ICAR ने की है कृषि पर होने वाले बुरे असर की स्टडी
देश में आपदाएं आ रही हैं. कभी बाढ़ आ जाती है, कभी भूकंप डराता है. कभी सूखे से मन घबराता है. आने वाले सालों में ये और बढ़ेंगी तो संकट गहराता जाएगा. ये हम नहीं इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च यानी ICAR की एक स्टडी कह रही है. भारत सरकार भी इस संकट को मान रही है. जिसका मतलब है कि आने वाले 27 साल में गरीब की थाली से चावल और गेहूं की रोटी लगभग गायब हो जाएगी. 2050 तक देश में पैदावार इतनी कम हो जाएगी कि डर है कहीं पाकिस्तान जैसे हालात ना पैदा हो जाएं. हालांकि इसकी उम्मीद कम है लेकिन ये तय है कि अनाज की पैदावार बेहद कम होने वाली है. जिसके पीछे की वजह बहुत बड़ी है और कुछ हद तक हमारे और आपके हाथ में है. खासकर इस देश के अमीरों के हाथ में. उस वजह से पर्दा उठाने से पहले आप ये जान लीजिए कि स्टडी क्या कह रही है.

ना चावल मिलेगा, ना गेहूं, मक्के की फसल भी होगी खराब
ICAR के मुताबिक 2050 तक भारत में गेहूं की पैदावार में 19.3 फीसदी की गिरावट आएगी. चावल की पैदावार में 20 प्रतिशत की कमी आएगी. और मक्का की पैदावार में 18 फीसदी की गिरावट दर्ज की जा सकती है.
यही आंकड़े 2080 तक बहुत बदल जाएंगे. धान की फसल में 2080 तक 47 फीसदी की गिरावट आ जाएगी. गेहूं की फसल में 40 फीसदी और मक्का की फसल में 23 फीसदी की गिरावट का अनुमान है. हालांकि थोड़ा बहुत आंकड़े ऊपर नीचे हो सकते हैं.

लेकिन संकट ये बहुत बड़ा है, सोचिए आने वाले वक्त में आपके और हमारे बच्चों के पास खाने के लिए क्या होगा. क्योंकि हमारे देश की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है और अनाज की पैदावार कम होगी तो कैसे काम चलेगा.
गांव में अनाज की पैदावार क्यों हो रही कम जानें कारण
सबसे बड़ा संकट गरीबों के लिए खड़ा होगा. क्योंकि जब पैदावार कम होगी तो अनाज महंगा होगा और गरीब खरीद नहीं पाएगा. सोचिए कोरोना के वक्त जिस अनाज की सरप्लस पैदावार ने हमें दुनिया से आगे रखा वो कम हो जाएगा तो क्या होगा.
इसके पीछे का कारण है, तेजी से होता जलवायु परिवर्तन क्योंकि देश में गाड़ियों की संख्या बढ़ रही है, पेड़ काटकर फैक्ट्रियां लग रही हैं. जो विकास के लिए जरूरी भी है, लेकिन इनसे जलवायु पर बहुत बड़ा असर पड़ रहा है. पिछले कई सालों में बारिश काफी कम हुई है, 2022 में मेघालय जैसे राज्य में 121 साल बाद सबसे कम बारिश हुई.

इस साल मार्च के महीने में रिकॉर्डतोड़ बारिश हुई लेकिन इस बेमौसमी बारिश से किसानों को काफी नुकसान हुआ और गेहूं की फसल कई जगह बरबाद हो गई. इन हालातों को ऐसे समझिये कि वाराणसी के सैकड़ों गांवो में 160 फीट नीचे तक वाटर लेवल खिसक गया है. जिससे बचने के लिए यूपी सरकार नल जल योजना शुरू की है और गांव-गांव में पानी की टंकी लगाई जा रही है. ताकि पूरे गांव में चलने वाले समरसेबल को बंद कराया जा सकेगा. क्योंकि आजकल ग्रामीण इलाकों में लगभग हर घर में सबमरसेबल का इस्तेमाल होता है. जिससे पानी की काफी बरबादी होती है और वाचर लेवल तेजी से नीचे जाता है. सिंचाई के लिए भी ड्रिप सिस्टम को योगी आदित्यनाथ लेकर आये हैं और सरकार नई तरीके की खेती पर सब्सिडी भी दे रही है.
बेमौसमी बारिश ने किया किसानों का बुरा हाल

हरियाणा जैसे राज्यों में कई जिले ऐसे हैं, जहां धान की फसल लगाने पर बैन है. और अगर फिर भी किसान लगाता है तो उस पर जुर्माना लगाया जाता है. जबकि धान की फसल खुद से छोड़ने पर किसान को मुआवजा दिया जाता है. इसका असर सिर्फ खाने पर ही नहीं पड़ेगा. भारत दुनिया का सबसे बड़ा बासमती निर्यातक देश है. और सबसे अच्छा बासमती चावल हमारे देश में ही पैदा होता है. तो कम पैदावार का असर एक्सपोर्ट भी पड़ेगा. इसीलिए पानी बरबाद मत कीजिए. कहीं बरबाद होता देखें तो उनसे भी मना करें. ताकि हमारे बच्चों के लिए पानी बचा रहे.