बचपन से हमारे मन में एक सवाल था, 33 करोड़ आबादी वाली अमेरिका पूरी दुनिया पर कैसे राज कर रहा है, जिसका जवाब इस रिपोर्ट को लिखते वक्त मिला, जैसे हिंदुस्तान में सारे बैंकों का मालिक आरबीआई है, वैसे ही दुनियाभर के बैंकों का मालिक वर्ल्ड बैंक है, जो 78 साल पहले यानि साल 1944 में खुला. ये वो दौर था जब ब्रिटेन के पास भारत समेत दुनिया से लुटा हुआ सोना कम होने लगा था और अमेरिका अपने दम पर अमीर बनता जा रहा था. ऐसे में वर्ल्ड बैंक में अमेरिका ने सबसे ज्यादा शेयर खरीदा और उसका हेड अपने यहां के ही किसी को बनाने लगा, फिलहाल डेविड मलपास इसके हेड थे, लेकिन बाइडेन ने ऐसा बदलाव किया कि पूरा देश भारत की ओर देख रहा है.

ये हैं अजयपाल बंगा, जो मैग्गी, बिस्कुट समेत कई चीजें बनाने वाली कंपनी नेस्ले के ब्रांच मैनेजर हुआ करते थे, कोलकाता के छोटे से ऑफिस में बैठते-बैठते इन्होंने इतनी तरक्की पा ली, कि बाद में अमेरिका चले गए, और अब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इनका नाम वर्ल्ड बैंक के हेड के तौर पर नामित किया है, हालांकि फाइनल फैसला मई महीने में होगा, पर हमें अभी से ही इस बात से गर्व होना चाहिए, कि कोई भारतीय मूल का व्यक्ति इस पोस्ट तक पहली बार पहुंचा है, हालांकि आप कहेंगे सिर्फ गर्व से पेट तो नहीं भरता, और ना ही देश चलता है तो हिंदुस्तान को या हमें इससे क्या मिलेगा वो भी समझ लीजिए.

पहला फायदा- नितिन गडकरी और तेजी से सड़कों का जाल बिछा पाएंगे, ज्यादा से ज्यादा अस्पताल खुलेंगे, ट्रेनों की संख्या बढ़ेगी, तो वेटिंग का झंझट खत्म होगा, क्योंकि इन सब कामों के लिए भारत वर्ल्ड बैंक से लोन लेता है, तो लोन मिलना आसान हो जाएगा.

दूसरा फायदा- चीन और पाकिस्तान जो बराबर हेकड़ी दिखाते हैं, उन्हें वर्ल्ड बैंक से लोन लेने के लिए भारत से रिश्ते अच्छे रखने होंगे, क्योंकि जिस पड़ोसी से आपकी लड़ाई हो, वो किसी जिले का डीएम बन जाए तो फिर आपको उस जिले में दिक्कत तो होगी ही

तीसरा फायदा- जर्मनी, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया समेत दुनिया के वो मुस्लिम देश जो अब तक भारत के खिलाफ जहर उगलते हैं, उनके भी तेवर ढीले पड़ेंगे, जैसे भारतीय मूल के ऋषि सुनक के ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनते ही कई विरोधी देश भी भारत की तारीफ करने लगे

मतलब अपने फायदे तो कई हैं, तो फिर आप ये भी सोच रहे होंगे कि अमेरिका को इससे क्या मिलेगा, तो भइया अमेरिका में होने वाला है चुनाव, और वहां मोदी का क्रेज कैसा है ये तो आप हाउडी मोदी से लेकर बाइडेन से हाथ मिलाते वक्त तक देख ही चुके हैं, तो बाइडेन ने ये ऐलान कर भारतीयों को लुभाने की बड़ी चाल चल दी है, इसीलिए लोग इसे सियासत से जोड़कर भी देख रहे हैं, जबकि बाइडन बता रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन के दिशा में इनसे बेहतर कोई काम नहीं कर सकता, इसीलिए हमने बंगा को चुना है. पर आप सियासत छोड़कर देश के लिहाज से देखिए. महाराष्ट्र के पुणे का लड़का अगर पूरी दुनिया को लोन बांटने, उसकी अर्थव्यवस्था का निगरानी करने और सभी बैंकों का हेड बनता है तो भारत के विश्वगुरू बनने की दिशा में ये कितनी बड़ी उपलब्धि है,
अजयपाल बंगा के पिता भारतीय सेना में थे, जो पंजाब के जालंधर के रहने वाले थे.
पर बेटे ने डिफेंस सेक्टर में जाने का मन नहीं बनाया, बल्कि वो बिजनेस की तरफ चल निकला,
दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की, फिर आईआईएम अहमदाबाद से एमबीए कर कई कंपनियों में काम किया
13 साल नेस्ले में बिताया, फिर मास्टरकार्ड से जुड़े और वहां से सीईओ बनकर रिटायर हुए,जो बड़ी उपलब्धि थी

अब बंगा अमेरिका में जनरल अटलांटिक नाम की कंपनी के वाइस चैयरमैन हैं, और अगर वर्ल्ड बैंक की कमान मिलती है तो वर्ल्ड बैंक के 78 साल के इतिहास में इस पद पर पहुंचने वाले वो पहले भारतीय होंगे. जिनसे दुनिया को यही आस होगी कि जलवायु परिवर्तन, विकासशील देशों की तरक्की, ग्रीन एनर्जी, कई देशों को कंगाली से बचाने और सोलर एनर्जी के सेक्टर में शानदार काम करें, ताकि हर हिंदुस्तानी भी फिर गर्व से कहे कि एक भारतीय ने दुनिया की तकदीर बदल दी. इतनी बड़ी ख़बर सुनकर अगर आपको भी गर्व हुआ तो कमेंट में लिखिए जय हिंद और इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाइए, ताकि हर हिंदुस्तानी इस खुशखबरी का जश्न मना सके.