कैसे हुआ 24 घंटे लेट दिल्ली का बजट
दिल्ली के उपराज्यपाल के पास बजट की फाइल रात 9.25 बजे पहुंची, उसके बाद उपराज्यपाल ने 10 बजकर 5 मिनट पर उसे साइन कर केन्द्रीय गृह मंत्रालय को भेज दिया, केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने वो फाइल पढ़ने के बाद राष्ट्रपति को भेज दी और राष्ट्रपति ने भी फाइल देखकर उसे मंजूरी दे दी. फिर सवाल ये है कि अगर ये सबकुछ तुरंत हुआ तो फिर बजट 24 घंटे लेट कैसे हुआ, केजरीवाल चिल्ला-चिल्लाकर कह रहे हैं कि मोदी सरकार ने दिल्ली का बजट रोक दिया, यहां तक कहा कि केन्द्र सरकार में अनपढ़ लोग बैठे हैं, उन्हें बजट भी पढ़ना नहीं आता. तो क्या खुद की डिग्री पर उन्हें ज्यादा घमंड है. हम इन बातों पर नहीं जाएंगे, ये जनता को तय करना है कि कौन सा नेता किस कुर्सी को संभालेगा लेकिन हम ये जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर बजट लेट हुआ किसकी गलती से.

- 21 मार्च को दिल्ली विधानसभा में 78 हजार करोड़ का बजट पेश होना था
- 20 मार्च की शाम मंत्री कैलाश गहलोत ने बजट की फाइल के बारे में पूछा
- शायद वो राजस्थान के CM जैसा पुराना बजट पढ़ने की गलती न चाहते हों
- मुख्य सचिव नरेश कुमार और वित्त सचिव ने कहा बजट की फाइल होल्ड है
- बाद में पता चला उपराज्यपाल ने इस बजट में पांच बड़े सवाल पूछ डाले हैं
कैलाश गहलोत ने समय पर लौटा दी थी ,फाइल फिर गलती कहां हुई
जब कैलाश गहलोत ने पूछा कि ये फाइल तो हमने आपको दस दिन पहले दी थी, तब सचिव ने कहा कि जी 17 मार्च को ही हमारे पास ये वापस आ चुका था, लेकिन हम ध्यान नहीं दे पाए, अब सवाल ये है कि एक आईएएस अधिकारी की गलती को केजरीवाल मोदी सरकार की गलती कैसे मान रहे हैं, क्या केन्द्र के अधिकारी पढ़े-लिखे नहीं हैं तो ऐसे ही देश चल रहा है. अब 22 मार्च को दिल्ली में बजट पेश होने वाला है, 78 हजार करोड़ के बजट में 550 करोड़ रुपये का प्रावधान सिर्फ और सिर्फ विज्ञापन के लिए रखा गया है. इसीलिए उपराज्यपाल ने बजट को लेकर ऐसे ही 4 बड़े सवालों की लिस्ट भेजी थी.

संबित पात्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में खोली केजरीवाल और उनके मंत्रियों की पोल
दूसरा सवाल- पहले विज्ञापन पर खर्च करीब 270 करोड़ था, लेकिन इसे आपने अचानक बढ़ाकर 550 करोड़ क्यों कर दिया, क्या ये जनता के विकास पर खर्च नहीं हो सकता था
तीसरा सवाल- अपने मंत्रियों के बंगले, कार और सैलरी पर दिल्ली सरकार जमकर खर्च क्यों कर रही है, क्या ये पैसा जन कल्याणकारी योजनाओं में नहीं लगना चाहिए
चौथा सवाल- दिल्ली में आयुष्मान योजना लागू क्यों नहीं की जा रही, इससे 5 लाख रुपये तक की मुफ्त इलाज की सुविधा गरीबों को मिलने वाली थी.

इन सवालों की लिस्ट संबित पात्रा ने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी थी. हो सकता है ऐसे ही कई सवाल और भी उठें हों, लेकिन इन सबसे बड़ा सवाल ये है कि जब केजरीवाल खुद को कट्टर ईमानदार बताते हैं, खुद को कलियुग का हरिश्चंद्र बताते हैं, वो अगर सारे काम अच्छे ही कर रहे हैं तो फिर विज्ञापन में इतने हजार करोड़ लगाने की क्या जरूरत है, अपने अच्छे कामों की लिस्ट यूट्यूब पर क्यों नहीं डाल देते, ये सवाल कई लोगों के मन में है. दिल्ली के कई इलाके आज भी ऐसे हैं जहां पानी के लिए लोग लाइन में लगते हैं, सड़कें टूटी पड़ी हैं औऱ बारिश के दिनों में पानी भर जाता है, लेकिन वहां खर्च करने की बजाय केजरीवाल सरकार प्रचार पर पानी की तरह पैसा बहाने में लगी है.