बैंक से कर्ज लेकर पूरा भरने वाले भक्तों की मनोकामना जरूर पूर्ण होती है
राम नाम की लूट है, लूट सके तो लूट, अंतत: पछताएगा, प्राण जाएंगे छूट…96 साल पहले मोक्ष की नगरी काशी में रामनवमी में एक ऐसा बैंक खोला गया था जिसका मकसद मुनाफा कमाना नहीं बल्कि लोगों के दुख हरना था. यहां सिर्फ हिंदुस्तान के ही लोग नहीं बल्कि कनाडा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, स्विट्जरलैंड और जापान जैसे देशों के लोग भी यहां खाता खुलवाते हैं. लेकिन सवाल ये है कि जब इस बैंक में ना पैसों का लेनदेन होता है और ना ही डॉलर का कर्जा मिलता है. तो फिर ये कैसा बैंक है. इसमें क्या जमा होता है और किस चीज का ब्याज मिलता है. अगर आप भी भगवान राम के भक्त हैं और मानते हैं कि राम नाम ही हर दुख का इलाज है तो ये रिपोर्ट देखकर कहेंगे…शानदार.
1926 में खुला था ये बैंक
दरअसल इस बैंक की शुरुआत मेहरोत्रा परिवार ने 1926 में रामनवमी के दिन की थी. जो काशी विश्वनाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर है. इस बैंक में वैसे ही सारे पद हैं, जैसे आम बैंक में होते हैं. इस बैंक के मैनेजर का नाम दास कृष्ण चंद्र हैं. बैंक के उत्सव प्रबंधक सुमित मेहरोत्रा हैं. बैंक से अब तक दुनिया के लाखों लोग जुड़ चुके हैं.
अब सवाल है कि आखिर ये बैंक क्या और कैसे काम करता है.

भक्तों को राम नाम में है अटूट आस्था
यहां रामनवमी के मौके पर आप खाता खुलवा सकते हैं. कुछ नियमों के साथ आपका खाता खुल जाएगा. बैंक कर्ज के रूप में आपको कलम और दवात देगा. और किलविश के पेड़ की डंडी भी आपको कर्ज के रूप में मिलेगी. जिस पर ब्रह्म मुहूर्त में तड़के चार बजे से सुबह सात बजे तक आपको राम का नाम लिखना होगा. 8 महीने 10 दिन में आपको सवा लाख राम नाम लिखकर जमा करना होता है. इस दौरान आप प्याज, लहसुन और बाहरी खाने से दूर रहते हैं. अगर आप ऐसा करते हैं तो मान्यता है कि आपकी हर मनोकामना पूरी हो जाती है.

91 सालों में 19 अरब 22 करोड़ 62 लाख 75 हजार श्रीराम नाम हुए हैं जमा
इस बैंक में पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मां और शत्रुघ्न सिन्हा का परिवार भी अनुष्ठान कर चुका है. इस तरह से अब तक 19 अरब 42 करोड़ 34 लाख 25 हजार हाथों से लिखे राम नाम यहां जमा हैं.
ये राम के नाम का ऐसा कर्ज होता है जिसके जरिये लोग अपने दुखों को दूर करते हैं. जो भी यहां आता है अपनी मनोकामना को पूर्ण करके जाता है. राम के नाम का ये अनोखा बैंक माता सीता के नाम से जाना जाता है. और मेहरोत्रा परिवार तीन पीढ़ियों से इस बैंक को चलाता आ रहा है.

एक खाताधारक ने बताया कि एक बार नहीं बल्कि कई बार उसने राम नाम का अनुष्ठान उठाया और हर बार उसकी मनोकामना पूरी हुई है.
अयोध्या में एक श्री सीताराम इंटरनेशनल बैंक भी इसी तरह से काम कर रहा है. 1970 से वो बैंक चल रहा है और यहां जो पांच लाख बार सीता राम का नाम लिखता है उसी का खाता खोला जाता है. और बाकायदा उसे पासबुक भी दी जाती है. और जो लोग 25 या 50 लाख बार श्री सीताराम लिखते हैं उन्हें तो प्रमाण पत्र भी दिया जाता है.
कुछ ऐसे नियम हैं बैंक के खाताधारकों के लिए

ये बैंक अप्रैल-मई-जून-जुलाई-अगस्त के महीने में सुबह 8 से 12 तक और शाम को 3 बजे से 5:30 बजे तक, दिसंबर-जनवरी में सुबह 8 से 12 तक और शाम को 3 से 5 बजे तक और फरवरी-मार्च में सुबह 8 बजे से 12 बजे, और शाम को 3 से 5:30 बजे तक खुलता है. ये अंतरराष्ट्रीय श्री राम नाम बैंक अयोध्या में छोटी छावनी के ठीक सामने स्थित है.