कहते हैं मैनेजमेंट चाहे तो किसी भी शानदार से शानदार खिलाड़ी का करियर बिगाड़ सकता है और मीडियोकर खिलाड़ी को काफी खिला सकता है. ऐसे कई उदाहरण हमारे सिस्टम में भी भरे पड़े हैं. लेकिन अब जो खेल होता दिख रहा है वो बिल्कुल अच्छा नहीं है क्योंकि इन्हीं वजहों से हम लंबे समय से कोई आईसीसी टूर्नामेंट नहीं जीत पाये हैं. क्या ऐसा ही खेल सूर्यकुमार यादव के साथ भी खेला जा रहा है. असम के जिस मैदान की पिच पर सूर्या रनों का अंबार लगा सकते थे वहां उनकी जगह केएल राहुल को खिलाया गया. एक जमाने में दक्षिण के खिलाड़ी मुंबई के खिलाड़ियों को लेकर क्षेत्रवाद का आरोप लगाते थे. लेकिन पिछले कुछ सालों में बीसीसीआई में दक्षिण भारत का दबदबा बढ़ा है.

बंगाल से सौरव गांगुली आये तो विराट कोहली के साथ क्या हुआ किसी से छिपा नहीं है. अब देखिए केएल राहुल रन बनाएं या ना बनाएं. उनकी जगह हमेशा पक्की है. लेकिन ये विश्वास उन्हें कौन दे रहा है. जिस टीम में खिलाड़ी शतक या दोहरा शतक लगाने के बाद भी बाहर बैठे हैं उसमें बिना रन बनाए राहुल कैसे सर्वाइव कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी है कि उनके पीछे हेड कोच राहुल द्रविड़ खड़े हैं. क्योंकि केएल राहुल कर्नाटक के रहने वाले हैं और राहुल द्रविड़ भी कर्नाटक से आते हैं.
जरा देखिए जिस पिच पर भारत ने 400 के करीब रन बनाए वहां भी केएल राहुल अर्धशतक तक नहीं लगा पाये. अब जरा सोचिए अगर यहां पर सूर्या होते तो क्या कहर ढाते. जिस बल्लेबाज ने टी20 में मात्र 45 गेंदों में शतक जड़ दिया था सोचिए वो इतनी सपाट पिच पर क्या करते. तो क्या इसी डर से उन्हें बाहर बिठाया गया कि कहीं वो और ज्यादा रन ना बना दें फिर क्या कहकर बाहर बिठाएंगे. लेकिन सूर्या सोच रहे होंगे कि उनके साथ ही ऐसा क्यों होता है पहले उन्हें कई साल तक टीम में चुनने का इंतजार करना पड़ा.
उन्होंने घरेलू क्रिकेट में इतने रन बना दिये कि मैनेजमेंट को मजबूर होना पड़ा.
डेब्यू से पहले 118 लिस्ट ए मैच उन्होंने खेले थे. 12 साल तक टीम में आने का इंतजार किया था. और 30 साल से ज्यादा की उम्र में डेब्यू किया, जिस उम्र में लोग संन्यास के बारे में सोचने लगते हैं. इसके अलावा उन्होंने अपने डेब्यू से पहले 79 फर्स्ट क्लास मैच खेले थे जिसमें 5 हजार से ज्यादा रन बनाए और 17 शतक जड़े थे. तब जाकर उन्होंने टीम में जगह पाई और एक साल के अंदर टी20 के नंबर वन बल्लेबाज बन गए.

फिर भी उन्हें बाहर बैठना पड़ रहा है. आप शायद भूल गए हों हम आपको याद दिला देते हैं, प्रशासकों की समिति के पूर्व सदस्य रामचंद्र गुहा ने 2020 में जब इस्तीफा दिया था तो उन्होंने क्या आरोप लगाये थे. उन्होंने कहा था कि, भारतीय क्रिकेट में भाई भतीजावाद चरम पर है और यह चिंता का प्रमुख कारण है. उन्होंने यह भी कहा था कि टीम में सुपरस्टार कल्चर खत्म होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय टीम के कप्तान को कुछ ज्यादा ही ताकत मिली हुई है.

हरभजन सिंह ने भी एक बार चयनकर्ताओं पर पक्षपात के आरोप लगाये थे, गौतम गंभीर ने भी इसको लेकर शिकायत की थी. कुछ दिन पहले गावस्कर ने भी चयन के तरीके को लेकर सवाल उठाये थे. अब सोशल मीडिया पर सूर्यकुमार यादव के पक्ष में जनता आ गई है. क्योंकि वो अपने सुपरस्टार को ऐसे पानी पिलाते नहीं देख सकती. ऐसा समर्थन आज तक ना कोहली को मिला ना रोहित को. फिर भी सूर्या बाहर हैं. अगर आप चाहते हैं कि अगले मैच में सूर्या को टीम में खिलाया जाये तो इतने कमेंट कर दीजिए ताकि सीधे रोहित तक ये बात पहुंच जाये.