इससे गरीब क्रिकेटर शायद ही दुनिया में कोई हो, पाथता है ईंट, अब हुआ सलेक्शन
आपने जितने भी गरीब क्रिकेटर की कहानियां सुनी होंगी, उनमें शायद ही कोई ईंट पाथने वाला रहा होगा, जडेजा के पिता गार्ड की नौकरी करते थे, मोहम्मद सिराज के पिता रिक्शा चलाते थे, और हार्दिक पांड्या का परिवार भी काफी गरीब हुआ करता था, लेकिन किसी की गरीबी कुलदीप जैसी नहीं थी. आज भी गांव-देहात में वही लोग ईंट-भट्ठे पर मजदूरी करते हैं जिनके सामने दो वक्त की रोटी का संकट है, जिन्हें कहीं आसानी से काम नहीं मिल पाता, ये उत्तर प्रदेश के शामली के सिलावर गांव के रहने वाले कुलदीप हैं, जिनका बचपन और जवानी सब गरीबी में ही बीत रहा है, अभी भी ईंट भट्ठे पर जाकर ईंट थापते हैं तो घर का खर्चा चलता है, बधाई देने वाले घर पर पहुंच रहे हैं तब कुलदीप उनसे मिलते तो हैं लेकिन दिमाग में हर वक्त ये बात चल रही होती है कि अगर आज भट्ठे पर नहीं गया तो कल घर का चूल्हा नहीं जलेगा

चार साल पहले जब क्रिकेट एकेडमी में एडमिशन लिया तो फीस जमा करने तक के पैसे नहीं थे, दो साल बाद ही पिता की मौत हो गई तो कुलदीप के ऊपर घर की जिम्मेदारी आ गई, लेकिन कोच ये बात अच्छी तरह जानते थे कि अगर कुलदीप की ट्रेनिंग जारी रही तो एक दिन दूसरा बुमराह बनेगा, इसीलिए कोच ने फ्री में कोचिंग देना शुरू कर दिया, जब भी ईंट भट्ठे का काम खत्म हो जाता, कुलदीप क्रिकेट खेलने चले जाता, इसी मेहनत का नतीजा रहा कि उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन को कुलदीप जैसे खिलाड़ी को टीम में शामिल करना पड़ा.

मां कहती थी- चार पैसे ज्यादा कमा,पर कुलदीप भूखे पेट रहकर भी खेलता था मैच
कुलदीप की मां और ईंट भट्ठे के मालिक सब उनकी सफलता पर भावुक हैं, हर किसी के आंखों में खुशी के आंसू हैं, जब आप कोई सफलता मेहनत और संघर्षों के दम पर हासिल करते हैं तो आवाज खुद ब खुद भावुक हो जाती है, आपको अपनी गरीबी की कहानी बतानी नहीं पड़ती, बल्कि वो खुद दिख जाती है, ये कुलदीप का घर है, जिसे देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कितनी मुश्किलों में कुलदीप की जिंदगी गुजर रही है, कुलदीप की मां कहती है ये कि शुरू से ही जुझारू था, मैं मना करती थी फिर भी खेलने जाता था, जबकि ईंट भट्ठे के मालिक आज कुलदीप को सलाम कर रहे हैं.

बुमराह जैसा बनने का है सपना, पांड्या,सिराज और जडेजा से भी भावुक रही जिंदगी
अगर कुलदीप ने रणजी ट्रॉफी में शानदार खेल दिखाया तो उनके लिए आगे टीम इंडिया में एंट्री के दरवाजे खुल सकते हैं, क्योंकि टीम इंडिया को 28 साल के जसप्रीत बुमराह की तरह टेक्निक वाले कई बॉलर की जरूरत है, टीम इंडिया के पास अभी डेथ ओवर का संकट चल रहा है, रोहित से लेकर द्रविड़ तक इस सोच में डूबे हैं कि डेथ ओवर के संकट से इंडिया को कैसे बचाएं, ये कुलदीप जैसे बॉलर के लिए एक तरह का मौका है, जब व्यक्ति मेहनत के दम पर आगे बढ़ता है तो किस्मत भी उसका साथ देती है. अगर कुलदीप जैसे युवा, जुझारू और होनहार क्रिकेटर आपके आसपास भी हैं तो हमें कमेंट में आप बता सकते हैं, ताकि उनकी कहानी भी देश के सामने आ सके, और जिन्हें ये लगता है कि क्रिकेट सिर्फ किट के भरोसे खेला जा सकता है, क्रिकेट सिर्फ अमीर लोग ही खेल सकते हैं, उनका भ्रम टूट सके, क्योंकि टैलेंट गरीबी और अमीरी देखकर नहीं आती, बल्कि टैलेंट तो किसी के अंदर भी हो सकता है, बस उसे सही वक्त पर निखारने की जरूरत होती है