अक्सर बारिश के बाद कप्तान परेशान हो जाते हैं, बैट्समैन सोचता है कि रन कम बनेंगे, बॉलर सोचता है विकेट कैसे निकालूंगा, लेकिन धोनी बारिश के बाद ज्यादा खुश होते हैं, कुछ ऐसा ही नजारा अहमदाबाद में भी दिखा, जब आईपीएल का फाइनल मुकाबला 28 मई को बारिश से धुला तो पांड्या से ज्यादा धोनी खुश थे, यहां खुश पांड्या को होना चाहिए था, क्योंकि अगर मैच बारिश से धुला और रद्द हुआ तो फिर गुजरात को आईपीएल की ट्रॉफी बिना खेले मिल जाएगी, फिर आप सोच रहे होंगे कि धोनी क्यों खुश थे, इसके लिए आपको धोनी के कप्तानी के दो वो किस्से सुनाते हैं, उसके बाद बताएंगे कि पांड्या का प्लान ए और बी क्या है, और धोनी का मिशन फर्स्ट इनिंग कैसे गुजरात के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकता है.
पहला किस्सा

तारीख थी 23 जून 2013, भारत-इंग्लैंड के बीच चैपियंस ट्रॉफी का मुकाबला खेला जाना था, लेकिन मैच से ठीक पहले बारिश आ गई, काफी देर तक खेल शुरू ही नहीं हुआ, आखिर में मुकाबला 20-20 ओवर का हुआ, तब टीम की कप्तानी कर रहे थे महेन्द्र सिंह धोनी, टीम इंडिया सिर्फ 129 रन पर ढेर हो गई.

ऐसे में इंग्लैंड आसानी से जीत की ओर बढ़ रही थी, उसे 18 गेंदों में 28 रन चाहिए थे, तभी धोनी ने ईशांत शर्मा को गेंद थमाई, पहली गेंद पर छक्का लगा और दूसरी-तीसरी गेंद पर ईशांत ने विकेट निकाला, उसके बाद जडेजा और अश्विन को धोनी ने गेंद थमाई, फील्डिंग ऐसी बिछाई कि इंग्लैंड के बड़े-बड़े खिलाड़ी उनकी जाल में फंस गए औऱ भारत ये मैच 5 रनों से जीत गया. ये तो हुआ पहला किस्सा, अब दूसरा किस्सा सुनिए.
दूसरा किस्सा

तारीख थी- 24 सितंबर 2010, चेन्नई और आरसीबी के बीच मुकाबला चल रहा था, लेकिन मैच से पहले बारिश आ गई, आखिर में 17-17 ओवर का गेम हुआ, धोनी की टीम ने पहले बैटिंग करते हुए 174 रन बनाए, जवाब में उतरी आरसीबी की टीम सिर्फ 123 रन ही बना सकी.
क्योंकि विकेट के पीछे खड़े धोनी के दिमाग और रैना की फील्डिंग के आगे आरसीबी का कोई खिलाड़ी कमाल नहीं दिखा पाया. कहा जाता है कि धोनी बारिश के दिनों में भी अक्सर प्रैक्टिस किया करते थे, और उनका अनुभव इतना शानदार है कि पिच देखकर समझ जाते हैं कि किस खिलाड़ी को कहां इस्तेमाल किया जा सकता है, इसीलिए जब पहले दिन मैच नहीं हुआ तो फैंस को उदास देखकर थोड़ी देर के लिए अफसोस तो हुआ पर फिर माही समझ गए कि अगर मौसम का मिजाज ऐसा ही रहा तो फिर चेन्नई की राह में कांटे नहीं फूल बिछेंगे, इसीलिए पांड्या ने सीएसके को हराने के लिए प्लान ए के तहत विशाल स्कोर का लक्ष्य रखा और प्लान बी के तहत शुरुआती 6 ओवर में ही सीएसके पर शिकंजा कसने की कोशिश है, जबकि धोनी का मिशन फर्स्ट इनिंग ये तय करेगा कि पहले बैटिंग आए या बॉलिंग कोशिश यही होगी कि विरोधी टीम ज्यादा आगे न निकल पाए. बाकी धोनी का दिमाग तो बड़े-बड़े दिग्गज पता नहीं कर पाते, मैच में कब क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता. बस इतना कहा जा सकता है कि बारिश के बाद धोनी की कप्तानी का जलजला आ सकता है, जिसके सामने बड़े-बड़े खिलाड़ी खेल भूल सकते हैं.