UP में योगी के एक फैसले से जो तूफान आया, वो बाकी राज्यों में सुनामी बनकर दौड़ेगा…आधी रात को योगी ने जो फैसला लिया वो इतिहास में मिसाल के तौर पर लिखा जाएगा…लखीमपुर की घटना के बाद विपक्ष जाति का कार्ड खेल रहा था…तभी योगी उन्हें 30 दिन में न्याय दिलाने की कसम खा रहे थे…फर्क साफ है, ये तस्वीर झारखण्ड के अंकिता केस के आरोपी शाहरूख की है…जो पुलिस कैद में भी हंसता है…जबकि ये तस्वीर UP के अपराधियों की है जो 12 घण्टे बाद इस हालत में मिलते है…हालांकि सवाल उठता है कि लखीमपुर में बेटियों के साथ हुआ क्या था? योगी को 30 दिन में न्याय दिलाने का वादा क्यों करना पड़ा? ये 6 आरोपी है…जिसमें सुहैल जुबैर और हफीज़ुर्रहमान के इशारे पर दोनों बहने घर से निकली…फिर जो हुआ वो एक कहानी नहीं बल्कि एक साज़िश लगती है…साज़िश की पूरी INSIDE STORY सुनाए उससे पहले सुनिए Lucknow में योगी ने क्या फरमान सुनाया…घटना बुधवार दोपहर से शाम के बीच घटी, उसी दिन शाम में समाजवादी पार्टी के ट्विटर हैंडल से जातिकार्ड वाला ट्वीट आया, जबकि योगी ने एक्शन लिया और सूरज उगने से पहले आरोपियों को पकड़ने का आदेश दिया…रात भर विपक्ष, सुबह जाने का प्लान बना रहा था, तब तक जुबैर की एनकाउंटर की तस्वीर आ गई…घटना में शामिल जुबैर, सुहेल, हफीजुर्रहमान, करीमुद्दीन, आरिफ और छोटू को गिरफ्तार कर लिया गया…हम आपको बताते है घटना के वक्त असल में हुआ क्या था

छोटू नाम का आरोपी दोनों बहनों के गांव का ही है. उसी ने पांचों आरोपियों से मुलाकात करवाई थी…बुधवार की दोपहर लड़कियों के घर पर दो बाइक आती है. एक बाइक पर सुहैल और हफीजुर्रहमान था जबकि एक बाइक पर जुबैर था…जुबैर की बाइक पर ही बैठकर दोनों बहने भरोसे के साथ घर से निकली…दोनों बाइक गन्ने की खेत की तरफ गई, दोनों बहनों के साथ ग़लत हुआ, जब इसका विरोध किया तो तीनों ने मिलकर उनको खत्म कर दिया…फिर लालपुर गांव के दो दोस्तों को फोन करके बुलाया, मौके पर मौजूद सभी पांच आरोपियों ने सबूत मिटाए लेकिन कानून से बच नहीं पाए? शाम को करीब 4 बजे परिवार के लोग लड़कियों को खोज रहे थे, जब नहीं मिली तो कुछ देर बाद 15-20 लोगों ने खोजना शुरू किया तभी अचानक पेड़ की तरफ नज़र गई तो सबके होश उड़ गए

लव जिहाद का एंगल है या नहीं जांच हो रही है, लखीमपुर के बच्चे-बच्चे की ज़ुबान पर ये घटना है…विपक्ष को सियासत का एक मौका मिला था, लेकिन योगी ने सख्त एक्शन लेकर वो भी ख़त्म कर दिया…25 लाख की मदद के साथ सरकारी नौकरी और ज़मीन देने का ऐलान किया गया है…फिर भी सवाल उठता है कि अगर बात सिर्फ शादी की थी तो फिर अपराध का तरीका पेशेवर अपराधी की तरह क्यों चुना गया ? जिस तरह से घटना को अंजाम दिया गया था उससे साफ है कि ये मासूम दिखने वाले बच्चे शातिर अपराधी की तरह ट्रेंड थे…गांव में घुसकर दोनों बहनों को ले जाना, फिर मारकर वहां से चले जाना? सबूत मिटाना, क्या इनके पीछे कोई और भी है? क्योंकि हर कोई सवाल पूछ रहा है ये हिम्मत आई कहां से? एक नेता CM या किसी भी कुर्सी पर जब बैठता है तो वो पिता, भाई परिवार का रिश्ता भी निभाता है. योगी अक्सर ऐसी घटनाओं पर ना सिर्फ दुखी होते है बल्कि भावुक भी हो जाते है…किसी सीएम को ये कहते इससे पहले शायद ही किसी ने सुना हो कि हम 30 दिन के भीतर न्याय दिलाएंगे! लखीमपुर की घटना को दलित एंगल से दिखाने की कोशिश ज़रूर हुई लेकिन जब एंगल लव जिहाद की तरफ घुमा तो विपक्ष को सांप सूंघ गया…इन आरोपियों की फोटो न तो मायावती ने पोस्ट की है, न ही अखिलेश यादव ने ट्वीटर पर डाली है? जबकि योगी इनकी तस्वीर पूरे UP में लगवाएंगे, और घर पर बुलडोजर भी चलाएंगे? जनता कहती है. फर्क साफ है. क्योंकि योगी चाहे कुछ भी करें, अन्याय तो बर्दाश्त नहीं करते है…