चुम्बरू तामसोय के बनाए तालाब से पूरे गांव के पानी की जरूरतें पूरी होती हैं
सोशल मीडिया के जमाने में हम कितने ही आईएएस और सफल बिजनेसमैन की कहानियां सुनते हैं. लेकिन दूर दराज के इलाकों में आज भी कई ऐसी कहानियां पड़ी हैं, जो पूरे समाज के लिए मिसाल हैं. और किसी को भी मोटिवेट कर सकती हैं. आपने बिहार के दशरथ मांझी की कहानी तो नवाजुद्दीन की फिल्म के जरिए जान ली. जिसने अपनी पत्नी के प्यार में पूरा पहाड़ काट दिया. लेकिन झारखंड के मांझी की कहानी भी आपको जाननी चाहिए. जिसने गांव की प्यास बुझाने के लिए पूरी जिंदगी खपा दी. ये कहानी है झारखंड के पश्चिम सिंहभूम के गांव कुमरिता में रहने वाले चुम्बरू तामसोय की.

चुम्बरू ने 100 गुणा 100 फीट का एक तालाब अकेले ने खोद दिया
आप रील लाइफ वाले हीरो को तो रोज नाचते-गाते देखते हैं और लाइक शेयर करते हैं, लेकिन इस रियल हीरो पर क्या कहेंगे.
जिनके जुनून ने आज झारखंड सरकार को भी झुका दिया. चुम्बरू ने अपने गांव में 100 गुणा 100 फीट का एक तालाब अकेले ने खोद दिया. जिसे खोदने में उन्हें 45 साल का लंबा वक्त लगा, वो 45 साल तक लगातार हर रोज खुदाई करने जाते थे. गांव के लोग उन्हें मूर्ख कहते थे. पागल समझते थे. लेकिन उन्हें जुनून था अपने और अपने गांव के लिए कुछ करने का. चुम्बरू तामसेय अब 72 साल के हैं, और अभी भी वो खुदाई करने जाते हैं. क्योंकि चुम्बरू तालाब को और बड़ा करना चाहते हैं ताकि ज्यादा पानी जमा किया जा सके. हालांकि इस तालाब से भी पूरा गांव पानी का इस्तेमाल कर रहा है. अब उनके गांव में पूरा साल खेती होती है. लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था,

इसकी कहानी शुरू होती है साल 1975 से, जब देश इमरजेंसी की आग में झुलस रहा था तब झारखंड के एक छोटे से गांव का चुम्बरू अपने परिवार का पेट पालने के यूपी में मजदूरी करने चला आया था. क्योंकि उसके इलाके में सूखा पड़ा था. तो जो साल में एक धान की फसल होती थी वो भी नहीं हुई. यूपी में जिस ठेकेदार के लिए वो काम करते थे. वो उनसे रोजाना मिट्टी की खुदाई करवाता था. और बदले में पैसे बेहद ही कम मिलते थे. चुम्बरू को लगा कि अगर मिट्टी ही खोदनी है तो अपने घर जाकर खोदूंगा.
पत्नी ने भी चुम्बरू के प्रयास को पागलपन समझा, दूसरे से शादी कर ली
बस वो उसी दिन वापस हो लिए और अपने गांव में आकर खुदाई करना शुरू कर दिया. परिवार का पेट भी पालना था तो वो दिन में 5-6 घंटे खुदाई करते. बाकी वक्त में खेती का काम, ताकि खाने-पीने का जुगाड़ होता रहे. इसी बीच उनकी शादी कर दी गई. लेकिन गांव के लोग रोजाना उसे ताने देते थे. ये बात पत्नी बरदाश्त नहीं कर पाई और ना ही चुम्बरू के जुनून को समझ पाई. एक दिन वो अपने पति को छोड़कर चली गई और दूसरी शादी कर ली. लेकिन चुम्बरू का जुनून कम नहीं हुआ. उन्होंने खुदाई और तेज कर दी. जिसका नतीजा ये हुआ कि कुछ ही दिन बाद तालाब में इतना पानी इकट्ठा होने लगा कि वो बरसात के बाद भी करीब पांच एकड़ जमीन पर खेती करने लगा.

45 साल पहले जिद-जुनून के सफर की शुरुआत
लेकिन चुम्बरू यहां भी नहीं रुके, उन्होंने अपनी खुदाई जारी रखी. और 45 साल की कड़ी मेहनत और लगन के बाद 100 गुणा 100 फीस का करीब 20 फीट गहरा तालाब तैयार हो गया. जिसने पूरे गांव के जल संकट को दूर कर दिया. पहले जो गांव वाले उनका मजाक उड़ाते थे अब उसी तालाब की वजह से पूरे साल खेती कर पाते हैं. नहाने-धोने सबमें उस तालाब का पानी काम में आता है.
लेकिन 72 साल की उम्र को पार कर चुके चुम्बरू, अब भी रोज खुदाई करते हैं. वो चाहेत हैं कि ये तालाब 200 गुणा 200 फीट का हो जाये ताकि भविष्य में भी गांव को कभी पानी की दिक्कत ना हो. अब वो बूढ़े हो गए हैं और बीमार भी हो जाते हैं लेकिन ठीक होने के बाद वो फिर से अपने काम में जुट जाते हैं, ताकि गांव में खुशहाली रहे.