कोई दूसरा युवराज सिंह इसलिए नहीं आया कि कोई पैदा ही नहीं हुआ बल्कि इसलिए नहीं आया क्योंकि युवराज के गुरू उसे नहीं मिले…क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर को ये बात सही समय पर समझ में आ गई, उनका बेटा अर्जुन क्रिकेट तो खेलता पर कोई कमाल नहीं कर पा रहा था…सचिन के सामने दो रास्ते थे पहला वो BCCI में सोर्स लगाए और बेटे के लिए कुछ करवाए, दूसरा रास्ता था हार्डवर्क का, मेहनत का, संघर्ष का…मीडिया ने अर्जुन तेंदुलकर को फ्लॉप बता दिया था पर इधर सचिन योगराज सिंह के साथ नई ईबारत लिखने की तैयारी में थे…अर्जुन तेंदुलकर बाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ हैं, बाएं हाथ के बल्लेबाज़ हैं, कहते हैं, जिस दौर में सचिन और गांगुली दोनों एक साथ ओपनिंग करते थे उस वक्त अर्जुन बच्चे थे लेकिन सौरभ गांगुली की बैटिंग पसंद करते थे…अब आप दो तस्वीरें देखिए, सचिन ने 11 दिसंबर 1988 को मुंबई की ओर से गुजरात के खिलाफ अपना पहला रणजी मैच खेला था…तब उनकी उम्र महज 15 साल थी

100 रन की नाबाद पारी खेल सबको हैरान कर डाला था…इधर अर्जुन ने रणजी में राजस्थान के खिलाफ डेब्यू किया…120 रन बनाए…16 चौके और 2 छक्के लगाए…बड़ी बात ये है कि राजस्थान की टीम रणजी की मास्टर मानी जाती है, टीम में अच्छे गेंदबाज़ हैं, पर अर्जुन का बल्ला नहीं रूका…उस टीम में कमलेश नागरकोटी और महिपाल लोमरोर जैसे स्टार गेंदबाज हैं..पर अर्जुन ने सबको दिखा दिया वो युवराज सिंह की तरह बैटिंग कर सकते हैं और पठान की तरह विकेट ले सकते हैं
सचिन के नाम के कारण मुकेश अंबानी को भी अर्जुन को मुंबई इंडियंस की टीम में रखना पड़ा पर आज तक उनको IPL में मौका नहीं मिला, सचिन मुंबई इंडियंस की टीम के साथ जुड़े हैं…लेकिन अब इस IPL में अर्जुन को मौका मिलने की पूरी उम्मीद है…सचिन के बेटे को महाराष्ट्र की टीम में मौका नहीं मिला तो योगराज सिंह की मेहनत के बाद गोवा की टीम में चयन हो गया जहां सबको जवाब दे दिया

आप इसे एक चश्मे से परिवारवाद भी कह सकते हैं दूसरे चश्मे से पिता से प्रेरित बच्चा भी कह सकते हैं जो खुद भी क्रिकेटर बनना चाहता है…क्योंकि क्रिकेटर बनना कोई मज़ाक नहीं है, नेशन के लिए एक ड्यूटी है जिसको सचिन ठीक से समझते होंगे…पर सवाल उठता है क्या शार्दुल का करियर शुरू होने से पहले ही ख़त्म होगा, क्योंकि अगर अर्जुन अच्छा खेलते हैं तो शार्दुल का बाहर जाना पक्का होगा? हार्दिक पांड्या अपनी गेंदबाज़ी, फिल्डिंग बैटिंग से TEAM के 3D प्लेयर बन चुके हैं, अब अर्जुन तेंदुलकर को भी उसी के लिए तैयार किया जा रहा है, जो 10 ओवर भी फेंक सकते हैं, जो सातवें या छठवें नंबर पर शतक भी लगा सकते हैं, और बाएं हाथ के बल्लेबाज की कमी भी पूरा कर सकते हैं, अगर अच्छा खेलते हैं तो फिलहाल भारत के पास चार अच्छे ऑलराउंडर होंगे जो मैच बदल सकते हैं, रविंद्र जडेजा के साथ वाशिंगटन सुंदर, पांड्या के साथ अर्जुन तेंदुलकर…
सचिन चाहते तो मुंबई इंडियंस टीम में अर्जुन को मौका मिलता, पर नहीं मिला, वो दो सालों तक बेंच पर ही इंतज़ार करते रहे…चाहते तो माहाराष्ट्र की रणजी टीम में जगह दिलवाते, लेकिन अर्जुन को अपनी योग्यता साबित करने को कहा…यहां सचिन ने एक कमज़ोर पिता का नहीं बल्कि समझदारी का परिचय देकर फिर से देश का दिल जीता…योगराज सिंह की ट्रेनिंग का असर दिखा सैय्यद मुश्ताक अली ट्रॉफी में हैदराबाद के ख़िलाफ़ अर्जुन ने चार ओवर में सिर्फ 10 रन दिए और चार विकेट भी चटकाए…बड़ी बात ये है कि ये चारों बल्लेबाज़ टॉप ऑर्डर थे

इधर सचिन का बेटा रंग जमा चुका है तो उधर सवाग का बेटा भी रंग में आने वाला है…अपनी बल्लेबाजी से हर किसी को कायल करने वाले और विरोधी टीम में तबाही मचा देने वाले वीरेंद्र सहवाग का बेटा भी ऐसा ही है…BCCI की तरफ से आयोजित अंडर-16 विजय मर्चेंट आर्यवीर को चुना गया है…15 साल के आर्यवीर अब क्रिकेट की दुनिया में धमाल मचाने के लिए तैयार हैं…हालांकि परिवारवाद के कारण किसी योग्य को मौका न मिले तो ये भी अभिशाप होगा…हम नहीं कहते हैं कि अर्जुन को मौका न मिले, पर सूर्य कुमार यादव जैसे खिलाड़ियों को भी मौका जल्दी मिलना था, संजू को भी मिलना चाहिए और अगर किसी क्रिकेटर का बेटा योग्य है तो उसे भी मिलना चाहिए, ऐसा नहीं कि 83 वर्ल्ड कप के हीरो रहे रोजर बिन्नी के बेटे वाला हाल हो…या सुनील गावस्कर के बेटे रोहन गावस्कर वाला हो…आज भी कई क्रिकेटर गुमनामी में मारे जाते हैं क्योंकि न तो उनके पिता सचिन हैं और न ही सहवाग, इललिए योग्यता ही सलेक्शन का एकमात्र कारण होना चाहिए…संजू सैमसन को आयरलैंड की टीम कप्तान बनाने की बात कर रही है, उन्मुक्त चंद अमेरिका से खेल रहे हैं, ऐसा क्यों होता है क्योंकि जब योग्यता को बार बार ठोकर मारी जाएगी तो बिखर जाएगा, और देश हार जाएगा…इसलिए क्रिकेट में भी एक रिटायरमेंट एज होनी चाहिए, ताकि पृथ्वी शॉ जैसे बल्लेबाज़ बाहर न बैठे…देश बड़ा है तो मौका भी सबको देना होगा