स्मृति ईरानी के सबसे बड़े विरोधी नेता को जेल,मोदी सरनेम मानहानि मामला
केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी जब अपने 48वें जन्मदिन का जश्न मना रही थी, लोग उन्हें ट्विटर पर फोटो शेयर कर बधाइयां दे रहे थे, तभी उन्होंने टीवी ऑन किया और देखा कि सबसे बड़े विरोधी को दो साल की जेल हो गई है, ये भी एक इत्तेफाक ही था कि स्मृति ईरानी इधर केक काट रही थीं, और राहुल गांधी उधर सूरत की अदालत में कटघरे में खड़े थे. करीब दो मिनट बाद ही जज साहब ने अपना फैसला सुनाया. जिसमें कहा

साल 2019 में कर्नाटक में राहुल गांधी ने ये बयान दिया सारे चोर मोदी सरनेम के ही क्यों होते हैं, इस मामले में पूर्णेश मोदी की याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत राहुल गांधी को दो साल जेल की सजा सुनाती है.
राहुल गांधी को दो साल की जेल लेकिन तुरंत जमानत मिल गई
हालांकि इस सजा के तुरंत बाद ही राहुल को जमानत मिल गई, पर सवाल ये है कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा कहती है कि किसी भी नेता को अगर दो साल या उससे ज्यादा की सजा सुनाई जाए तो उसकी संसद सदस्यता जा सकती है, तो क्या राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म होने वाली है और केरल की वायनाड सीट पर उपचुनाव होने वाले हैं, तो इस मामले में कानून के जानकार कहते हैं.
राहुल गांधी को अब हाईकोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर करनी होगी, अगर हाईकोर्ट से उन्हें दोषी ठहराया जाता है, तब संसद सदस्यता पर बात आएगी, लेकिन अगर हाईकोर्ट से उन्हें राहत मिल गई तो फिर संसद सदस्यता पर कोई खतरा नहीं होगा.

क्या राहुल गांधी की संसद सदस्यता होगी खत्म
हालांकि राहुल की संसद सदस्यता पर भले ही आंच न आए, पर इस एक फैसले का असर उनकी पार्टी को मिलने वाले करोड़ों वोट पर जरूर पड़ सकता है, देश में कुल वोटर्स की संख्या 90 करोड़ से ज्यादा है, साल 2019 के चुनाव में करीब 67 फीसदी लोगों ने वोट किया था, इस हिसाब से मानकर चलिए तो करीब 60 करोड़ वोटर्स थे, जिसमें 15 फीसदी ओबीसी वोट कांग्रेस को मिले थे. अब चूंकि राहुल ने ओबीसी कैटेगरी में आने वाले मोदी समुदाय पर निशाना साधा है, उन्हें चोर बताया है तो जाति की राजनीति के चक्कर में उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है, हालांकि कांग्रेस इस बात को अलग तरीके से भुनाने में लगी है. कांग्रेस का दावा है कि राहुल की भारत जोड़ो यात्रा से केन्द्र की मोदी सरकार हिल गई है, इसलिए राहुल के खिलाफ अब आक्रमक मोड में आ गई है, दिग्विजय सिंह तो ये तक कहते हैं कि जिस कोर्ट ने राहुल को सजा सुनाई, वहां के जज बार-बार बदले गए, पर कांग्रेस की नीति तो पहले से ही देश की संवैधानिक संस्थाओं, अदालत और सेना पर सवाल उठाने की रही है, इसलिए इस बात को जनता भी भाव नहीं दे रही. पर स्मृति ईरानी के लिए ये अच्छा मौका है कि वो 2024 के चुनाव में अमेठी की जनता के बीच इस मुद्दे को भुनाए. ये बात तो सच है कि बीजेपी भले ही राहुल गांधी को अपना प्रतिद्वंदी न माने, पर स्मृति ईरानी की सियासत तो राहुल के सामने अमेठी से चुनाव जीतकर ही शुरू हुई है, इसिलिए लोग कह रहे हैं सूरत कोर्ट से आए एक फैसले से स्मृति के बर्थडे का जश्न दोगुना हो गया. आप इस फैसले पर क्या कहेंगे कमेंट कर बता सकते हैं.