रैना को रुलाते हुए बाहर किया, युवराज को फॉर्म में ही संन्यास दिलाया, धोनी पर दबाव बनाया, अब हार पर क्यों मचा है हाहाकार?
क्या भारत की तिकड़ी जो दिलाती थी जीत वो आएगी वापस क्योंकि, पंत चचा, थका पांड्या, सूर्य अस्त से कुछ होने वाला नहीं है!
श्रीलंका से हार के बाद रैना, युवराज, धोनी की आई याद, कुछ मिनटों में सोशल मीडिया पर छाया सवाल, किंग तिकड़ी वापस आए

सुरैश रैना और युवराज दोनों के साथ टीम इंडिया में ऐसा अन्याय हुआ कि आज उसका खामियाजा पूरी टीम भुगत रही है, श्रीलंका के खिलाफ मैच में ये हार रोहित की टीम की नहीं बल्कि बीसीसीआई की है, ये हार उन लोगों की है जिन्होंने रैना को रुलाते हुए टीम से बाहर कर दिया, वो अभी और मैच खेलना चाहते थे लेकिन बाएं हाथ के बल्लेबाज को विदा कर दिया, ये दुखद संयोग ही है कि आज ही रैना ने सारे फॉर्मेट से संन्यास का ऐलान किया है और आज ही श्रीलंका के खिलाफ मैच में उनकी कमी सबसे ज्यादा खली, रैना की तरह ही युवराज भी तेज खेलते थे, लेकिन कुछ लोगों ने इतना दबाव बनाया कि जब अच्छे फॉर्म में थे तभी संन्यास दिलवा दिया, जबकि पंत जैसे खिलाड़ी दो मैच से फ्लॉप हैं, फिर भी रोहित खामोश हैं, क्या बीसीसीआई में अब भी पुरानी वाली लॉबी काम कर रही है जो ये देखती है कौन खिलाड़ी कितना जी-हुजूरी करता है.
साल 2012 की बात है भारत इंग्लैंड के खिलाफ मैच खेलने वाला था तभी मैच से एक दिन पहले रैना और युवराज दोनों की तबियत बिगड़ गई, तब धोनी पूरी रात इस टेंशन में थे कि कल क्या होगा वो लगातार दोनों का हेल्थ अपडेट ले रहे थे, यही कप्तानी होती है लेकिन रोहित को आज देखकर नहीं लगा कि वो कप्तानी की भूमिका में थे, 72 रन की पारी खेलने के बाद वो फील्ड पर बड़े कूल अंदाज में थे, आज पंत नहीं चले तो उस पर चिल्लाए नहीं, पांड्या नहीं चले तो कुछ बोला नहीं और सूर्य कुमार यादव को भी कोई नसीहत नहीं दी यहां तकि भुवनेश्वर कुमार को भी हर बॉल पर नहीं समझाया, नतीजा भारत इस बार भी हार गया, श्रीलंका की टीम शानदार खेली लेकिन उनकी खेल से ज्यादा भारत को उसकी गलतियां ले डूबी. यही वजह है कि लोग किंग तिकड़ी को याद कर रहे हैं. धोनी कप्तानी संभालते थे, ओपनर आउट भी हो जाते थे तो रैना और युवराज टीम को संभाल ले जाते थे, युवराज की बॉलिंग इतनी धारदार थी कि संकट के समय विकेट भी निकाल लाते थे इसलिए पूरा देश आज उन्हें याद कर रहा है.

लेफ्ट हैंड बैट्समैन का काम पंत की तरह सिर्फ डिफेंसिव खेलना नहीं होता, जैसा दो मैच से पंत कर रहे हैं, बल्कि उसे समय के हिसाब से खेलना होता है, पंत से तो आज विकेट पर थ्रो तक नहीं लगा, लोग पंत की जगह संजू सैमसन को याद करने लगे, जिनकी विकेटकीपिंग और फिनिशिंग देख लोगों को धोनी याद आ जाते हैं. आज टीम इंडिया की जो हालत है उसके लिए सेलेक्टर्स सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं, लेकिन कोई खिलाड़ी खुलकर इस बात को नहीं कह सकता. पिछली मैच में अर्शदीप के सेलेक्शन पर कुछ लोगों ने सवाल उठाए लेकिन अर्शदीप ने इस मैच में साबित कर दिया वो बेस्ट बॉलर हैं लेकिन पंत दिनेश कार्तिक की जगह नहीं ले पाए.

टीम इंडिया में अहंकार का दौर अभी भी चल रहा है, सेलेक्टर किसी बात पर नाराज हुए तो वो टीम में जगह न देकर इसका बदला निकालते हैं, अगर जगह देते भी हैं तो सिर्फ पानी भरवाते हैं, खिलाड़ियों के बैट और हेलमेट मंगवाते हैं. 37 साल के कार्तिक को नंबर 7 पर खिलाकर भी ऐसा ही अपमान किया गया, जब टीम पूरे देश के लिए खेलती है तो फिर किसके कहने पर खिलाड़ियों का अपमान होता है, रैना और युवराज जैसे बल्लेबाज जैसे फॉर्म में रहते हुए बाहर हुए हैं उसे देखकर तो यही लगता है कि टीम से ज्यादा बीसीसीआई के अंदर बदलाव की जरूरत है, ताकि केएल राहुल नहीं चले तो ऋतुराज गायकवाड़ जैसे ओपनर को मौका मिले, चाहे ओपनर न चलें या फिर मिडिल ऑर्डर ध्वस्त हो या फिर कम बॉलर लेकर उतरने की मैदान में रणनीति हो, हर हाल में टीम इंडिया धोनी युग की तरह जीत की इबारत लिखे.