पीएम मोदी गुजरात दौरे पर जाते उससे पांच दिन पहले ही चुनाव आयोग ने ऐसा आदेश निकाला जिससे पूरा विपक्ष हिल गया. जो लोग हिमाचल में जीत और गुजरात में बीजेपी को टक्कर देने का सपना देख रहे थे, उन सबकी पॉलिटिक्स लगभग खत्म हो गई. चुनाव आयोग ने एक के बाद एक कई ऐसे सवाल पूछे हैं जिसने विपक्षियों की टेंशन बढ़ा दी है. हम चुनाव आयोग का वो आदेश सुनाएं उससे पहले आपको ये समझाते हैं कैसे केजरीवाल अखिलेश यादव की राह पर चल पड़े हैं.

मैं एक बेहद धार्मिक आदमी हूं. मेरा जन्म श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन हुआ था. भगवान श्री कृष्ण ने मुझे एक काम देकर भेजा है-इन कंस की औलादों का सफ़ाया करना, जनता को इनसे मुक्ति दिलाना.
मतलब केजरीवाल खुद को भगवान का दूत और विरोधियों को कंस कहने लगे हैं, कुछ ऐसा ही बयान अखिलेश ने यूपी चुनाव में दिया था कि श्रीकृष्ण भगवान उनके सपने में आते हैं, लेकिन यूपी की जनता ने नकार दिया, गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में आम आदमी पार्टी थोड़ी मजबूत है, लेकिन अभी ये हालत नहीं है कि वो बीजेपी को टक्कर दे सके, इसीलिए पीएम मोदी जब रविवार को गुजरात पहुंचे उससे पहले ही शनिवार को अरविंद केजरीवाल दो दिनों के दौरे पर गुजरात पहुंच गए थे और हर जगह घूम-घूमकर यही कह रहे हैं कि गुजरात को दिल्ली बना देंगे, वहीं की तरह बिजली, पानी सब फ्री देंगे. लेकिन चुनाव आयोग ने ऐसा सवाल पूछ लिया है कि केजरीवाल वादा तो करेंगे लेकिन शायद निभा नहीं पाएंगे. जब भी कोई पार्टी फ्री का वादा करने आए तो ये सवाल आप भी उससे पूछना.

सवाल नंबर 1- राज्य ने कितना उधार लिया है, राज्य की जीडीपी कितनी है, बजट को लेकर आपका अनुमान क्या है, सड़क, शिक्षा वगैरह के लिए आप कितना बजट खर्च करेंगे.
सवाल नंबर2- आप जो भी फ्री देने का वादा कर रहे हैं, चाहे वो बिजली हो या पानी उसे पूरा करने में कितना अतिरिक्त खर्च आएगा, वो पैसा आप कहां से लाएंगे, राज्य पर पहले से लाखों का कर्ज है
सवाल नंबर 3- आप वादा पूरा करने के लिए टैक्स बढ़ाएंगे, किसी खर्च में कटौती करेंगे, अतिरिक्त उधार लेंगे या कोई और तरीका है, आखिर आप फ्री कैसे देंगे

अभी चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को यही सवाल लिखकर भेजे हैं और कहा है कि आदर्श चुनाव संहिता में ऐसा संशोधन होना चाहिए, उधर सुप्रीम कोर्ट में कमेटी बनाकर अलग से इस मामले की जांच चल रही है, पीएम मोदी खुद कई बार कह चुके हैं, इसका बुरा असर पड़ेगा लेकिन फिर भी केजरीवाल घूम-घूमकर ये कह रहे हैं कि हम तो फ्री बाटेंगे और अगर किसी ने रोकने की कोशिश की तो हम ये प्रचार करेंगे कि वो मंत्रियों को तो फ्री देना चाहते हैं लेकिन जनता को फ्री नहीं देना चाहते. लेकिन सवाल उठता है कि अगर केजरीवाल फ्री ही देना चाहते हैं तो फिर मंत्रियों की सुविधा बंद कर फ्री क्यों नहीं देते, क्या दिल्ली में मंत्रियों की सुविधा कम है, उनकी सैलरी कम है, आखिर गर्मी के दिनों में दूसरे राज्य अपनी बिजली में कटौती कर दिल्ली को क्यों दें, ये सवाल लंबे समय से उठ रहा है, बात सिर्फ दिल्ली की नहीं है, जब उत्तराखंड में चुनाव हुए तो बीजेपी ने आम आदमी पार्टी को टक्कर देने के लिए फ्री का वादा कर दिया, कि 100 यूनिट तक बिजली फ्री देंगे, नतीजा बीजेपी चुनाव जीत गई, लेकिन वहीं से ये सवाल भी उठा कि ऐसे तो बीजेपी भी उसी राह पर चलने लगेगी तो देश दिवालिया हो जाएगा, श्रीलंका में जो कुछ भी हुआ वो इसी की एक झलक थी, इसीलिए सुप्रीम कोर्ट से लेकर चुनाव आयोग तक जनता की भलाई के लिए इसे बंद करना चाहता है, जबकि नेता इसमें सियासत ढूंढने में लगे हैं, हालांकि आपको क्या लगता है ये हमें कमेंट में बता सकते हैं कि फ्री बिजली से घर चल जाएगा या फिर फ्री के अलावा देश के विकास पर ध्यान देना होगा, क्योंकि फ्री का अंजाम भुगतना आपको ही है, चाहे वो किसी सामान पर टैक्स बढ़ाकर हो या फिर किसी योजना में कटौती करके हो.