लड़की को आईटम कहकर बुलाना कितना बड़ा अपराध है? जज साहब ने ऐसा तूफानी फैसला सुनाया कि वकीलों के होश उड़ गए, लड़की ने कहा थैंक्यू जज साहब, कानून में नई बहस छिड़ गई…आख़िर ऐसा हुआ क्या था लड़की को आईटम बोलने पर जज साहब संविधान और समाज का पन्ना पलटने लगे…आज से कई साल पहले एक फिल्म आई थी मोहरा, जिसका एक गाना था तू चीज़ बड़ी है मस्त-मस्त….अगर उस वक्त भी यही जज होते तो ये गाना कभी रिलीज़ ही न होता…लेकिन पहले सुनिए महाराष्ट्र की कोर्ट में ऐसा क्या हुआ जो हर किसी को जान लेना चाहिए

दरअसल साल 2015 में महाराष्ट्र में एक घटना घटी, एक लड़का अपनी नाबालिग लड़की दोस्त से कहता है, क्या आईटम कहां जा रही हो? इस बात पर बवाल बढ़ता है तो मामला थाने जाता है, पुलिस मामला दर्ज करती है, लेकिन जब मामला कोर्ट पहुंचता है तब एक नया ट्विस्ट आता है, पुलिस की थ्योरी थी, लड़के ने उसके बाद माफी मांगी, परिवार के लोगों ने भी माफी मांगी, लड़की को आईटम कहने वाला लड़का जज साहब के सामने कहता रहा कि मैं जिंदगी में ऐसा नहीं कहूंगा हालांकि सेशन कोर्ट, बोरीवली के जज ने फैसला पढ़ना शुरू कर दिया

लगभग सात साल चले मुकदमें के बाद पोक्सो कोर्ट के स्पेशल जज एसजे अंसारी हर दावे को ग़लत कहते जो फैसला सुनाया वो सुनिए
आरोपी युवक ने लड़की का बाल खींचकर कहा था क्या आईटम किधर जा रही हो? कहा था…लड़की का महीनों पीछा करना और फिर ऐसे शब्दों का प्रयोग करना यौन शोषण के बराबर है, इसलिए इस तरह के अपराधों में सख्ती से निपटने की जरूरत है। जज ने फैसला सुनाते हुए कहा कि कोर्ट ने लड़की को बताया कि उसे इस तरह की बातें हमेशा सुनने को मिलती है और विरोध करने पर कहा जाता है कि वो किसी का कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी…महिलाओं को अनुचित व्यवहार से बचाने के लिए ऐसे रोड साइड रोमियो को सबक सिखाना जरूरी है…आरोपी को डेढ़ साल की सज़ा सुनाई जाती है!
पॉक्सो कोर्ट के स्पेशल जज एस जे अंसारी का फैसला

हालांकि इस केस में एक ट्विस्ट था, जो आपको भ्रमित करेगा कि फैसला सही है या गलत है? दरअसल लड़की को ऐसा लड़के ने बोला था ये बात किसी ने नहीं सुनी थी, कोई गवाह नहीं मिला जो साबित कर पाए कि लड़के ने ऐसा नहीं बोला था, आरोपी के वकील ने दावा किया कि
युवक और युवती की दोस्ती से लड़की के परिवार के लोग खुश नहीं थे, लड़के को फंसाने और उसे बदनाम करने के लिए ये सब केस झूठा बनाया, लड़का अगर लड़की का दोस्त है तो वो न तो आईटम बोलेगा न ही उसका बाल खींचकर रास्ते में रोकेगा…हालांकि जज ने ये कहते हुए कहा कि हम इस बात को इसलिए नहीं मानते है क्योंकि लड़की ने ये सब मानने से इंकार किया है…अब लड़की ने इंकार क्यों किया है ये पुलिस को पता करना चाहिए…यानि आईटम कहना तो गलत है, सजा शानदार सुनाई लेकिन क्या ये तय करना कोर्ट का काम नहीं है कि लड़के को गलत फंसाया जा रहा है या नहीं ? अगर ऐसा है तो फिर फिल्म मोहरा का गाना तू चीज़ बड़ी है मस्त मस्त और एक चुम्मा तू मुझको उधार दइ दे और बदले में UP बिहार लेई ले…ऐसे भद्दे गाने 90 के दशक में आए तो भी कानून को संज्ञान में लेना चाहिए था…अब सवाल उठता है कि ये फैसला देश में भी लागू करना चाहिए ? क्योंकि सड़क पर चलते लोग लड़कियों को लेकर बहुत कुछ बोलते हैं, क्या आईटम है, क्या माल है जैसे शब्द पर अगर जज फैसला सुनाते है तो सबको गर्व होना चाहिए, हालांकि इस बात भी ध्यान रखना होगा कि कोई निर्दोष किसी कानून की भेंट न चढ़ जाए!