मोदी ने देश से फर्जीवाड़ा खत्म करने की कसम खाई थी, लेकिन उनके ही विभाग के नाम पर ऐसा फर्जीवाड़ा हो गया जो कोई सोच भी नहीं सकता, एक अदना सा इंसान, जिसने न तो यूपीएससी की परीक्षा पास की, न वो कभी किसी मंत्रालय में बैठा, फिर भी खुद को मोदी का सबसे खास अफसर बताता था. अधिकारियों के साथ बैठक करता, नेताओं को आदेश देता, जेड प्लस सिक्योरिटी के लिए अधिकारियों से अमित शाह के पास आवेदन भेजवता और खुद बुलेटप्रूफ गाड़ी में घूमता, हद तो तब हो गई जब उसे बिना चेक किए सुरक्षा भी मुहैया करवा दी, चूंकि वो गुजरात का रहने वाला था इसलिए किसी को शक भी नहीं होता था.

ऑफिसर की तरह घूमता था कश्मीर
ये तस्वीर देखिए, कैसे किरण पटेल(Kiran patel) नाम का शख्स शूट-बूट में बिल्कुल एक अधिकारी की तरह बर्फबारी का आनंद ले रहा है, उसकी सुरक्षा में कई जवान तैनात हैं, जो एक इशारे पर किसी का भी काम तमाम कर सकते हैं, लेकिन कहते हैं फर्जीवाड़े की पोल एक न एक दिन खुलती तो जरूर है और ये पोल तब खुली जब उसकी किस्मत दगा दे गई. एलओसी के पास उरी कमान पोस्ट होते हुए वो श्रीनगर के लाल चौक पर पहुंचा तो इधर खुफिया विभाग ने ये रिपोर्ट दे दी कि किरण पटेल जो खुद को पीएमओ में अतिरिक्त निदेशक (रणनीति और अभियान) बताता है, वो फर्जी है, अब चूंकि बात मोदी के दफ्तर की थी, इसलिए पहले पुलिस ने यहां सबकुछ कंफर्म किया, पूरी प्लानिंग बनाई गई कि उसे होटल से गिरफ्तार किया जाएगा, जैसे ही पुलिस होटल ललित पहुंची वो फिर से भौकाल दिखाने लगा, लेकिन चूंकि पोल खुल चुकी थी पूरी कहानी तुरंत ही बाहर आ गई, सूत्रों के हवाले से ख़बर है कि
एक साल से कर रहा था जम्मू-कश्मीर का दौरा
वो बीते एक साल से जम्मू-कश्मीर के दौरे कर रहा था, वहां जाकर हर उस सुविधा का लाभ उठाता था जो एक अफसर को मिलता है, यहां तक कि अधिकारियों के साथ बैठक कर उन्हें ये भी कह देता था कि इस प्रोजेक्ट पर ऐसे काम होना चाहिए, दिल्ली से ऐसा-ऐसा आदेश आया है. पर कहते हैं झूठ की बुनियाद एक न एक दिन ढह जरूर जाती है, ये मामला इसलिए भी बड़ा है क्योंकि जम्मू-कश्मीर से पाकिस्तान की सीमा लगती है, वो ऐसी जगह है जहां एक भी फर्जीवाड़े का मतलब किसी बड़ी घटना को बुलावा देना है.
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गुजरात का रहने वाला है किरण पटेल
ये व्यक्ति अब तक की जांच में गुजरात का निकला है, अगर ये पाकिस्तान का होता और अधिकारियों के साथ बैठक कर खुफिया जानकारियां वहां पहुंचाता तो भारत के लिए ये कितना बड़ा खतरा है इसका अंदाजा भी कोई नहीं लगा सकता, अब श्रीनगर के डीसी हों या जम्मू-कश्मीर का पूरा पुलिस प्रशासन बिना दिल्ली से कंफर्म किए कैसे एक अधिकारी को इतनी सुविधाएं मुहैया करवा रहा था ये बड़ा सवाल है, आपको क्या लगता है कोई भी व्यक्ति फर्जी अधिकारी बनकर सालों सिर्फ अपनी बदौलत घूम सकता है या फिर इसमें भी किसी की मिलीभगत है, ये रिपोर्ट पीएम मोदी तक पहुंचने के बाद पता नहीं कितने नपेंगे और जिस जेड प्लस सिक्योरिटी की बात हो रही है, वो मंत्रालय अमित शाह के पास है तो अब बड़े लोगों पर गाज गिर सकती है और गिरनी भी चाहिए क्योंकि ये देश की सुरक्षा का मसला है. आप इस फर्जीवाड़े पर क्या कहेंगे हमें कमेंट कर बता सकते हैं.