ये मनीष कश्यप की सबसे लेटेस्ट तस्वीर है, मुंह में मास्क, पीठ पर बैग, बदन पर व्हाइट टीशर्ट और खाकी पैंट पहने मनीष जब ट्रेन से उतरते हैं, दो जवान उनका हाथ पकड़ते हैं और सीधा चलने लगते हैं. अब इस तस्वीर की आप पुरानी तस्वीर से तुलना कीजिए, गले में गमछा लेकर हमेशा चलने वाला सन ऑफ बिहार के नाम से मशहूर मनीष के गले से गमछा किसने छीना, या तमिलनाडु पुलिस ने उन्हें कह दिया कि गमछा लेकर आप नहीं जाएंगे. इसके अलावा इस तस्वीर पर तीन और बड़े सवाल हैं, जिन पर आएं उससे पहले आपको बताते हैं 131 दिन बाद जब मनीष कश्यप बिहार के बेतिया स्टेशन पर उतरे तो क्या हुआ।. उसके बाद बताते हैं कोर्ट ने किस बात पर पुलिस को फटकार लगाई है.

एक तरफ स्टेशन पर मनीष की रिहाई के नारे लग रहे थे, दूसरी तरफ उधर मनीष की मां अपने बेटे से मिलने पहुंची तो पुलिस ने रोक दिया. एसपी ने 60-70 पुलिसवालों को सिर्फ इस काम पर लगा दिया कि एक मां अपने बेटे से कोर्टरूम में नहीं मिल पाए. ये कहां का न्याय है, मनीष की मां सुबह 5 बजे उठकर रोज कभी थाने तो कभी कोर्ट तो कभी सरकारी बाबूओं के ऑफिस के चक्कर काटती हैं, 31 जुलाई को वो बिहार के राज्यपाल से मिलने गईं थीं, और उसके बाद कहा उम्मीद है बेटा अगस्त में जेल से छूट जाएगा, पर सवाल छूटने से ज्यादा ये है कि क्या मनीष के साथ पुलिस ने दो राज्यों की सरकारों के इशारे पर गलत व्यवहार किया है. खुद कोर्ट ने भी इस बात पर नाराजगी जताई कि 4 बार आदेश देने के बावजूद भी तमिलनाडु पुलिस मनीष को मदुरई सेंट्रल जेल से बिहार क्यों नहीं ला पाई, क्या ऐसे ही कानून का राज चलेगा. सिर्फ यही नहीं मनीष के वकील ने इस बात का भी जिक्र किया कि उनके मुवक्किल के साथ सही व्यवहार नहीं किया जा रहा है. ये तस्वीर देखकर मनीष का हर समर्थक भी इन सवालों का जवाब जानना चाहता है.
सवाल नंबर 1- क्या मनीष ने जेल में अपने बाल मुंडवा लिए या फिर तमिलनाडु जेल का पानी ऐसा है कि बाल झड़ने लगे और उन्हें टोपी लगानी पड़ी.
सवाल नंबर 2- क्या मनीष कश्यप पर तमिलनाडु पुलिस ने बल प्रयोग किया है या फिर उनकी तबियत नासाज है, ये धीमी चाल इस बात की गवाही दे रही है.
सवाल नंबर 3- मनीष कश्यप का वजन पहले की तुलना में काफी कम हुआ है, जो तस्वीरों से दिखता है, तो क्या मनीष को वहां की जेल में सही खाना नहीं मिल रहा है?
जब तमिलनाडु जेल में बंद मनीष से मिलने उनके भाई गए थे तो मनीष ने बताया था कि यहां का खाना सही नहीं लगता, इडली, डोसा,, पूड़ी खाकर तंग आ गया हूं, खट्टा खाना कैसे खाऊं, ये बताते-बताते मनीष के भाई रो पड़े थे, लेकिन किसी को दया नहीं आई. पर मनीष जैसे ही बिहार पहुंचे उनके समर्थकों ने बता दिया कि तेजस्वी यादव पावर के फेर में फंसकर चाहे कितना भी अन्याय कर लें मनीष के लिए जनता का प्यार कम नहीं होगा. और यही बात तेजस्वी को शायद बाद में पता चले कि एक पत्रकार जो बिहार की जनता की आवाज उठा रहा था, उसे जेल में बंद करके उन्होंने भूल कर दी और उसकी लोकप्रियता पहले की तुलना में कई गुणा बढ़ चुकी है, जो बाद में आरजेडी के लिए मुसीबत बनने वाली है. आपको क्या लगता है पहले ही चुनाव में किस्मत आजमा चुके मनीष जेल से बाहर आए तो तेजस्वी को बड़ा चैलेंज देने वाले हैं, कमेंट कर बताएं.
ब्यूरो रिपोर्ट
