत पूरे देश की जनता ये सोच रही थी कि मां श्रृंगार गौरी की पूजा की अनुमति मिलेगी या नहीं, याचिका सुनी जाएगी या नहीं और अदालत क्या फैसला सुनाने वाली है, तो काशी से 800 किलोमीटर दूर बैठे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ काशी को लेकर कोई बड़ी प्लानिंग बना रहे थे, हम वो प्लानिंग बताएं उससे पहले ये तस्वीर देखिए, फैसले से ठीक तीन घंटे पहले दोनों की एक दूसरे से मुलाकात हुई, हालांकि मुलाकात की वजह कुछ और थी, लेकिन लोगों का कहना है कि मोदी-योगी के रहते दुनियाभर में सनातन संस्कृति का झंडा बुलंद होगा. अयोध्या के बाद जिस तरह का फैसला वाराणसी के जिला जज एके विश्वेस ने सुनाया वो इस बात का सबूत है कि ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के बाद अब हिंदुओं को श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजा की अनुमति भी मिल सकती है, हालांकि अभी ये सुनवाई के बाद ही फाइनल हो पाएगा, फिलहाल कोर्ट ने ये कहा है कि याचिका सुनवाई के लायक है, जिसका मतलब ये है कि अब हिंदुओं की मांग को कोर्ट गौर से सुनेगा.
PM मोदी वाराणसी से सांसद हैं,बाबा विश्वनाथ के बहुत बड़े भक्त हैं,योगी अब तक 97 बार काशी जा चुके हैं
दोनों नेताओं का काशी से गहरा लगाव है,पहले काशी कॉरिडोर बनवाया और अब काशी की भव्यता पर ध्यान है
3 साल पहले जब केस कोर्ट में नहीं आया था,तो तीज पर महिलाओं ने मोदी-योगी की फोटो रख मन्नत मांगी
अब फैसला कोर्ट ने सुनाया है लेकिन लोगों का कहना है कि मोदी-योगी की मेहनत से ही ये सपना साकार हुआ
केस को कोर्ट में ले जाने वाली 5 महिलाएं इस फैसले से इस उम्मीद में हैं कि पूजा की जल्द अनुमति मिलेगी
हालांकि मोदी-योगी का इस फैसले में बस इतना ही रोल है कि उन्होंने सनातन संस्कृति को लेकर हमेशा अपनी आवाज बुलंद की है, उन्होंने लोगों को जागरूक किया है कि अपने हक के लिए लड़ो, यही वजह है कि वाराणसी की पांच महिलाएं हिंदुओं के हक के लिए खड़ी हुईं तो पूरे देश ने समर्थन किया. पीएम मोदी का ये भाषण सुनिए जब मोदी काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन करने गए, तभी उन्होंने संकेत दे दिया था कि औरंगेजब ने जिस तरह मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाई है, उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

औरंगजेब के अत्याचार, उसके आतंक का इतिहास साक्षी है, जिसने सभ्यता को तलवार के बल पर बदलने की कोशिश की, जिसने संस्कृति को कट्टरता से कुचलने की कोशिश की लेकिन इस देश की मिट्टी बाकि दुनिया से अलग है. यहां अगर औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं.

जबकि सीएम योगी तो इन मामलों में पीएम मोदी से भी एक कदम आगे रहते हैं, जब ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे रिपोर्ट पर बवाल चल रहा था, सर्वे को लेकर सवाल उठ रहे थे, मुस्लिम पक्ष के लोग शिवलिंग को फव्वारा बता रहे थे तो सीएम योगी काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंच गए थे. सर्वे से एक दिन पहले सीएम योगी का पहुंचना भी एक संयोग माना गया, उसके बाद कुछ दिनों पहले ही सीएम योगी ने संकेत दिया कि कोर्ट का फैसला चाहे जो भी आए उपद्रव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
हम उन सभी का अभिनंदन करेंगे जिन्होंने राम मंदिर के मुद्दे को सांप्रदायिक सौहार्द के रूप में, राष्ट्रीय एकात्मता के रूप में लिया, और सभी पक्षों ने न्यायालय के फैसले का सम्मान किया क्योंकि वो सच था.
योगी ने भले ही राम मंदिर का नाम लिया लेकिन लोग समझ चुके थे कि ये इशारा काशी की ओर है, इसिलिए जब फैसले की घड़ी आई तो काशी ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में शांति व्यवस्था बनी रही. अकेले वाराणसी में दो हजार जवान मुस्तैद थे, और बाबा का बुलडोजर पहले से तैयार बैठा था, तभी तो लोग कहते हैं मोदी-योगी की जोड़ी देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी सनातन संस्कृति का झंडा बुलंद करेगी, बस लोगों को अपने हक के लिए आगे आना होगा.