कहते हैं हथौड़ा तभी मारो, जब लोहा गरम हो, और ये बात डोभाल से बेहतर भला कौन जान सकता है, जब बीबीसी डॉक्यूमेंट्री बनाकर उछल रही थी, अमेरिका के एक बिजनेसमैन मोदी को चुनाव में हराने के लिए फंड जुटा रहे थे और पाकिस्तान भारत को तालिबान की धमकी दे रहा था, तब डोभाल ने सात दिनों के भीतर ऐसा गेम रचा कि सबकी हेकड़ी निकल गई, पहले सुनिए डोभाल ने क्या-क्या किया, उसके बाद बताते हैं डोभाल की वजह से मोदी की कुर्सी जाएगी, ऐसा दावा सुब्रमण्यम स्वामी ने क्यों किया है.

2 फरवरी को डोभाल ने वाशिंगटन में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से मुलाकात की, क्योंकि ब्लिंकन ने बिलावल भुट्टो को इंतजार करवाया और फिर भी नहीं मिले थे, पर डोभाल से मिले
4 फरवरी को डोभाल ने ब्रिटेन के NSA टिम बैरो से मुलाकात की, इसमें ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक भी शामिल हुए, सुनक ने कहा मोदीजी से कहिए रूस-युक्रेन युद्ध का कुछ करें
उसके बाद 7 से 9 फरवरी तक रूस में रहे, वहां अफगानिस्तान पर आयोजित बैठक में 7 देशों के एनएसए से मीटिंग की, उसमें रूसी राष्ट्रपति पुतिन प्रोटोकॉल तोड़कर पहुंचे.

चूंकि डोभाल अमेरिका और ब्रिटेन से होकर आए थे, इसलिए पुतिन को चिढ़ना चाहिए था, लेकिन वो ऐसा नहीं कर पाए, और यही बात इमरान खान पाकिस्तान को हर बार समझाते हैं कि विदेश नीति कैसे चलती है वो भारत से सीखो, अगर अमेरिका को एशिया आना है तो भारत जरूरी है, चाहे वो रूस के साथ ही क्यों न हो. पर यहां सवाल सिर्फ विदेश नीति का नहीं है, बल्कि इन तीन मुलाकातों में सात ऐसी बातें हुईं, जिसने दुनिया के बड़े-बड़े देशों को हिलाकर रख दिया.
पहला- अफगानिस्तान में पाकिस्तान के पांव कमजोर हुए, जिससे भारत में आतंकवाद का खौफ कम हुआ.
दूसरा- ब्रिटेन और अमेरिका ने भी भारत का लोहा माना, मोदीजी मई में अमेरिका जाएंगे उससे पहले अपने हनुमान को भेजा
तीसरा- पहली बार अजीत डोभाल का पावर दुनिया के शक्तिशाली देशों ने देखा, अफगानिस्तान पर उनकी राय सबसे अलग थी
चौथा- डोभाल सिर्फ NSA नहीं है, बल्कि मोदी और जयशंकर के बाद देश के तीसरे बड़े डिप्लोमेट हैं, ऐसा संदेश दुनिया को मिला

पांचवां- वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान का अलग-थलग होना, भारत के लिए फायदे का सौदा है, अब वो बवाल कम मचाएगा
छठा- मिस्त्र के राष्ट्रपति 26 जनवरी पर मुख्य अतिथि बनकर आए, फिर ईरान के NSA से डोभाल मिले, उसके बाद भारत ने तुर्की में मदद भेजी, मोदी की सबका साथ, सबका विकास वाली छवि बनी
सातवां- पाकिस्तान में NSA नहीं है, इस पर उसकी इंटरनेशनल बेइज्जती हुई, जबकि भारत का मान इसलिए बढ़ा, क्योंकि डोभाल के दिमाग का कोई सानी नहीं है.
ये बात दुनिया समझ चुकी है, पर बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी इस बात को नहीं मानते, उन्होंने तो ये तक कह दिया कि अजीत डोभाल की वजह से पीएम मोदी की कुर्सी जाने वाली है, ये उनका ट्वीट है जिसमें उन्होंने लिखा है कि डोभाल ने पेगासस फोन टैपिंग जैसी गड़बड़ी कई बार की है, अगर उन्हें मोदी ने बर्खास्त नहीं किया तो फिर साल 2023 के मध्य तक मोदी को खुद भी पीएम पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है, सुब्रमण्यम स्वामी जब भी कोई बात कहते हैं तो उसका एक आधार होता है, अब डोभाल पर लगाए गए इस जासूसी वाले आरोप में कितना दम है वो तो स्वामी ही जानें, पर ये तो सच है कि डोभाल ने भारत का नाम दुनिया में ऊंचा किया है.