कहते हैं रोज़ सपने देखने के साथ अगर रोज़ मेहनत भी की जाए तो मंजिल मिल जाती है, हिन्दुस्तान में क्रिकेट की पूजा होती है, और इसी प्रेम के दीवाने बच्चे गरीबी से लड़कर वहां पहुंच जाते हैं जहां पहुंचना मुश्किल होता है…ये हैं कुलदीप सेन…140 से 148 की रफ्तार से गेंद फेंकने वाले कुलदीप का परिवार बेहद गरीब था. कुलदीप के पिता रामपाल सेन रीवा शहर के सिरमौर चौराहे में सैलून की दुकान चलाते हैं. और घर परिवार का उसी से गुजारा होता है. किसी ने नहीं सोचा था कि एक मध्यमवर्गीय का आम आदमी बाल काटने वाली दुकान लगाने वाले का बेटा आईपीएल में भी खेल सकेगा. फिर टीम इंडिया के लिए चयन होगा. पिता की सामान्य दुकान है, अगर आप ये सोच रहे हैं कि सैलून में मोटी कमाई है तो ये चमक-दमक वाला सैलून नहीं है.

कुलदीप सेन ने आईपीएल 2022 में कमाल का प्रदर्शन करके सबसे ध्यान अपनी ओर खींचा था. वो राजस्थान रॉयल्स की तरफ से खेले थे. उन्होंने लखनऊ सुपर जाएंट के खिलाफ आखिरी ओवर में 14 रन भी ठोके थे, जो इस पारी ने उन्हें चर्चा में ला दिया था.पिछले आईपीएल सीजन में कुलदीप ने राजस्थान रॉयल्स के लिए खेलते हुए 7 मैच में 8 विकेट लिए..औऱ उनके खेल से चयनकर्ता प्रभावित हुए तो मौका दे दिया. कुलदीप सेन ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में शानदार रिकॉर्ड बनाए हैं. उन्होंने 17 मैचों में 28.40 की औसत से 52 विकेट लिए हैं, हालांकि उन्होंने लिस्ट ए में ज्यादा नहीं खेला.कुलदीप के कोच एंथोनी ने बताया कि
कुलदीप ने बहुत संघर्ष किया है, एक समय उसके पास प्रैक्टिस के लिए जूते तक नहीं होते थे. मुझे अच्छे से याद है कि 2014 के न्यूजीलैंड दौरे के लिए टीम इंडिया में चुने गए ईश्वर पांडेय ने पहली बार अपने स्पाइक्स दिए थे, जिनसे कुलदीप अभ्यास करता था. वह गरीब घर से था.

विशाल चट्टानों के सामने तिनके की क्या हैसियत होती है? अगर योग्यता हो तो उन चट्टानों से कह देना एक तिनका सा तूफान आएगा और सारे चट्टानों को अपने साथ लेकर उड़ जाएगा…ना पैरवी, ना जुगाड़ हिन्दुस्तान में चलेगी तो सिर्फ योग्यता की रफ्तार. ये हैं उमरान मलिक. 22 साल के उमरान मलिक भी कई बार अपने पिता के साथ फल की दुकान पर बैठते थे, लोग कहते, ये क्या करेगा ? क्रिकेटर बनने का सपना छोड़ दो और पिता के काम में हाथ बंटाओ, लेकिन योग्यता की किस्मत नहीं होती है, वो लड़कर, लड़ाई जीतकर आता है, तभी कोई इस दुनिया में योद्धा कहलाता है. 22 साल के उमरान के सामने धोनी भी सिर झुका देते हैं, सुनील गावस्कर खड़े होकर ताली बजाते हैं, दुनिया के महान से महान क्रिकेटर भी उमरान के बारे में लिखते हैं, कहते हैं ये भारत की नई खोज है. फल बेचने वाले पिता ने हिन्दुस्तान को हीरा दिया है. दरअसल उमरान मलिक चर्चा में तब आए जब उन्होंने IPL में सबसे तेज़ गेंद फेंक दी, जूते उधार लेकर पहना और रेत पर दौड़ा, न जिम जाने का पैसा, न उमरान का कोई कोच था, फिर भी हार नहीं मानी और आख़िरकार उन्हें भी चुना गया है…विश्वकप में मौका नहीं मिला तो निराशा हुई पर अब अगर मौके को भुना लिया तो पक्का है यही खिलाड़ी भारत का नाम रोशन करेंगे. प्रयागराज के यश दयाल यादव का चयन भी हुआ है, वो भी मध्यम गति के गेंदबाज़ है, प्रयागराज में ये ख़बर जैसे ही फैली परिवार में जश्न मनने लगा, और शहर में मिठाइयां बंटने लगी.
फिलहाल आज भी उमरान मलिक के पिता जम्मू में फल की दुकान लगाते हैं, उमरान दुनिया भर में पहचान बना रहे हैं, इधर कुलदीप सेन के पिता आज भी सैलून चलाते है…यही भारत की सच्चाई है जहां राजा का बेटा राज नहीं बनता है, एक सैलून वाले का बेटा भी चुना जाता है एक सब्जी वाले का बेटा भी नाम करता है