जब पुलिस ठान ले तो बड़े-बड़े अपराधी भी सरेंडर कर देते हैं, फिर फेमस यूट्यूबर और पत्रकार मनीष कश्यप की क्या बात थी. सुबह-सुबह 5 बजे बेतिया पुलिस ट्रैक्टर और बुलडोजर लेकर घर पहुंची, दो बाइक, चौकी और घर के सामान ट्रैक्टर में लोड किया और जैसे ही घर तोड़ने की तैयारी करती, दारोगाजी को फोन आया, सर आरोपी ने सरेंडर करने कोर्ट जा रहा था लेकिन बेतिया पुलिस ने उसे पकड़ लिया और वो जगदीशपुर थाने में है, इसके बाद तो पूरा पुलिस डिपार्टमेंट गदगद हो गया, घंटों थाने में बिठाकर रखा, फिर कोर्ट में पेशी के लिए ले जाया गया तो गंभीर आरोपों के अपराधी की तरह चेहरा छिपा रखा था, ऐसा लग रहा था जैसे वो चाहते ही नहीं कि मनीष कश्यप की कोई चेहरा देखे.
तमिलनाडु की जेल में रखने की प्लानिंग?
इसकी एक वजह ये भी हो सकती है कि थाने के बाहर भारी संख्या में मनीष कश्यप के समर्थक खड़े थे, पर बिहार में चले इतने ड्रामे के बीच जो एक सवाल सबको परेशान कर रहा है वो ये कि क्या मनीष कश्यप को बिहार की बजाय तमिलनाडु की जेल में रखने की प्लानिंग बन रही है. ये सवाल इसलिए क्योंकि जैसे ही मनीष कश्यप के सरेंडर करने की ख़बर पहुंची, तमिलनाडु से पुलिस अधिकारियों की टीम बिहार पहुंच गई, बिहार में वो मनीष कश्यप से पूछताछ करेंगे,फिर ट्रांजिट रिमांड पर तमिलनाडु ले जाने की तैयारी हो सकती है, मनीष कश्यप ने तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों पर हमले का वीडियो चलाया, जिसे लेकर एफआईआर दर्ज हुई है.
क्या सियासत का शिकार हुए मनीष कश्यप?
सवाल एफआईआर का नहीं है, बल्कि सवाल इस पर सियासत का है, मनीष कश्यप के पक्ष में कई बड़े नेता भी उतर आए हैं, जबकि मनीष की आलोचना करने वाले कहते हैं कि सबकुछ ठीक था पर तेजस्वी को सरकार गिराने का चैलेंज मनीष कश्यप ने कैसे दे दिया, क्या उन्हें बिहार की विपक्षी पार्टी बीजेपी के किसी प्लान की जानकारी मिली थी या फिर बिहार पुलिस ने कार्रवाई की तो मनीष कश्यप ने सीधा तेजस्वी को टारगेट कर ये जताने की कोशिश की कि उनके साथ सियासत हो रही है, क्योंकि जिस तेजी में ये कार्रवाई हुई है उससे कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं.
एक वीडियो के चक्कर में जाना पड़ा जेल, 42 लाख रुपये हुए फ्रीज
इस मामले गौर से देखें तो कई लोग ये भी सवाल उठा रहे हैं कि मनीष कश्यप तमिलनाडु वाला वीडियो दिखाकर तेजस्वी को ये बताना चाहते थे कि आप जहां पार्टी मनाने गए थे, वहां ही बिहारियों पर अत्याचार हुआ और आप कुछ नहीं कर पाए तो बिहार को कैसे चला पाएंगे, मुख्यमंत्री बनने का सपना मत देखिए, क्योंकि सारा बवाल एक वीडियो से ही मचा है, मनीष कश्यप के हितैषी होने का दावा करने वाले दिलीप मंडल कहते हैं कि मैंने पहले ही मना किया था पर मनीष से सुना ही नहीं, अब एक वीडियो के चक्कर में मनीष के खाते में जमा 42 लाख रुपये फ्रीज हो गए हैं, घर की कुर्की लगभग हो ही चुकी थी, सलाखों के पीछे जाना पड़ा और अब कब तक जेल में राते गुजारनी पड़ेगी ये कहा नहीं जा सकता.

कम होने की बजाय बढ़ रही मनीष की मुश्किलें!
हालांकि एक पत्रकार की सत्ता से लड़ाई का इतिहास काफी पुराना है, लेकिन आज के जिस दौर में हम और आप जी रहे हैं, वहां ऐसी ख़बरें बहुत कम देखने को मिलती है, ऐसा लगता है जैसे हर कोई अपने-अपने सेफ जोन में है, और उससे बाहर नहीं निकलना चाहता. अब चूंकि बिहार में तेजस्वी और नीतीश की सरकार है और फिर तमिलनाडु की सत्ता स्टालिन के हाथों में हैं, दोनों एक दूसरे के काफी करीब हैं, इसलिए मनीष की मुश्किलें कम होने की बजाय तेजी से बढ़ती ही जा रही हैं.